पिछली शताब्दी के 1995 में यह धनराशि चीन में किसी भी ग्रामीण किशोर के लिए अहम मायने रखती थी। साऊरजांग ने अपने सपने को पूरा करने के लिए 270 य्वान के साथ अपने गांव छोड़कर उरुमुची गए। वहां उन्हें एक बड़े रेस्ट्रां में नौकरी करने के साथ साथ पाककला सीखने का मौका मिला। चार सालों की मेहनत के बाद उन्होंने तरह-तरह के नूडल और व्यंजन बनाने में महारत हासिल की। वर्ष 2000 में उनके मां-बाप ने उनसे शादी कर अपना घर बसाने को कहा।
' उस समय शादी के लिए मेरे पास पैसा नहीं था। और न मैंने शादी के लिए मां-बाप से पैसा लेना चाहा। मेरे विचार में शादी अपने ही पैसों के बल होनी चाहिए, न कि किसी और के। संयोग से मेरे एक मित्र ने मुझे शांगहाई में काम करने का आँफर दिया।'
2001 में साऊरजांग पहली बार शांगहाई जाने वाली रेलगाड़ी पर चढ़ गये। जो काम उन्हें करना था, वह एक छोटी से कबाब-दुकान में खाना पकाना है। यह दुकान आज के विख्यात येलीशाली रेस्ट्रां में तब्दील हो गयी है।
' शांगहाई आने के बाद शुरुआती समय में हमें ढ़ेर सारी दिक्कतें आईं। बाहर घूमना चाहते थे, कपड़े और अन्य जरूरतमंद चीजें खरीदना चाहते थे, लेकिन यातायात की सुविधा कैसे लें, किस रास्त से पैदल चले, और कौन-सी बस पकड़ें?यह सब हम नहीं जानते थे। हमारी सब से बड़ी समस्या है कि हमें हान भाषा बोलना नहीं आता।'
रेस्ट्रां में लोगों के बीच बातचीत में भाषा एक बाधा बन गई। इसे दूर करने के लिए रेस्ट्रां के प्रबंधक ने हर हफ्ते निश्चित समय निकालकर हान भाषा और वेवुर भाषा सीखाने की कक्षा चलानी शुरू की। कक्षा में हान जाति और वेवुर जाति के लोग एक दूसरे की भाषाएं सीखने की मेहनत की। तीन साल बाद साऊरजांग फरार्टे से हान भाषा में बातचीत कर सके।
चांग फ़ामाई इस रेस्ट्रां की एक कर्मचारी है। ह्वई जाति की यह लड़की तीन साल पहले उरूमुची से शांगहाई आई। शुरुआती दिनों में उन्हें रेस्ट्रां में सेवक का काम अच्छा नहीं लगा और पछतावा हुआ।
'हमारा रेस्ट्रां हमेशा व्यस्त रहता है। हमें रोजाना 10 से अधिक घंटों तक काम करना था। जब तक ग्राहक रेस्ट्रां नहीं छोड़ जाते, तब तक हमें ड्यूटी पर टिके रहना पड़ा। ऐसे में हमने हद से ज्यादा परिश्रम की और खुद को बेहद थका हुआ महसूस किया। पर मेरी मां मेरी मजबूत पीठ है। उन्होंने मेरे लिए परिश्रम करने की मिसाल खड़ी की है। उनके प्रोत्साहन से मैं यहां रह गई।'
चांग फ़ामाई येलीशाली रेस्ट्रां की थ्यैनशान शाखा में काम करती हैं। इस शाखा में काम करने वाले 50 प्रतिशत लोग अल्पसंख्यक जाति के हैं। चांग फ़ाईमाई को यहां पारिवारिक माहौल में प्यार और ख्याल का अहसास हुआ।
'एक दिन मैं सर्दी-जुकाम का शिकार होकर बिस्तर से नहीं उठ सकी। दोपहर को मेरे बोस स्वयं भोजन लेकर मेरे पास आए और मेरा हालचाल पूछा। इससे मैं बहुत प्रभावित हुई।'
अपने नेता और सहकर्मियों की मदद से चांग फ़ामाई सेवा-काम के प्रति अपने नकारात्मक विचार को दूर कर बड़े उत्साह के साथ काम में लग गईं। उनकी सेवा लेने वाले ग्राहकों में कोई ऐसा नहीं है, जिन्होंने उनकी प्रशंसा नहीं की। तीन महीने पहले उन्हें रेस्ट्रां के क्षेत्रीय नेता के रूप में पदोन्नत किया गया।
बहुत से ग्राहकों ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर लिखा- येलीशाली हलाल रेस्ट्रां में जो भोजन और व्यंजन उपलब्ध हैं, वे सब गुणवत्ता, मात्रा, स्वाद और विशेषता में लाजवाब हैं। मदन-कबाब, मसालेदार चिकन, दही और तली हुई पनीर मुंह को पानी करते है------ रेस्ट्रां के केंद्र में एक नृत्य-मंच है, जिस पर हर रोज रात में शिनच्यांग के विशेष नाचगान प्रस्तुत किए जाते हैं। यहां ग्राहकों को न सिर्फ खाने बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द भी ले सकते है।
जी हां, नृत्यगान की प्रस्तुति इस रेस्ट्रां का एक आकर्षक बिन्दु है। इस रेस्ट्रां ने 6 साल पहले एक नृत्य मंडली स्थापित की थी। इसके तमाम सदस्य शिनच्यांग से हैं। हर सप्ताह मंडली किराए पर लिए एक बड़े हॉल में रिहर्सल करती है। वेवुर युवक टुरहुंगज्यांग इस मंडली के कला-निर्देशक हैं। उन्हें यह काम शुरू किए ज्यादा समय नहीं बीते हैं। उनके सामने बड़ी चुनौती है कि कैसे परंपरागत नृत्य में आधुनिक तत्व जोड़ा जाए और शिनच्यांग की विविधता वाली संस्कृति और कला का किस तरह से प्रचार-प्रसार किया जाए।