मिमा परिवार का दो मंजिला मकान
2 मार्च से ही तिब्बती लोग तिब्बती नव वर्ष की खुशियां मना रहे हैं। तिब्बती पंचाग का नव वर्ष तिब्बती जाति के लिए एक साल सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। आजकल तिब्बती बहुल क्षेत्रों में तिब्बती पोशाक पहने हुए तिब्बती वासी इधर उधर देखे जा सकते हैं। इस त्यौहार को लेकर लोगों में बड़ा जोश है।
तिब्बत की राजधानी ल्हासा में लोग तिब्बती पंचांग के 12वें महीने से ही नव वर्ष के लिए तैयारियां करते हैं। 12वें माह के मध्य से ही हर परिवार में घी और आटे से बना"खासाई"नामक पकवान बनाया जाता है। यह एक तरह की मिठाई है, जो कि अलग-अलग आकार का होता है और इस पर चीनी डालकर खाना बहुत स्वादिष्ट लगता है। इस दौरान तिब्बती परिवार में"छ्येमा"नामक लकड़ी बॉक्स में चानपा(जौ आटे से बनाए जाने वाला पकवान), गेहूं, बीन्स और गिनसेंग फल जैसी वस्तुएं डाली जाती हैं।"छ्येमा"पर जौ और कोकस्कोम्प(Cockscomb)फूल रखा जाता है। इसका मतलब फसलों की खुशियां मनाना और अगले वर्ष में अच्छे मौसम और समृद्धि की शुभकामनाएं देना है। तिब्बती पंचांग के अनुसार साल के अंतिम दिन तिब्बती लोग पके हुए"खासाई"और बनाए गए"छ्येमा"को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बुद्ध की मूर्ति के सामने रखते हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के चीपङकांग स्ट्रीट पर रहने वाले मिमा परिवार में कुल दस सदस्य हैं। मिमा की मां 87 साल की हो चुकी हैं, और उसकी छोटी बेटी सिर्फ़ 15 साल की है। तिब्बती पंचांग के अनुसार साल के अंतिम दिन (इस वर्ष में 28 फरवरी को) मिमा परिवार के सदस्यों ने पूजा के लिए तैयार "खासाई"और"छ्येमा", ताज़ा फलों और स्वादिष्ट डिश को बुद्ध की मूर्ति के सामने रखा। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर गोलाकार मेज़ के आसपास बैठकर स्वादिष्ट खाना खाने लगे। एक दूसरे को अभिवादन करने और गाने-हंसने की आवाज़ आंगन में गूंजी और सड़क पर दूर-दूर तक फैल गई।