अखिल- जी हां लिली जी, मैं हमारे श्रोता दोस्तों का बताना चाहूंगा कि पिछले पंचायत चुनाव में राजस्थान के ही टोंक जिले में छवि राजावात मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर सरपंच बनी थीं। अब ऐसे नौजवानों में हनुमान का नाम भी शुमार हो गया है।
अखिल- चलिए दोस्तों, बढ़ते हैं अगले किस्से की तरफ, जो चीन में इंटरनैट से जुड़ा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। इस मॉडर्न दुनिया में इंटरनैट का भूत लोगों में इस कद्र छाया है कि बहुत सारे लोग इसके आदी है। इंटरनैट की लत से छुड़ाने के लिए युवक ने जो किया वह सच में हैरान करने वाला है।
नानटोंग शहर के रहने वाला 19 साल वांग ने यह लत छुड़ाने के लिए अपना हाथ ही काट दिया। दरअसल, हाथ काटने से पहले वह अपनी मां के नाम एक नोट छोड़कर और चाकू लेकर घर से चुपके से निकल गया। सुनसान जगह पर जाकर वांग ने अपनी बाएं हाथ काट दिया जो बिलकुल अलग हो चुका था। इतना ही नहीं, टैक्सी बुलाकर वो अस्पताल भी पहुंच गया।
वांग की मां ने बताया, ''नोट मिलने के बाद से ही वांग गायब था, जिसमें लिखा था कि मां मैं थोड़ी देर के लिए अस्पताल जा रहा हूं।'' उसकी मां का कहना है कि जो कुछ भी हुआ, वो लोग उसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वांग की मां का कहना है कि वह स्मार्ट लड़का है उसने जो किया लोगों को उस पर यकीन नहीं हो रहा है।
वहीं स्थानीय अस्पताल में सर्जरी के जरिए किसी तरह वांग का हाथ दोबारा जोड़ दिया गया है हालांकि हाथ पहले की तरह काम करेंगे या नहीं डाक्टरों ने इस बात की गांरटी नहीं दी।
लिली- OMG! इस इंसान को क्या कहेंगे...??? इससे बढिया अपना इंटरनेट कनेक्शन ही बंद करवा लेता। खैर.. जो हुआ सो हुआ... हम यही दूआ करते हैं कि उस लड़के का हाथ ठीक हो जाए। चलिए मैं बताती हूं एक नदी के बारे में जो रहस्यमय तरीके से चमकने लगती है।
लिली- दोस्तों, यूं तो आपने घूमते-फिरते रास्ते में बहुत सारी नदियां देखी होगी लेकिन रात के समय नीले चमकीले रंग में चमकती नदी शायद ही आपने देखी हो।
डेली मेल के मुताबिक, चीन के हॉन्ग-कॉन्ग की नदियां रातोंरात नीले रंग में तब्दील हो जाती है और देखने में काफी सुंदर लगती है। ऐसा लगता है मानों किसी ने नीले रंग की बत्तियां जला दी हो। इन खूबसूरत नदियों का किनारा लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है हालांकि इसके पीछे एक चौकाने वाली वजह है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि नदी का रंग एक खास किस्म के शैवाल या यूं कहें कि ऐलगे है, जिसका नाम सी स्पार्कल है। ये ऐसा शैवाल है जो एक जीव भी है और पौधा भी। ये प्रदूषण की वजह से बनते हैं। यह तभी बढ़ती और बनती है जब नदी में नाइट्रोजन और फॉसफोरस की मात्रा बढ़ती है।
हालांकि यह समस्या सिर्फ हॉन्ग-कॉन्ग में नहीं बल्कि धीरे-धीरे पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है। भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही किनारों में ये देखने को मिलती हैं।
अखिल- लिली, वाकई आपने गजब की बात बतलायी। हमें सच में मानना पड़ेगा कि प्रदूषण की वजह से हर चीज को नुकसान पहुंच रहा है।