स्थिति सही रही। हाल में श्या त्यानश्या द्वारा स्थापित इस तङरन जातीय संग्रहालय के आधार पर उनके गांव का विकास हो रहा है और गांव वासियों की आय में भी काफी इज़ाफ़ा हुआ है। विशेषकर देश ने सीमावर्ती क्षेत्र और अति अल्पसंख्यक जातिय क्षेत्र में समर्थन नीति लागू की है, इससे तङरन वासियों के जीवन में भारी परिवर्तन देखने को मिला है।
दस लाख भूदासों की मुक्ति दिवस के उपलक्ष्य में स्थापित मौजूदा प्रचारक दल के सदस्य तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए आम लोग हैं। यह दल तिब्बती जाति, मनपा जाति और तङरन जाति के लोगों से गठित है, जो बुनियादी सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, किसान और चरवाहे आदि शामिल हैं। उन्होंने इस मंच के माध्यम से अपनी कहानी, अपने स्वप्न और नए तिब्बत में नया जीवन दूसरों को बताते हैं।
आमई तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु प्रिफैक्चर की पाछिंग कांउटी स्थित लाशी कस्बे में 17 सालों तक कार्यरत बुनियादी स्तरीय सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने स्थानीय नागरिकों के समाधान के जरुरी मामलों को अपने 30 नोटबुक्स में लिखे हैं। स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों के स्कूल में दाखिला करवाने का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा:"मुझे याद है कि म्यानच्यांग जिले में मैं शिक्षा से जुड़े मामलों की जिम्मेदार उप प्रमुख थी। वहां स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों की स्कूल दाखिला दर मात्र 20 प्रतिशत थी। कुछ बच्चों के माता पिता का कहना था कि हमारे बच्चे स्कूल जा सकते हैं, लेकिन स्कूल जाने के बाद भविष्य में वह जरूर सरकारी कर्मचारी बन सकेगा, क्या इसकी गारंटी देंगे आप? कुछ माता पिता का कहना यह था कि अगर हमारे बच्चे तुम्हारे साथ स्कूल गये, तो पशुपालन कौन करेगा?मैंने इन माता-पिता को पूरी तरह समझाया, लेकिन वे समझे नहीं। याद है कि मैं एक परिवार में 15 बार गयी और अंत में इस परिवार के बच्चे ने स्कल में दाखिला लिया। पूरी गर्मियों में मैं इस प्रकार के समझाने वाला काम करती रहीं और 823 बच्चों ने स्कूल में दाखिला लिया। स्थानीय लोग आए परिवर्तन के लिए मुझसे बेहद खुश है।"
नागरिक प्रचारक दल के एक सम्मेलन में हमारे संवाददाता की मुलाकात तानपा त्सेरिन नामक छात्र से हुई, जो पहले आमई की बातें सुनकर स्कूल में पढ़ने गया था और अब वह तिब्बत विश्वविद्यालय में तीसरे ग्रेड का विद्यार्थी बन गया है। तानपा त्सेरिन ने कहा:"उन्होंने मेरे पिता जी को मुझे स्कूल भेजने के लिए समझाया। मुझे लगता है कि अगर वो नहीं होते तो आज मैं अपने गांव में जरूर गायों को पाल रहा होता। भविष्य में मैं अध्यापिका आमई को मिसाल बनाकर काम करूंगा। मैं अपना योगदान देने के लिए तैयार हूँ। 12 साल की उम्र से पहले मैं कभी स्कूल नहीं गया था। मुझे याद है कि अध्यापिका के हमारे घर आने पर मेरे पिता जी कहा करते थे कि अगर बेटा स्कूल गया, तो घर में पशुओं को कौन पालेगा?लेकिन अंत में अध्यापिका आमई के समझाने पर मुझे स्कूल जाने का अवसर मिला। आज मैं उनका बहुत-बहुत आभारी हूँ।"
दस लाख भूदासों की मुक्ति की 55वीं वर्षगांठ मनाने के उपलक्ष्य पर भूदासों की भावी पीढ़ी एक प्रचारक दल गठित कर लोगों को अपना सपना पूरा करने की कहानियां बताता है। उधर तिब्बत में दस लाख भूदासों की मुक्ति की 55वीं वर्षगांठ मनाने की गतिविधियां अधिक है। पोताला पैलेस स्क्वायर में राष्ट्र-ध्वज फहराने और राष्ट्र गान बजाने की गतिविधियां आयोजित की गई है, और ल्हासा के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सुंदर जातीय पोशाक पहनकर इसमें भाग लिया।
27 मार्च की रात को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार के अध्यक्ष लुसान जांगछुन ने टीवी पर भाषण दिया। उन्होंने कहा:"वर्ष 2013 में तिब्बत में संपूर्ण उत्पादन मूल्य 80 अरब 76 करोड़ युआन तक जा पहुंचा, जो लगातार 21 सालों से बढ़ रहा है। किसानों व चरवाहों की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय 6 हज़ार 5 सौ 78 युआन तक जा पहुंची, जो लगातार 11 साल से 10 से अधिक का इजाफा हो रहा है। 23 लाख किसान व चरवाह सुरक्षित नए मकान में रहने लगे है। उनके जन जीवन में एतिहासिक सुधार हुआ है। 60 प्रतिशत किसानों व चरवाहों के बच्चों को विश्वविद्यालयों में पढ़ने का अवसर मिला हैं। विश्वविद्यालयों से स्नातक तिब्बत मूल के सभी छात्रों को रोज़गार भी मिला हैं।"
लुसान जांगछुन ने कहा कि लोकतांत्रिक सुधार समाजवादी वाले नए तिब्बत के विकास का आधार है। समाजवादी निर्माण से नए तिब्बत में विभिन्न कार्यों का नया अध्याय शुरू हुआ। सुधार और खुलेपन से तिब्बत के शहरों व गांवों में बड़ा बदलाव हुआ है। तिब्बत में विभिन्न जातियों की जनता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में समाजवादी रास्ते में कायम रहेगी। उनके पास बेहतर सुखी जीवन बिताने का आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प है।