वसंतकाल में यहां खिले तरह-तरह के खूबसूरत फूलों में सफेद रंग वाला मैगनोलिया उल्लेखनीय है। महल के परिसर के बीचोंबीच 10 मीटर से अधिक ऊँचा एक मैगनोलिया पेड़ खड़ा है। श्री वांग सुंग के अनुसार यह पेड़ 300 वर्षों से ऊपर पुराना है, जो सारे पेइचिंग शहर में पाए जाने वाले अपने किस्म के पेड़ों में सब से पुराना है। लोककथा के अनुसार सम्राट युंगजन के बौद्ध गुरु च्या लिन ने अपने पैतृक घर सछ्वान से यह पेड़ यहां लाया था।
पेइचिंग में हर साल अप्रैल-मई माहों के दौरान मैगनोलिया फूल खूब खिलते हैं। और इस पेड़ पर बड़े आकार में खिले हुए सफेद रंग वाले मैगनोलिया फूल यात्रियों की आंखों में मोती से बन जाते हैं। तब आप देख सकते हैं कि इस पेड़ के साथ फोटो खींचने वाले पर्यटकों की कितनी भीड़ लगी है। पहली बार इस मंदिर के दर्शन आए अमेरिकी पर्यटक Kellie﹒Dvorchak ने कहाः
' महाबुद्धि मंदिर सचमुच सुन्दर है। मुझे यहां संरक्षित गहन इतिहास, प्राचीन पेड़ और चीनी परंपरागत वास्तु बेहद पसंद है। यहां जो खूबसूरत अनुभव मैं ने किया है, वह अमेरिका में मुझे कभी नहीं हुआ था। यहां आने से पहले मैं कॉफी ज्यादा पीता था, ग्रीन टी बहुत कम पीता। लेकिन यहां जो ग्रीन टी पीया, मुझे वह बहुत अच्छा लगा। खास बात यह है कि यहां चाय बनाने और परोसने की कला लाजवाब है। '
मंदिर के परिसर में मैनगोलिया पेड़ के अलावा एक जिन्कगो पेड़ भी मशहूर है। हजार वर्ष पुराना यह पेड़ अमितायुस भवन के सामने खड़ा है। अब उसकी परिधि 8.4 मीटर हो गई है। कम से कम 5 वयस्क आदमी हाथों में हाथ मिलाकर भी पूरे पड़े को घेरा सकते है। छिग राजवंश के छैनलुंग सम्राट ने अपनी एक कवि में इस पेड़ का उसकी पुरानी इतिहास के कारण गुणगान किया था। महाबुद्धि मंदिर के परिसर में प्राचीन पेड़ों और प्राचीन वास्तुओ को देखते हुए आप को समय के परिचालन य कहे प्राचीन काल को छूने का अहसास हो सकता है।
महाबुद्धि मंदिर के पीछे पहाड़ी पर किसी चश्मे से पानी बह रहा है, जो मंदिर के परिसर में पेड़-पौधों का पालन-पोषण कर रहा है। परिसर में मिंग ह्वी चाय-घर भी मशहूर है। इसमें जो चाय परोसी जाती है, वह चश्मे के पानी से बनती है। इसलिए चाय का स्वाद खासा-अच्छा है। चीन में हर साल मार्च महीना चाय बटोरने का समय है। तरो-ताजा चाय का स्वाद सब से अच्छा है। एन वक्त मिंग ह्वी चाय-घर अपने कर्मचारी को ताजा चाय खरीदने के लिए चाय उत्पादक क्षेत्र भेजता है और चाय बनाने वाले मास्टर को चाय-कला-प्रदर्शन के लिए आने का आमंत्रण भी देता है। चाय-घर में बैठे पर्यटक चाय पीने का आनन्द लेने के साथ-साथ चाय बनाने का ज्ञान भी ले सकते हैं। चाय की पत्तियां किसी तरह से भुनाई जाने के बाद खुशबू वाली चाय बनती है? फिर कैसे एक-एक कप या एक-एक गिसाल में जाकर स्वादिष्ट चाय बनती है? यह सब पर्यटक इस चाय-घर में बैठे आराम से चाय पीने के बाद जान सकते हैं।