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    तिब्बत में पहले आधुनिक स्कूल का दौरा
    2014-11-11 10:53:15 cri

    वर्ष 1951 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफेक्चर में प्रायोगिक प्राईमरी स्कूल की स्थापना की गई थी, जिसे तिब्बत में पहला आधुनिक स्कूल माना जाता है और यह तिब्बत में आधुनिक शिक्षा की शुरूआत का द्योतक भी है। पिछले 63 वर्षों में इस स्कूल ने पूरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में दस हज़ार से अधिक विभिन्न प्रकार के सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, इस तरह इस स्कूल को तिब्बत में"प्रतिभाओं का हिंडोला"भी कहा जाता है।

    छांगतु प्रायोगिक प्राईमरी स्कूल छांगतु प्रिफेक्चर के केंद्र में स्थित है। स्कूल के द्वार से भीतर प्रवेश करने के बाद तिब्बती शैली वाली दो नई इमारतें नज़र आती हैं। इस स्कूल में कुल 33 कक्षाओं में 1800 से अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। स्कूल में ललितकला, संगीत, नृत्य, बहु मीडिया और प्रायोगिक कक्षा की शिक्षा उपलब्ध है, जिसके आधारभूत उपकरण भीतरी क्षेत्र के बड़े शहरों की तरह ही आधुनिक हैं। कक्षा के बाहर गलियारे में दोनों तरफ़ दीवारों पर विद्यार्थियों के हाथों लिखी गई तिब्बती और चीनी हान भाषा में हस्तलिपि दिखाई देती है।

    छांगतु प्रायोगिक प्राईमरी स्कलू के प्रधान चांग च्युलिन ने परिचय देते हुए कहा कि स्कूल में तिब्बती छात्रों की संख्या 90 प्रतिशत से अधिक है। 130 शिक्षकों में 90 तिब्बती जाति के हैं। स्कूल में ग्रेड 5 की तीसरी कक्षा में विद्यार्थी चीनी हान भाषा सीख रहे हैं। शिक्षक और विद्यार्थी धारा प्रवाह तौर पर चीनी भाषा में बातचीत करते हैं। स्कूल प्रधान चांग च्युलिन ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई में तिब्बती भाषा और चीनी हान भाषा को समान रूप से महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा:

    "एक सप्ताह में चीनी भाषा और तिब्बती भाषा के लिए 8 कक्षाएं होती हैं। इन दोनों भाषाओं की परीक्षा बराबर स्तर की है तिब्बती और हान भाषा को समान महत्व दिया जाता है। मातृभाषा के रूप में तिब्बती भाषा अत्यंत महत्वपूर्ण है, वहीं चीनी हान भाषा मंडारिन देशभर में लोकप्रिय है, जिसका प्रयोग भविष्य में विद्यार्थियों के रोज़गार के दौरान किया जाएगा। इस तरह हम दोनों भाषाओं को समान रूप से महत्व देते हैं।"

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