कुछ समय पहले हमारे संवाददाता ने पूर्वी चीन के शांगहाई शहर का दौरा किया। इस शहर के बारे में आपने जरूर बहुत कुछ सुना और पढ़ा है। हां, वह चीन में सब से बड़ा वाणिज्य और बैंकिंग केंद्र है, जैसा कि मुंबई भारत में सब से बड़ा वाणिज्य और बैंकिंग केंद्र है। शांगहाई शहर में येलीशाली नाम का एक हलाल रेस्ट्रां बहुत लोकप्रिय है। हमारे संवाददाता हलाल भोजन के लिए वहां गए।
दिन ढलने के बाद इक्का-दुक्का ग्राहक इस रेस्ट्रां में आते नजर आए। पर आधे घंट से भी कम समय में यह रेस्ट्रां ग्राहकों से करीब भरा देखा गया। अंत में ऐसा हो गया कि जो ग्राहक देर से आया, उसे रेस्ट्रां के बाहरी गलियारे में इन्तजार करना पड़ा। यहां के एक पुराने ग्राहक ने कहा कि ग्राहकों की लगी लाइन इस रेस्ट्रां का एक दृश्य रहा है। इस रेस्ट्रां में न केवल शिनच्यांग के मूल स्वाद वाले शुद्ध हलाल भोजन, बल्कि शांगहाई के विशिष्ट स्वाद वाले व्यंजन भी परोसे जाते हैं। हर रोज रात्रि-भोजन के समय शिनच्यांग के सुन्दर नृत्यगान की प्रस्तुति इस रेस्ट्रां का एक अनिवार्य कार्यक्रम है, जो बड़ी तादाद में ग्राहकों को आकर्षित करता है। लजीज भोजन और सुन्दर नृत्यगान ग्राहकों को खुश करने के साथ साथ रात की गोद में लिपटे शांगहाई को और भी खूबसरत बनाते हैं।
येलीशाली वेवुर भाषा है, जिसका अर्थ है पृथ्वी। रेस्ट्रां के संस्थापक ने विविध संस्कृतियों के मिश्रिण के बारे में अपना विचार प्रकट करने के लिए रेस्ट्रां को येलीशाली का नाम दिया था। 13 साल पहले यह रेस्ट्रां कबाब बनाने वाली एक छोटी सी दुकान थी, जो कई शिनच्यांगवासियों ने मिलकर बनायी थी। धीरे-धीरे विकसित होकर उसने वर्तमान शानदार रेस्ट्रां का रूप ले लिया है। आज उसकी शांगहाई में 9 शाखाएं कायम हैं, जिनमें हान, ह्वई, वेवुर, कजाक और तिबब्ती जैसी 17 अल्पसंख्यक जातियों के 800 से ज्यादा लोग काम करते हैं। उनमें से लगभग 300 लोग शिनच्यांग से आए हैं और उन्होंने शांगहाई में अपने घर बसाए हैं।
सुबह साढे 8 बजे शांगहाई की चाओच्याबांग सड़क पर रहने वाले रसोइया साऊरज्यांग दो दिनों की छुट्टियां मनाने के बाद खुशी-खुशी रेस्ट्रां जाने की तैयारी में थे। रेस्ट्रां ने अपने कर्मियों के लिए जो आवासीय मकानों का बन्दोबस्त किया है, वे सब रेस्ट्रां के निकट हैं। वहां से रेस्ट्रां तक पैदल चलने में सिर्फ 10 मिनटें लगती हैं। बीते कई दिनों से लगातार हुई बारिश ने शांगहाई की सुबह को तरोताजा बनाया। सूखे मौसम वाले दक्षिणी शिनच्यांग के ह थ्यैन प्रिफेंकचर से आए साऊरज्यांग कब से ही शांगहाई के बारिश वाले मौसम के आदी हो चुके हैं।
' किसी ने मुझसे पूछा- आपको शांगहाई आए कितने साल हो गए हैं?मैंने जवाब दिया कि दसेक साल हो चुके हैं। उसने कहा-आप तो बिल्कुल एक पुराने शांगहाईवासी हैं। हां, मुझे खुद भी ऐसा लगा है।'
साऊरज्यांग ने शांगहाई में 14 साल व्यतीत किए हैं। उन्हें शांगहाई बहुत पसन्द आ गया है। हर रोज सुबह 10 बजे से उनका व्यस्त काम शुरू होता है। वह हर रोज 300 से अधिक प्लेट विशिष्ट नूडल और बिरयानी बनाने के अलावा रेस्ट्रां में उपलब्ध तमाम खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का काम भी करते हैं। उनका कहना है कि यह रेस्ट्रां खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
साऊरज्यांग के अनुसार शांगहाई आने से पहले उनका सब से बड़ा सपना शिनच्यांग की राजधानी उरूमूची जाकर किसी हुनर में दक्षता प्राप्त करना था, ताकि उनके माता-पिता बेहतर जीवन बिता सके।
'मेरा घर गांव में हैं। किशोरावस्था में मैंने सोचा था कि किसी हुनर में दक्षता प्राप्त करना नियमित स्कूली पढ़ाई से बेहतर होगा। उस समय मेरे पिता जी अक्सर मुझे जेबखर्च के तौर पर 50 पैसे देते थे। हर बार मैं उनमें से 30 पैसे खर्च करता था और बाकी 20 पैसे जमा करता था। मैं इन पैसों को एक तुंबी में डालता था। आधे साल बाद जब मैंने तुंबी तोड़ी, तो उसमें से 270 य्वान (लगभग 1650 रुपए) निकले।'