अब बढ़ते हैं अगले पत्र की तरफ जिसे भेजा सीआरआई मोनिटर और हम सभी के चहेते मित्र भाई सुरेश अग्रवाल जी ने। सुरेश जी लिखते है...ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" की शुरुआत ही में आपने फ़ोन पर बात करने वाली जापानी चिड़िया के बारे में जानकारी देकर कार्यक्रम को दिलचस्प बना दिया। फिर इन्दौर में गाय और बैल की शादी पर दस लाख ख़र्च होने का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं था। लन्दन के कार मैकेनिक का सपना साकार होने की बात तो सपने जैसी लगी।"काश " सभी के सपने ऐसे ही साकार होते ! पाकिस्तान में बिल अदा न करने पर संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय सहित तमाम महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों की बिजली काट दिये जाने की घटना से मुझे हैरानी नहीं हुई, क्योंकि इसके लिये संबंधित अधिकारियों की लापरवाही झलकती है। कार्यक्रम में पेश चाय वाले और बुजुर्ग दम्पत्ति की कहानी दिल को छू गई। लानत है ऐसी औलाद पर जो कि अपने माता-पिता को यूँ वृध्दाश्रम भेज देते हैं। बर्थ-डे पार्टी से बिन बुलाये मेहमानों को खदेड़ने का तरीका भी बेजोड़ लगा। गधे,कुत्ते और बन्दर की आयु से बचे वर्षों को पाने वाले इन्सान के जीवन की सच्चाई का किस्सा भी क्या खूब रहा। इसके अलावा जोक्स और कविता के तो कहने ही क्या। धन्यवाद एक और अच्छे अंक की प्रस्तुति के लिये।
लिली- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सुरेश अग्रवाल जी...। सचमुच...आपका पत्र कम शब्दों में पूरे कार्यक्रम को ब्यान कर देता है। हमे पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी और देवाशीष गोप जी के भी पत्र मिले हैं। आप दोनों ने पत्र लिखकर हमारा उत्साहवर्धन किया है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...।
अखिल- चलिए.. अभी सुनते है एक प्यारा सोंग.. उसके बाद बताएंगे कि आज कौनसा डे है जो हर जगह मनाया जा रहा है।
अखिल- वैल्कम बैक, आप सुन रहे है संडे की मस्ती लिली और अखिल के साथ। दोस्तों, क्या आप जानते है कि आज कौन सा डे है जो आज हर जगह मनाया जा रहा है। नहीं याद आया.. चलो हम आपको बताते है। दोस्तो आज है मर्दर्स डे...। जी हां.. मां को सम्मानित करने वाला डे। मां, दुनिया के हर बच्चे के लिए सबसे खास सबसे प्यारा रिश्ता। उस मां को सम्मानित करने के लिए मई माह के दूसरे रविवार को विशेष दिवस मनाया जाता है, जो आज है।
दोस्तों, आपको मालूम है कि अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की अलग-अलग कहानी है। आज हम आपको बताते है मदर्स डे पर संजोई गई यह स्पेशल जानकारियां-
मदर्स डे ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जॉर्विस द्वारा सभी माताओं और उनके गौरवमयी ममता के लिए और विशेष रूप से पारिवारिक और उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरंभ किया गया था। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। इस दिन कई देशों में विशेष छुट्टी घोषित की जाती है।
कुछ विद्वानों का दावा है कि मां के प्रति सम्मान यानी मां की पूजा का रिवाज पुराने ग्रीस से आरंभ हुआ है। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता था। यह दिन त्योहार की तरह मनाने की प्रथा थी। एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत के आस-पास इदेस ऑफ मार्च 15 मार्च से 18 मार्च तक मनाया जाता था।
यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं। उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता था। जिसे Mothering Sunday कहा जाता था। मदरिंग संडे फेस्टिवल, लितुर्गिकल कैलेंडर का हिस्सा है। यह कैथोलिक कैलेंडर में लेतारे संडे, लेंट में चौथे रविवार को वर्जिन मेरी और 'मदर चर्च' को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं। परंपरानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा मां का हर काम परिवार के सदस्य द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है।
अखिल- तो दोस्तों. यह थी मर्दर्स डे के बारे में जानकारी। मर्दर्स डे यानि मां को सम्मानित करने वाला दिवस। पर मेरे ख्याल से साल में एक बार ऐसा दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं है। हर दिन हमारा मर्दर्स डे होना चाहिए। खैर.. यह काम मैं आप पर छोड़ता हूं। आप अपनी राय जरूर लिखें।
लिली- अब मैं हमारे श्रोता दोस्तों को एक रोचक बात बताने लगी हूं। आलस्य को दूर भगाने की शिक्षा बचपन से ही हमें शायद इसलिए दी जाती है कि भविष्य में हम अपने दायित्व के निर्वाह में कोताही न बरतें। अमेरिका के न्यूयॉर्क के इस डाकिए को शायद यह सीख नहीं मिली थी, तभी तो इस खामी के चलते उसे जेल जाना पड़ा। दरअसल पत्रों को घर-घर पहुंचाने की अपनी ड्यूटी को ये महाशय आलस्य के चलते नहीं पूरी कर पाए। करीब 45 हजार पत्रों को उनके ठिकाने पर पहुंचाने की बजाय अपने घर में ही बनाए विशेष गोदाम में जमाकर ठिकाने लगाते रहे। क्षेत्र के लोगों को जरूरी दस्तावेज डाक द्वारा न मिलने पर शिकायतें हुईं। विभाग द्वारा जांच बैठा दी गई। तब जाकर इस आलसी डाकिए की करामात का पता चला। फिलहाल डाक विभाग खेद प्रकट करते हुए अब सारे पत्रों को सही पते पर पहुंचाने में लगा है। अब डाकिया बाबू छह महीने के लिए जेल की सलाखों के पीछे रहेंगे। शायद जेल का आराम उन्हें रास आ जाए।
अखिल- हां हां हां.... अब आलसी डाकिए को जेल में आराम मिलेगा। चलो. मैं भी एक मजेदार किस्सा बताता हूं। दोस्तों, अक्सर वाहनों की आवाजाही के चलते सड़कों पर जाम लगने से आप दो-चार होते हैं, लेकिन स्पेन की राजधान मैड्रिड में एक व्यक्ति की बत्तीसी के चक्कर में हाईवे जाम हो गया। हुआ यूं कि यह व्यक्ति मस्त चाल में हाईवे पर अपनी बाइक चलाते हुए जा रहा था। लेकिन तभी उसे जोर की छींक आई और उसकी नकली बत्तीसी मुंह से निकल सड़क पर जा गिरी। व्यक्ति ने तत्काल ब्रेक मारी और अपने दांत ढूंढने में जुट गया। तलाश में वह इतना मशगूल हो गया, मानों वह भूल गया कि यह हाईवे नहीं उसके घर का आंगन है। लिहाजा जाम लगना शुरू हो गया। कई लोगों ने रुककर व्यक्ति की मदद भी की लेकिन बत्तीसी का कोई पता नहीं चला। आखिरकार जाम लगता देख सुरक्षाकर्मी मौके पर आए और व्यक्ति को बाइक समेत किनारे बैठाकर, जाम हटाया गया।