स्कूल का पुस्तकालय
प्रदर्शन हॉल में छात्रा परिचय देते हुए
छात्र छात्राएं स्कूल से घर वापस लौट रहे हैं
स्कूल के इतिहास के प्रति छांगतु प्रायोगिक प्राइमरी स्कूल के तमाम शिक्षकों और विद्यार्थियों को गर्व का आभास होता है। स्कूल में स्कूली इतिहास विषय वाला प्रदर्शनी कक्ष भी उपलब्ध है, जहां तिब्बती पोशाक पहने चार विद्यार्थियों ने हमारे संवाददाता को अपने स्कूल के इतिहास से अवगत कराया। इस स्कूल को तिब्बत में पहला आधुनिक स्कूल माना जाता है।
प्रदर्शनी से पता चलता है कि अपनी स्थापना के शुरुआत में स्कूल में मात्र 3 कक्षाओं में 60 से अधिक छात्र थे। पुराना स्कूल छांगतु प्रिफेक्चर के छंगह्वांग मंदिर में बसा हुआ था और उस समय स्कूल में मात्र कई सौ वर्ग मीटर वाले क्लासरूम मौजूद थे।
60 से अधिक वर्षों के बाद अब छांगतु प्रायोगिक प्राइमरी स्कूल एक आधुनिक स्कूल का रूप नज़र आता है, जहां स्कूली संस्थापन प्रगतीशील हैं। पिछले साठ से अधिक वर्षो में स्कूल ने दस हज़ार से ज्यादा विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है। उनमें से चीनी राजकीय नेता, मशहूर संगीत लेखक, पहली पीढ़ी वाले तिब्बती विमान चालक और श्रम मॉडल आदि शामिल हैं। इनके अलावा स्कूल के आम स्नातक तिब्बत के निर्माण के लिए योगदान करने में जुटे हुए हैं।
छांगतु प्रायोगिक प्राईमरी स्कूल के इतिहास प्रदर्शनी रूम में परिचय कार्य के जिम्मेदार विद्यार्थियों ने हमारे संवाददाता को अपनी तिब्बती और चीनी हान भाषा दिखाते हुए गीत गाया। तिब्बती बच्चों ने हमारे संवाददाता से कहा कि उनका एक सपना है कि वे पवित्र पक्षी से पंख उधार लेना चाहते हैं, पवित्र पर्वत के ऊपर उड़ान भरना चाहते हैं, मठों की छत पर उड़ना चाहते हैं और समुद्र पर उड़ना चाहते हैं।
बच्चों की मीठी आवाज़ में लोगों की नज़र में उनके आसमान में स्वतंत्र रूप से उड़ने की छवि साफ़ तौर पर झलक रही है। ऐसी कामना है कि उनका सपना साकार होगा।