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    चांगमू कस्बे के ली शिन गांव में सरकारी कार्यदल
    2014-11-21 11:56:12 cri

    ली शिन गांव पहाड़ के मध्य भाग में बसा हुआ है, वर्तमान में गांव से पहाड़ के नीचे स्थित चांगमू कस्बे तक का रास्ता सुधारा जा रहा है। इस वर्ष के अंत तक सुधरे हुए मार्ग पर यातायात आसान हो जाएगा। अब ली शिन गांव सुन्दर हो गया है। गांव में बुनियादी संस्थापनों में भी सुधार आने के साथ-साथ गांववासियों के विचारों में भी बदलाव आया है। फूर्बा के मुताबिक पहले गांववासी मुख्य तौर पर पशुपालन करते थे। कुछ जवान काम करने बाहर जाते थे। गांव में सिर्फ़ बुजुर्ग ठहरते थे। लेकिन आज युवा लोग विकसति हो रहे गांव के भविष्य पर विश्वास करते हैं। बाहर गए कई जवान घर वापस लौटने लगे हैं। फूर्बा ने कहा:

    " उन्हें नव निर्मित दृश्य लुकआउट मंच और होटल के प्रति बड़ी रुचि है। कुछ लोग घर वापस लौटकर यहां काम करना चाहते हैं, कुछ लोग पूंजी निवेश करना चाहते हैं और कुछ लोग मेरे साथ सहयोग करना चाहते हैं। इससे गांववासियों के विचारों में आया परिवर्तन जाहिर हुआ।"

    स्थानीय गांववासियों की मुश्किलें दूर करना और सहायता देना कार्यदल का एक और मिशन है। छोटे बच्चे पासांग टीबी(रोग) से पीड़ित है। घर में होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा उसके इलाज पर खर्च हो जाता है। नेपाल में कुछ वर्ष तक छोटे पासांग का इलाज किए जाने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं आया। एक दिन रात को छोटे पासांग की मां कार्यदल के पास मदद मांगने गई। कार्यदल की सदस्य फिंगत्सो च्वोगा स्थिति जानने के बाद उसके इलाज के लिए पैसा एकत्र करने लगी। उनकी सहायता से छोटे पासांग को ल्हासा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसकी चर्चा करते हुए कार्यदल की सदस्य फिंगत्सो च्वोगा ने कहा:

    "शारीरिक जांच के बाद पता लगा कि उसे फिर से टीबी हो गया है। उसके रीढ़ पर दो-तीन गांठ मौजूद थे। अगर उसका इलाज ठीक समय पर नहीं किया गया, तो स्थिति बिगड़ सकती है। अब छोटा पासांग ल्हासा के अस्पताल में है। उसकी टीबी का पहला इलाज किया जाएगा। इसके साथ ही हमने तिब्बत की मदद करने आए शांगहाई के कर्मचारी से मदद मांगी, ताकि छोटे पासांग को बाद में उपचार के लिए शांगहाई तक पहुंचाया जा सके। कहते हैं कि अब ल्हासा के अस्पताल में संबंधित ओपरेशन नहीं किया जा सकता। उसे अच्छे उपचार के लिए भीतरी क्षेत्र के ज्यादा बड़े अस्पताल में पहुंचाना है।"

    कार्यदल की कोशिशों के बाद छोटे पासांग की स्थिति पर शिकाज़े प्रिफेक्चर के नेताओं ने भी ख्याल रखा। वर्तमान में उसका इलाज किया जा रहा है। यह छोटे पासांग के परिजनों के लिए सौभाग्य की बात है, इससे परिवार के भाग्य में भी परिवर्तन आएगा। इस प्रकार के मामले कार्यदल के लिए सामान्य बात है। अब तक ली शिन गांव में कुल पांच कार्यदल भेजे जा चुके हैं। वर्तमान में पांचवें खेप वाले कार्यदल के निदेशक फ़ू च्वुन ने कहा कि गांव में कार्यदल को भेजने से न सिर्फ़ ली शिन गांव वासियों के जीवन में बदलाव आया है, बल्कि कार्यदल के सदस्यों ने भी विशेष कार्य अनुभव प्राप्त किया है। फ़ू च्वुन ने कहा:

    "मुझे लगता है कि यहां आकर बुनियादी काम करना और आम नागरिकों के साथ संपर्क करने का अच्छा मौका है। जिससे हम दफ़्तर से अलग अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। आम तौर पर हम जैसे सरकारी कर्मचारी कार्यालय में काम करते थे। दस या बीस सालों में एक जैसा काम करते रहे हैं। यहां तक की जिन्दगी भर एक ही काम करते हैं। मेरा विचार है कि आम नागरिकों से जुड़े बुनियादी कार्य करने से हम अधिक परिपक्व हो जाएंगे। वास्तव में कहा जाए, तो मैं और कार्यदल के दूसरे सदस्य गांव में हासिल कार्य अनुभव से संतुष्ट हैं। हमने बहुत चीजें सीखी और जीवन का अभ्यास भी किया।"

    गौरतलब है कि वर्ष 2011 से ही तिब्बत स्वायत्त प्रदेश हर साल 20 हज़ार सरकारी कर्मचारियों से गठित अलग-अलग कार्यदल को 5 हज़ार से अधिक गांवों में भेजता है। ली शिन गांव जैसे सरकारी कार्यदल के आगमन से तिब्बत के कोने-कोने में बदलाव आ रहा है।


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