पारंपरिक तिब्बती नृत्य नाचते हुए लड़के
पारंपरिक तिब्बती नृत्य नाचते हुए लड़कियां
प्यारी तिब्बती लड़कियां
पीटी का समय
पीटी (फिजिकल ट्रेनिंग) का समय आ गया है। विद्यार्थी विभिन्न कक्षाओं से बाहर निकल कर खेल के मैदान में आ पहुंचे हैं। वे तिब्बती संगीत के साथ सामूहिक नृत्य करने लगे हैं। स्कूल प्रधान चांग च्युलिन ने परिचय देते हुए कहा कि छांगतु प्रिफेक्चर राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों में से एक श्वानची नृत्य का जन्म स्थान है, विद्यार्थियों को तिब्बती जाति के इस पारंपरिक संस्कृति को विरासत में लेते हुए विकसित करने के लिए स्कूल में विद्यार्थियों को श्वानची नृत्य सिखाया जाता है। उन्होंने कहा:
"मेरा विचार है कि तिब्बत में शिक्षण कार्य करते वक्त हमें अपनी जातीय विशेषता वाली संस्कृति से जुड़े विषयों पर ध्यान देना चाहिए। हम स्कूल में स्थानीय पारंपरिक श्वानची नृत्य को विरासत में लेते हुए विकसित करते हैं। हर विद्यार्थी ने स्कूल में दाखिला लेने के बाद पहले ग्रेड से श्वानची नृत्य सीखना शुरु किया है। इस संदर्भ में हम विद्यार्थियों का प्रशिक्षण करते हैं।"
छांगतु प्रायोगिक प्राइमरी स्कूल में तिब्बती संस्कृति से जुड़े विषय की शिक्षा न सिर्फ़ पीटी टाईम में दिखाई जाती है, बल्कि स्कूल की कक्षा भवन में जगह-जगह इसका आभास भी किया जा सकता है। कक्षा भवन के भीतर तिब्बत के इतिहास, छांगतु प्रिफेक्चर में श्वानची नृत्य, क्वोच्वांग नृत्य और रअबा नृत्य जैसे सांस्कृतिक विरासतों से जुड़े परिचयात्मक विषय देखे जा सकते हैं।