मिमा परिवार का रसोई घर
नव वर्ष में स्वादिष्ट पकवान
मिमा की मां लीविंग रुप में बैठते हुए
मिमा की माता जी 87 वर्षीय दादी मां तुनचू चोमा ने पुराने जमाने में तिब्बती पंचांग के नव वर्ष मनाने की याद करते हुए कहा:"वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पहले 30 वर्षों तक भूदास व्यवस्था थी। हर दिन भर पेट खाना भी नहीं मिल पाता था। नव वर्ष के वक्त कुछ अच्छा पकवान खाने की सोच भी नहीं सकते थे। मुझे याद है कि उस वक्त मेरी सबसे बड़ी इच्छा एक बार भर पेट खाने की होती थी। नए साल के त्यौहार के दौरान हमारे पास नए कपड़े नहीं होते थे, हम पुराने कपड़े ही पहनते थे। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व मैंने कुछ बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन चिकित्सा स्थिति अच्छी न होने से वे बच्चे मर गए। पुराने जमाने में हमारे भूदासों के पास न खेती योग्य भूमि थी और न ही शारीरिक स्वतंत्रता। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद ही मुझे शारीरिक स्वतंत्रता मिली और मुझे खेती योग्य भूमि हासिल हुई। तभी से भर पेट खाना खा सकती हूँ।"
इस वर्ष 50 वर्षीय तिब्बती बंधु मिमा की याद में बचपन में नया साल उनके लिए सबसे बड़ी बात थी। मिमा ने कहा:"मुझे याद है कि बचपन में तिब्बती पंचांग के नव वर्ष के दौरान हम सिर्फ़ खासाई और चानपा पकवान खाते थे। मांस और मिठाई कम मिल पाते थे। त्यौहार के दौरान हम रिश्तेदारों के यहां जाते थे, आर्थिक स्थिति अच्छी होने वाले रिश्तेदार सोयाबीन से पकाए गए मांस खाते थे। मुझे आश्चर्य होता था कि दूसरे घर में इस प्रकार की डिश मिल सकती थी। उस समय नव वर्ष के दौरान सबसे खुशी की बात नए कपड़े पहनना होता था। तिब्बती पंचांग के पुराने साल के अंतिम दिन में मैंने अपनी नई तिब्बती पोशाक पलंग पर तकिए के पास रखी, ताकि दूसरे दिन यानी नव वर्ष के पहले दिन की सुबह आंखें खुलने के तुरंत बाद इसे देख पाऊं।"
इस वर्ष तिब्बती बंधु मिमा की छोटी बेटी की उम्र 15 की है, जो ल्हासा के हाईस्कूल में पढ़ती है। उसके लिए पुराने वर्ष के अंतिम दिन की रात का खाना विशेष नहीं होता। क्योंकि साल भर हरेक साधारण दिन में घर में नव वर्ष के बराबर स्वादिष्ट पकवान भी खाया जाता है। पुराने वर्ष के अंतिम दिन की रात को खाने का भी इंतजार नहीं करती। लेकिन आजकल नव वर्ष के त्यौहार में उसके लिए पैसे रखे हुए लाल लिफाफे प्राप्त करना सबसे बड़ी बात है। मिमा की छोटी बेटी ने कहा कि नव वर्ष में माता-पिता, घर के बड़े लोग और रिश्तेदार उसे उपहार के रूप में लाल लिफ़ाफ़ा देते हैं। पिछले वर्ष उसे लाल लिफ़ाफे से एक हजार से अधिक युआन मिले। उसने अनुमान लगाया कि इस साल नव वर्ष के त्यौहार के दौरान उसे पिछले वर्ष से और अधिक पैसे हासिल करेगी। मिमा की छोटी बेटी ने कहा कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। वह लाल लिफाफे से जमा हुए पैसे का प्रयोग कर अपनी मां के लिए एक गिफ्ट खरीदना चाहती है।
87 वर्षीय दादी मां तुमचू चोमा ने कहा कि पहले भर पेट खाना नहीं खा सकती थी। लेकिन इस साल घर में नववर्ष त्यौहार मनाने के लिए पूर्व तैयारियों के लिए कुल 10 हज़ार युआन से अधिक खर्च हुआ। घर में ताज़ा सब्जियां, फल, मिठाई, सोफ्ट ड्रिंक, बीफ़, मटन और पोर्क जैसे खाद्य पदार्थ खरीदे गए। तुनचू चोमा के विचार में तिब्बत में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है। आज के जीवन की पहले कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। तिब्बती पंचांग का नव वर्ष में तुनचू चोमा को उम्मीद है कि परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ रहें। उन्हें आशा है कि वह अगले नववर्ष की खुशियां परिजनों के साथ भी मना सकेंगी, एक और खुशहाल वर्ष का इन्तज़ार कर सकेंगी।