इसमें दो राय नहीं हैं कि आर्थिक विकास करने की मानव की कार्यवाही ने, जिसमें पर्यटन का विकास करना भी शामिल है, पारिस्थितिक प्रणाली की बहाली और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। राष्ट्रीय उद्यान ऐसा संरक्षित क्षेत्र नहीं बनना चाहिए, जिसमें विशेष जीव-जंतुओं एवं वनस्पत्तियों की प्रजातियां या कुदरती दृश्य बाहरी दुनिया से अलग हो। इसका कारण यह है कि हम उन के संरक्षण के लिए उनकी अस्तित्व पर पर्दा नहीं डाल सकते हैं। पर्यटकों को करीब से सुरम्य प्रकृति देखने का मौका दिया जाए, उन्हें इन संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व का दिल से एहसास कराया जाए और उनमें संबद्ध जागरूकता फैलाई जाए, इस सब की दीर्धकालिक अहमियत है, बल्कि राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ी शिक्षा में यह भी सब से बड़ा मूल्य है। लेकिन जब भी पर्यटन एवं सैर-सपाटे की बात करें, तो पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर ढांचागत निर्माण की समस्या आती है। ऐसे में कृत्रिम सुविधाओं के निर्माण से उद्यान को संरक्षित करने का संस्थापन धीरे-धीरे खोखला हो जाएंगा। यद्यपि विभिन्न देशों ने अपने-अपने राष्ट्रीय उद्यानों के संरक्षण में वस्तुस्थिति के अनुसार अलग-अलग कदम उठाए हैं, तो भी उन्होंने आम तौर पर ऐसा फार्मूला अख्तियर किया है, जिसके तहत राष्ट्रीय उद्यान को केंद्रीय क्षेत्र, वैज्ञानिक शोध क्षेत्र और पर्यटन-क्षेत्र में बांटा गया है। उनमें पर्यटन-क्षेत्र सब से छोटा है। जैसे अमेरीका के येलोस्टोन नेशनल पार्क में पर्यटन-क्षेत्र सारे पार्क के कुल क्षेत्रफल का सिर्फ 5 प्रतिशत है। वास्तव में एक साल पहले चीन के विकास आयोग ने देश के अन्य 13 केंद्रीय मंत्रालयों के साथ मिलकर राष्ट्रीय उद्यान की प्रणाली की स्थापना के लिए एक प्रायोगिक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें संबद्ध प्रायोगिक काम के लिए देश के 9 नेशनल पार्को को चुन लिया गया। लेकिन ये 9 राष्ट्रीय उद्यान एक दूसरे से दूर रहते है। इसलिए उनमें संबद्ध प्रायोगिक काम एकीकृत रूस से आगे नहीं चलाए जा सके हैं। नतीजतन इन उद्यानों के केंद्रीय क्षेत्र में पारिस्थितिक पर्यावरण अब भी कमजोर है। ऐसे में इन केंद्रीय क्षेत्रों में पर्यटन-उद्योग नहीं चलाया जाना निस्संदेह युक्तिसंगत है।
इससे पहले चीन में शहरी एवं ग्रामीण परियोजना-कानून, भूमि प्रबधन-कानून, पर्यावरण संरक्षण-कानून और अन्य कई संबद्ध कानून जारी किए जा चुके हैं, जिनसब का सुरम्य प्राकृतिक क्षेत्रों के संरक्षण से निकट संबंध है। चीन के जल-संसाधन मंत्रालय, नेशनल समुद्री मामला ब्यूरो, राष्ट्रीय वानिकी ब्यूरो और राष्ट्रीय पर्यटन महाब्यूरो ने भी संबंधित नियम बनाए हैं, जिससे कि नेशनल पार्कों के केंद्रीय क्षेत्र में पर्यटन-उद्योग नहीं चलाने में मदद मिल सके।
किसी भी राष्ट्रीय उद्यान की प्राथमिकी उसकी सार्वजनिक कल्याण है। मनोरंजन आधारित पर्यटन के प्रति अपने रूख बदलने, विज्ञान और सुन्दर प्रकृति से मन एवं दिमाग को सराबोर करने से नागरिक राष्ट्रीय उद्यानों को बेहतर बनाने में योगदान कर सकते हैं।