इस चाय-घर में कार्यरत चाय-कला मास्टर श्रीमती चांग लिन ली ने कहाः
'ऐसा होता है कि बहुत से लोग चाय बटोरने के समय चाय उत्पादक क्षेत्र जाने में असमर्थ हैं और ऐसे में उनकी चाय बनाने की जानकारी हासिल करने की इच्छा नहीं पूरी हो सकती है। इस लिहाज से हम वहां से ताजा चाय मंगवा कर उसे हवाई जहाज से यहां पहुंचाते हैं या भी किसी कर्मचारी को ताजा चाय लाने के लिए वहां भेजते हैं। हमारे चाय-घर में इस की गारंटी है कि परोसी जाने वाली सभी चाय तरोताजा है। और यह भी एक वजह है कि बहुत से पर्यटक मंदिर के दर्शन के दौरान किसी न किसी समय निकालकर चाय पीने के लिए हमारे यहां आते हैं।'
इस चाय-घर की एक परंपरा है कि हर साल मैगनोलिया फूल नामक चाय-उत्सव का आयोजन होता है। अभी कुछ समय पहले उसके 19वें सत्र का आयोजन हुआ। हमारे संवाददाता ने उसमें भाग लिया और देखा कि उत्सव मनाने के लिए चाय-घर में एक तरफ़ चाय बनाने की कला प्रदर्शित करने का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा था और दूसरी तरफ कलाकार परंपरागत चीनी वाद्यों से प्राचीन चीनी संगीत बजा रहे थे। पूरे चाय-घर में चीनी संस्कृति एवं परंपरा का माहौल व्याप्त था।
चांग लिन ली के अनुसार हमारे चाय-घर में नियमित ग्राहक हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जो विशेष रूप से मंदिर देखने नहीं, बल्कि चाय पीने के लिए आते हैं। महानगरों के भीड़-भाड़ वाले माहौल और भाग-दौड़ वाले व्यस्त जीवन से छुटकारा पाकर यहां चाय पीने आना अवश्य ही बहुत से लोगों का आराम करने वाला एक अनिवार्य कार्यक्रम बन गया है।
पेइचिंग शहर में बहुत से दर्शनीय स्थल हैं, जो चारों मासमों में अगल-अलग तौर पर अपनी-अपनी विशेषताएं दिखाते है। महाबुद्धि मंदिर की विशेषता तो वसंतकाल में अपने चरम पर है।