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संडे की मस्ती 2014-06-22
2014-06-23 10:52:56 cri

अखिल- स्वागत हैं एक बार फिर आपका इस हंसी-मजाक के कार्यक्रम संडे की मस्ती में.. और मैं हूं आपका दोस्त अखिल पाराशर।

दोस्तों, किसी राजा के पास एक बकरा था. एक बार उसने एलान किया की जो कोई इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा. किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा. इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है. वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चराता रहा. शाम तक उसने बकरे को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ. बकरे के साथ वह राजा के पास गया. राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी तो बकरा उसे खाने लगा. इस पर राजा ने उस मनुष्य से कहा की तूने उसे पेट भर खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता. बहुतों ने बकरे का पेट भरने का प्रयास किया किंतु ज्योंही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती कि वह खाने लगता.

एक सत्संगी ने सोचा इस एलान का कोई रहस्य है, तत्व है. मैं युक्ति से काम लूँगा. वह बकरे को चराने के लिए ले गया. जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे लकड़ी से मारता. सारे दिन में ऐसा कई बार हुआ. अंत में बकरे ने सोचा की यदि मैं घास खाने का प्रयत्न करूँगा तो मार खानी पड़ेगी. शाम को वह सत्संगी बकरे को लेकर राजदरबार में लौटा. बकरे को उसने बिलकुल घास नहीं खिलाई थी फिर भी राजा से कहा मैंने इसको भरपेट खिलाया है. अत: यह अब बिलकुल घास नहीं खायेगा. कर लीजिये परीक्षा.

राजा ने घास डाली लेकिन उस बकरे ने उसे खाया तो क्या देखा और सूंघा तक नहीं. बकरे के मन में यह बात बैठ गयी थी की घास खाऊंगा तो मार पड़ेगी. अत: उसने घास नहीं खाई.

दोस्तों, यह बकरा हमारा मन ही है. बकरे को घास चराने ले जाने वाला जीवात्मा है. और राजा परमात्मा है. मन को मारो नहीं • मन पर अंकुश रखो. मन सुधरेगा तो जीवन सुधरेगा. मन को विवेक रूपी लकड़ी से रोज पीटो. भोग से जीव तृप्त नहीं हो सकता. भोगी रोगी होता है.

लिली- वाह.. अखिल जी.. बहुत ही अच्छी बात बताई आपने।

अखिल- शुक्रिया लिली जी।

दोस्तों.. गर्मियाँ आ गई है....और बिजली जाना एक आम समस्या है... जब आपके यहाँ बिजली चली जाए, और गर्मी लग रही हो तो क्या करना चाहिए...आज हम आपको बता रहें है।

1) बिजली विभाग को जी भर कर कोसें, गालियाँ दें..

इससे आपके मन को शांति मिलेग़ीं!!

2) दोस्तों को मिस्ड काल और मेसेज करें, वो उठेंगे,

उनकी भी नींद खराब होगी..

इससे आप का दर्द बँट जाएगा, मन में एक अजब सी खुशी का एहसास होगा!!

3) थोड़ी देर धूप में घूमें, पसीना आएगा.. इससे आप ठंडक महसूस करेंगे!!

4) पड़ोसी के बच्चे को खींच कर थप्पड़ मार दें, लड़ाई होगी..

इससे 2-3 घंटे आपका मस्त समय बीत जाएगा। और इतनी देर में तो शायद बिजली वापस आ जाएगी

और यदि तब भी बिजली नहीं आये, तो बीवी के घर वालो की बुराई कर ले,

फिर बिजली आपकी बीवी के अंदर जरुर आ जाएगी और आपको 440 वाट का झटका लगेगा इससे आपकी बिजली की कमी समाप्त हो जायेगी.....

तो दोस्तों, कैसे लगे आपको हमारे सुझाव...। खैर यह एक मजाक था।

चलिए.. अभी सुनिए एक मारवाड़ी की अक्लमंदी...।

एक मारवाड़ी एक डॉक्टर से बोला - डॉक्टर साहब, आप घर चलने की कितनी फीस लेते हो ?

डॉक्टर - तीन सौ रुपये

मारवाड़ी - ठीक है ...चलो डॉक्टर साहब

डॉक्टर ने अपनी गाड़ी निकाली और मारवाड़ी के साथ उसके घर आ गया !

डॉक्टर बोला - मरीज कहाँ है ?

मारवाड़ी- मरीज कोई नहीं है साहब ....टैक्सी वाला पांच सौ रुपये मांग रहा था और आप तीन सौ में यहां ले आये ! (हंसी की आवाज)

दोस्तों, शादी के बाद पत्नी कैसे बदलती है, कभी आपने गौर किया है:

पहले साल में: मैंने कहा जी, खाना खा लीजिए, आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं।

दूसरे साल में: जी खाना तैयार है, लगा दूं?..

तीसरे साल में: खाना बन चुका है, जब खाना हो तब बता देना।

चौथे साल में: खाना बनाकर रख दिया है, मैं बाजार जा रही हूं, खुद ही निकालकर खा लेना।

पांचवे साल में: मैं कहती हूं आज मुझसे खाना नहीं बनेगा, होटल से ले आओ। ..

छठे साल में: जब देखो खाना, खाना और खाना, अभी सुबह ही तो खाया था।:.

दोस्तों, शादी के बाद पति कैसे बदलते है, जरा गौर कीजिए:

पहले साल में: जानू संभलकर... उधर गड्ढा हैं ...

दूसरे साल में : अरे यार देख कर... उधर गड्ढा हैं ..

तीसरे साल में : दिखता नहीं... उधर गड्ढा हैं ..

चोथे साल में : अंधी हैं क्या गड्ढा नहीं दिखता

पांचवे साल : अरे उधर-किधर मरने जा रही हैं गड्ढा तो इधर हैं .हंसी की आवाज)

एक बार प्रोफेसर अपने छात्र बोलता है:- अगर तुम्हे किसी को संतरा देना हो तो क्या बोलोगे?

छात्र कहता है:- ये संतरा लो।

प्रोफेसर बोलता:- नहीं... एक वकील की तरह बोलो...

छात्र कहता है:- मैं एतद् द्वारा अपनी पूरी रुचि व होशो-हवास में और बिना किसी के दबाव में आए इस फल, जो संतरा कहलाता है, और जिस पर मैं पूरा मालिकाना हक़ रखता हूँ, को उसके छिलके, रस, गूदे और बीज सहित आपको देता हूँ और इसके साथ ही आपको इस बात का सम्पूर्ण व बिना शर्त अधिकार भी देता हूँ कि आप इसे काटने, छीलने, फ्रिज में रखने या खाने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र हैं; आप यह अधिकार भी रखेंगे कि आप किसी भी अन्य व्यक्ति को यह फल इसके छिलके, रस, गूदे और बीज के बिना या उसके साथ दे सकते हैं; और अब के बाद मेरा किसी भी प्रकार से इस संतरे से कोई सम्बन्ध नहीं रह जायेगा..!!

दोस्तों, चलते-चलते कहना चाहूंगा कि...

बिंदास मुस्कराओं क्या गम है...। जिंदगी में टेंशन किसको कम है....। अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है....। जिन्दगी का नाम ही... कभी खुशी कभी गम है...।

अखिल- अच्छा दोस्तों, अब जाने का वक्त हो चला है। हम यही कामना करते हैं कि आप सभी हर दिन हंसते रहें, मुस्कराते रहें, और ढेर सारी खुशियां बांटते रहें। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि Laughing is the best medicine यानि हंसना सबसे बढ़िया दवा है। तो Always be happy....हमेशा खुश रहो.....और सुनते रहो हर रविवार, सण्डे की मस्ती। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। हम अपने कार्यक्रम में आपके लैटर्स और ईमेल्स को जरूर शामिल करेंगे। अभी के लिए मुझे और लिली जी को दीजिए इजाजत। । गुड बॉय, नमस्ते।


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