पोताला महल क्यों हजार वर्षों के बाद भी आज जस के तस मजबूती से खड़ा है? इस आलीशान महल के मुख्य भाग की 13 मंजिलें हैं, जिसकी ऊँचाई 170 मीटर से ऊपर है। हजार वर्षों के बाद चट्टानों से बने इस महल की मजबूती में थोड़ी भी कमी नहीं आई है। महल के प्रबंधन-कार्यालय के प्रधान तिन छांगजंग ने कहा कि मूल मजबूत नींव महल की सुरक्षा की पहली गारंटी है। फिर वर्षों में लगातार चट्टानों से महल की दीवारों को मजबूत किया गया है। सहायक-दीवार के रूप में चट्टानों की मदद से पोताला महल हमेशा से मजबूत रहा है।
श्री तिन छांगजंग ने कहा कि पोताल महल पहाड़ की ऊंचाई के साथ-साथ बना है। उसकी दीवारों का आधार कुछ जगह पर 5 मीटर से भी अधिक मौटा है। जैसे जैसे ऊँचाई बढती रही, दीवारों का आधार पतला होता रहा। महल के ऊपरी भाग पर दीवारें 1 मीटर पतली हो गईं । सौ मीटर ऊंची दीवारें चाकू से कटी एक सपाट चट्टान की तरह खड़ी दिखाई दे रही हैं। इसे देखकर कोई ऐसा नहीं हो सकता कि अचंभे में नहीं पड़ता।
ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार पोताला महल को सदा के लिए मजबूत स्थिति में बनाए रखने के लिए महल की कई दीवारों में घुला लौहा डाला गया था। इसकी पुष्टि के लिए महल का प्रबंधन करने वाले लोग हमेशा इस पर निगाह रखे हुए हैं कि क्या महल की किसी दीवार पर दरार आई है कि नहीं और उसमें कोई लोहे का पत्थर दिखाई दिया है या नहीं। लेकिन अबतक इसके संदर्भ में कुछ भी नहीं पाया गया है।
श्री तिन छांगजंन ने जानकारी दी कि महल की दीवारें बनाने में बाईमा नामक फूस का प्रयोग किया गया। यह फूस बहुत टिकाऊ है और गर्मी, नमी एवं कीट रोधी है। इस तरह के फूस के प्रयोग से दीवारों का वज़न इतना भारी नहीं है, जितना आम दीवारों का। इन फूसों को रंगाई से लाल बनाया गया था। वह असल में दीवारों का एक भाग बनता है।