नेपाली लड़की
हंसते हुए नेपाली लड़का
हंसती हुई नेपाली स्त्री
वहीं 1980 के दशक में दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत में जन्म हुआ छङ शीक्वो को सड़क यात्रा करना पसंद है। उसने कहा कि यात्रा के दौरान रास्ते में अलग तरह के लोगों से मिलना और इधर-उधर के असाधारण दृश्यों का मज़ा लेना, उसके लिए बहुत अच्छा अनुभव है। पिछले साल के अप्रैल महीने में छङ शीक्वो ने मोटर साइकिल से स्छ्वान प्रांत की राजधानी छंङतु से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक, फिर ल्हासा से शिकाज़े तक का सफर तय किया। बाद में शिकाज़े से चीन-नेपाल की सीमा पोर्ट चांगमू कस्बे तक की यात्रा की। चांगमू कस्बे से नेपाल तक जाने वाली बस में सवार होकर वह सीधे काठमांडू पहुंच गया। तिब्बत से नेपाल की यात्रा छङ शीक्वो को आज भी उत्साहपूर्ण लगता है। उसने कहा कि यात्रा के दौरान बस में बहुत भीड़ थी, सड़क की स्थिति असुविधापूर्ण थी, लेकिन ऐसी स्थिति में बस में सवार होकर लोग एक दूसरे की मदद करते है और साथ देते है। बस में सफ़र किए पलों को याद करते हुए छङ शीक्वो ने कहा:"मेरा एक दोस्त बस में आगे की तरफ बैठा था। पता नहीं पिछे से कहां से एक तीन या पांच साल के बच्चे को पीछे से आगे तक पहुंचा दिया। अंत में उसके पास आ पहुंचा। कहते हैं कि बस में ट्रेवल करते समय चाहे दूसरे व्यक्ति को जानते हो या नहीं, तुम उससे मदद मांग सकतो हो। लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते है।"
नेपाल की यात्रा का अनुभव चीनी पर्यटक छङ शीक्वो के लिए दूसरी जगह की यात्रा से अलग है। उसने कहा:"हालांकि नेपाल की आर्थिक स्थिति थोड़ी अच्छी नहीं है, फिर भी नेपाली लोग बहुत सदिच्छापूर्ण और उत्साहपूर्ण हैं। यात्रा के दौरान मुझे अनुभव हुआ कि व्यक्ति को एक-दूसरे की मदद करने और एक-दूसरे का ख्याल रखने से खुद को आनंद मिलता है, बल्कि दूसरे को भी खुशियां पहुंचा सकता है। मुझे लगता है कि यह एक अलग तरह की पॉजिटिव एनर्जी है।"
पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत से आए च्यांग हाई का जन्म 1970 के दशक में हुआ था। तिब्बत से नेपाल की यात्रा के पलों को याद करते हुए उसने कहा कि वह नेपाली लोग से बहुत प्रभावित है। एक बार च्यांग हाई रास्ते से भटक गया था। उस वक्त का अनुभव बताते हुए उसने कहा:"काठमांडू की सड़क पर कोई टैक्सी और बस नहीं मिलती है। नेपाली लोग अंग्रेज़ी कम बोलते हैं। हाथ में लिए नक्शा मकड़ी का जाल जैसा लगता था। मैं अपना रास्ता भटक गया था। सड़क पर किसी एक नेपाली से पूछा, लेकिन उसे अंग्रेज़ी नहीं आती थी। तो कोई बात नहीं, वह मेरा हाथ पकड़ते हुए दूसरे व्यक्ति के पास पहुंचा, जिसे अंग्रेज़ी आती थी। यहां तक कि एक बार एक नेपाली ने मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे पुलिसकर्मी के पास पहुंचाया, और फिर पुलिसकर्मी ने मुझे टैक्सी के पास पहुंचाया।"
यात्रा करना सामान्य जीवन से अलग है। लोग सफर करके तंग हुए दिमाग को रिलैक्स करके दुनिया का अहसास कर सकता है। च्यांग हाई ने नेपाल की यात्रा करने वाले दूसरे मित्रों को अपना सुझाव देते हुए कहा:"अपने मन की इच्छा के अनुसार यात्रा करो। जैसा कि एक खाली गिलास में अपने ढंग से पानी भरो। कुछ मत सोचो, सिर्फ़ सैर करो। तुम्हारें मन में एक अलग तरह का अहसास होगा।"