बाजार में हमारे संवाददाता ने देखा कि कुछ ग्राहक समुद्री चीजें खरीकने के बाद सीधे उन्हें पैक कर दूसरे क्षेत्र भेज रहे थे और बाजार के पेशेवर कर्मचारी उनकी मदद कर रहे थे। उन्होंने एक मीटर के लगभग लम्बी मछलियों को एक-एक करके सफेद पैकिंग बोक्सों में रखा, फिर बक्सों में आइस डाले और अंत में बक्सों को गम्मड टेप से सील किया। उन्होंने यह सब फटाफट किया। हो सकता है कि इनमें रखी मछलियां कई घंटों बाद थाइवान के दूसरे क्षेत्रों के भोजन-मेजों पर परोसी जाएंगी। बहुत से मछुआरे अपने-अपने काम में व्यस्त थे। उन्होने हमारे संवाददाता को देखकर मुस्कुराते हुए उन्हें नमस्ते कहा। हमारे संवाददाता ने एक मछुआरे से पूछा, ' इस तरह हर रोज सुबह इतनी जल्दी उठने और देर से आराम करने की जिंदगी जीने में आप को थके लगते हैं कि नहीं? ' मछुआरे ने जवाब दिया, ' फंग हू के लोग इसी तरह जिंदगी जीते हैं ना। आदत पड़ गयी है, इसमें कोई बुरा नहीं है।' बिल्कुल सही है कि आदत पड़ जाना अच्छा है। यह जिंदगी का मूल असलियत भी हो सकता है। मछली-बाजार में आप ऐसा दृश्य भी देख सकते हैं कि पत्नियां मोटर-साइकिलों से समुद्र-तट आकर अपने-अपने पतियों का इन्तजार कर रही हैं। जब सूर्योदय हुआ, तो सूर्य की किरणों में पूरा बाजार एक अति सुन्दर चित्र सा बन गया। हमारे संवाददाता ने कहा कि समय के लिहाज से वह क्षण उन्हें खासा खूबसूरत महसूस हुआ।
फंगहू का मछली-बाजार
2017-03-08 14:41:47 cri