अखिल- आगे सादिक जी लिखते हैं....सूचना तकनीक और इस स्मार्ट दौर मे अब हर काम संभव होता नज़र आने लगा है। इस बात की सच्चाई बयान करती आपकी पहली रिपोर्ट ने साबित कर दिया कि किस प्रकार सोबित ने गूगल की मदद से ट्रेन मे छूट सामान को प्राप्त कर लिया। आज के आधुनिक और स्मार्ट दौर मे सबसे आवश्यक चीज़ इंटरनेट है। पल में हम उस स्थान तक पहुंच जाते हैं जहां जाने हेतु दिन या हफ़्ते लगते थे। बात जब इंटरनेट की हो तो सोशल मीडिया के महत्व का ज़िक्र लाज़मी हो जाता है। इसी दिशा मे जब अखिल जी ने बताया कि बलिया का युवक राजेन्द्र 4 साल बाद वाट्सअप की मदद से अपने परिवार वालों से मिलने मे कामयाब रहा। एक बात जरूर लाजवाब रही की उस दिन उनकी शादी की सालगिरह थी। इन सब से हटकर एक अजीब बात उस खर्चीली लड़की की रही जिस की आदतें अब समस्या का रूप ले रही हैं। मैं तो इस अवसर पर यही कहूँगा "जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे"।
लिली- आगे सादिक जी लिखते है....लापरवाही कैसे जी का जंजाल बनती है इसका जीता जागता सुबूत चीन का वह जोड़ा है जो अपने बच्चे समेत दक्षिण कोरिया छुट्टियाँ मनाने गया। सच बात है हमें हमेशा अपने विशेष काग़ज़ात को हिफाज़त से रखना चाहिये। उत्तर प्रदेश की बिजली कटौती पर आपके माध्यम से की गई मजाकियां बातें सच्चाई को पूर्णरूप से दर्शा रही थीं। मैं अखिल जी के, इस समस्या का रूप लेती बिजली की कटौती पर ध्यान केन्द्रित करवाने हेतु आभार व्यक्त करता हूं।
अखिल- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सादिक भाई। आपके कमेंट्स और प्रतिक्रियाएं वाकई सराहनीय लगी।
लिली- दोस्तों, सादिक जी ने हमें एक मजेदार चुटकुला भी भेजा है...आइए.. सुनते हैं...।
एक बार बेटी अपनी मां को फोन करती है और कहती हैं...."माँ..। मेरा उनसे झगड़ा हो गया है... मैं ३ महीने के लिये मायके आ रही हूं।" उसकी मां ने कहा, "बेटी...तेरा झगड़ा तेरे पति से हुआ है। सज़ा उसी को मिलनी चाहिये। तू रूक मैं ६ महीने के लिये तेरे घर आ रही हूं।"
अखिल- हां हां हां... बहुत ही मजेदार चुटकुला था। दोस्तों, हमें अगला पत्र मिला हैं... केसिंगा, ओडिशा से हमारे भाई सुरेश अग्रवाल जी का। भाई सुरेश जी लिखते हैं...ताज़ा समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" सुना। आज की प्रस्तुति औसत दर्ज़े की रही, क्योंकि उसमें दी गई अधिकतर जानकारी यहाँ के मीडिया में पहले ही आ चुकी थी। फिर भी गूगल की मदद से ग्वालियर के शोभित शर्मा द्वारा ट्रेन में छूटा अपना सामान प्राप्त कर लेना और व्हाट्सएप की सहायता से बलिया के राजेन्द्र सिंह का अपने परिजनों से पुनर्मिलन की घटना काफी उत्साहवर्धक कही जा सकती हैं। हाँ, ब्रिटेन की सबसे खर्चीली और महज़ महंगे ब्राण्डेड कपड़े पसन्द करने वाली बच्ची चैस की कहानी ज़रूर नई थी। दक्षिण कोरिया छुट्टी बिताने गये एक चीनी पिता को अपने शरारती बच्चे की वज़ह से अवकाश का पूरा समय वहां के दूतावास के चक्कर काटने में बिताना पड़ा-मैं कहूँगा कि इसमें ग़लती बच्चे की नहीं, पिता की लापरवाही की है, जो कि विदेश यात्रा के दौरान ज़रूरी पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज़ को भी सहेज कर नहीं रख सकते। आज के कार्यक्रम में लतीफ़ों और चुटकुलों की तो मानों बहार ही आ गयी थी। पहले छह तथा शायरी के बाद पुनः दो चुटकुले सुनवाया जाना, शायद ज़रुरत से ज़्यादा ही हो गया। वैसे अखिलजी की शायरी दिमाग यदि कम्प्यूटर होता ....... और मीनूजी द्वारा सुनायी गई कहानी काफी उम्दा लगी।