अखिल- आपका बहुत-बहुत शुक्रिया सादिक भाई। आपने हमें पत्र लिखा और हमारे कार्यक्रम को सराहा, उसके लिए हम आपको बहुत आभारी हैं। आपके जोक्स को हम हमारे चटपटे चुटकुलों के सेक्शन में शामिल करेंगे। चलिए दोस्तों, बढ़ते हैं अगले पत्र की तरफ जिसे भेजा हैं केसिंगा, ओडिशा से भाई सुरेश अग्रवाल जी ने। भाई सुरेश जी लिखते हैं... प्रतिदिन शाम अपने तमाम मित्र-परिजनों के साथ मिलकर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुनना मेरे लिये नित्य की संध्या-आरती जैसा बन गया है और जब तक इसे सुन आप तक रोज़ अपनी बात नहीं भेज देता, मन को चैन नहीं मिलता। ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद हमने साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" भी पूरे मनोयोग से सुना, परन्तु तमाम बातों के बावजूद पत्रों के बिना यह फीका जान पड़ा। वैसे आज के अंक में दी गई कुछ जानकारी ज़रूर रोचक लगी। कौवे में सात साल के बच्चे की समझ होती है, न्यूज़ीलैण्ड के ऑकलैंड विश्वविद्यालय का यह शोध काफी सूचनाप्रद लगा। इंग्लैण्ड की सारा नामक महिला द्वारा 19 साल पूर्व गोद दी गई अपनी बेटी को फ़ेसबुक के ज़रिये ढूंढ निकालना, सचमुच विज्ञान का चमत्कार है। हमने भारत में स्वमूत्र-चिकित्सा के बारे में तो सुना था, परन्तु किसी अन्य के मलमूत्र के सेवन का समाचार केवल चीन से मिला है। वैसे चीन के चेच्यांग प्रान्त के तोंगयांग शहर में बच्चों के पेशाब में उबले अण्डे खाने के अजीबोग़रीब रिवाज़ के बारे में हम गत वर्ष सीआरआई पर सुन चुके थे, कृपया ऐसी बातों की पुनरावृत्ति न करें,तो बेहतर होगा। हाँ, कार्यक्रम में पेश एक से बढ़ कर एक दस बातों का ज़िक्र किया जाना क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगता है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा अपने जनेऊ की मदद से सर्पदंश की शिकार एक अछूत महिला की जान बचाये जाने का प्रसंग काफी प्रेरक और दिल को छूने वाला लगा। आन्तरिक शांति और बाहरी सफलता सम्बन्धी सुनवाया गया मोटिवेशनल ऑडियो भी बहुत अच्छी सीख देता है। अखिलजी की कविता "छोटी सी ज़िन्दगी है हर हाल में खुश रहो" भी संक्षेप में पूरे जीवन का फलसफा बयां करती है। आज के हंसगुल्ले भी ठीक-ठीक थे। धन्यवाद।
लिली- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सुरेश अग्रवाल जी। आपने हमें पत्र लिखा और अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी हम तक पहुंचाई, उसके लिए हम आपके आभारी हैं। चलिए बढ़ते हैं अगले पत्र की तरफ जिसे भेजा है झारखंड से एस.बी. शर्मा जी ने। शर्मा जी लिखते हैं.... नमस्कार, 1 फरवरी को सन्डे की मस्ती का नया अंक सुना। फेसबुक ने फिर से बिछड़ो को मिलवा, यह जानकार अच्छा लगा। 19 साल पहले सारा ने अपने बेटी किसी और को गोद दे दी थी। उसके बाद सारा ने अपनी बेटी को नहीं देखा, पर 19 साल बाद फेसबुक की मदद से अपनी बेटी को ढूंढ निकाला और उससे मिली। यह किस्सा काफी काबिल-ए-तारीफ लगा। चीन की अजब-गजब संस्कृतियों के बारे में सी आर आई के माध्यम से जानने को मिलता है। इसी तरह के अजब गजब संस्कृति के विषय में आपने फिर से बतलाया। हजारो साल से बच्चो के पेशाब में दो बार उबले अन्डों को खाने की प्रथा के विषय में मैं यही कहूँगा की यह रीती नहीं कुरीति है जिसे आज भी ढोया जा रहा है। इसके बाद एक से बढ़ कर एक दस रोचक तथ्य बतलाये गये, जो हमेशा की तरह उम्दा होते हैं। अन्य तमामा बातें और जानकारियां भी बहुत अच्छे थे।
अखिल- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एस.बी. शर्मा जी। आपने हमारा कार्यक्रम पूरे मन से सुना और हमें पत्र लिखा, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। हमें अगला पत्र मिला है ग्रेटर नोएडा से विजय शर्मा जी का। भाई विजय लिखते हैं... नमस्कार, हर बार की तरह इस बार का अंक भी लाजवाब लगा। हां, बिना पत्रों के कार्यक्रम थोड़ा बहुत सूना-सूना-सा था। आज के इस अंक में आपने फेसबुक का किस्सा बतलाया कि कैसे एक मां ने अपनी बेटी को ढूंढ निकाला। चीन की अजब-गजब संस्कृति के एक नमूने के बारे में पता लगा कि कैसे चीन के एक स्थान में पेशाब में उबले अंडे खाए जाते हैं, सुनकर अजीब लगा। आपकी 10 रोचक बाते बेहद अच्छे लगते हैं। आपकी प्रेरक कहानी और किस्से वाकई लाजवाब लगते हैं। आपको बताना चाहूंगा कि मेरे घर में मेरे सभी लोग आपका यह प्रोग्राम सुनते हैं। मजेदार कार्यक्रम पेश करने के लिए आपका धन्यवाद।
लिली- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद विजय शर्मा जी। हम यहीं आशा करते हैं कि आप और आपके परिवार जन हमारा कार्यक्रम यूं ही सुनते रहें, और हमें प्यार देते रहें। पत्र भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। दोस्तों, हमें बहुत खुशी हैं कि आप हमारा प्रोग्राम सुनते हैं और अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाते हैं। हमारा धन्यवाद स्वीकार कीजिए। हम आशा करते हैं कि आप आगे भी हमारे कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया और कमेंट भेजते रहेंगे। चलिए... हम आपको ले चलते हैं अजब-गजब और रोमांचक बातों की दुनिया में..... पर उससे पहले सुनते हैं एक बढ़िया हिन्दी गाना।