पश्चिमी द्वार से प्रवेश करते ही बहुत से खोंमचेवाले भी दिखाई देते हैं। सूचओ शहर के परम्परागत स्थानीय व्यंजन देशभर में मशहूर हैं। उनकी किस्में अनेक हैं। जैसे सनाय(आसमेन्थस), राजमा और चावल को मिलाकर बनाई गई मीठी लपसी, कमलककड़ी के आटे के रसगुल्ले, समोसे के आकार के "हुनथुन" और "क्वोथ्ये", भाप में बने "पाओचि" और तले मूली के लच्छे आदि। ये व्यंजन बहुत सस्ते हैं। केवल चार-पांच सेन्ट में एक व्यंजन का स्वाद लिया जा सकता है। ह्वाडंथ्येनय्वान नामक एक दुकान का इतिहास सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। इस दुकान में चिकने चावल के आटे के बहत्तर किस्म के व्यंजन बिकते हैं। यहां हमेशा ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। सोयाबीन का एक बहुत मुलायम पनीर, जिसे सात-आठ प्रकार के मसाले मिलाकर खाया जाता है, पिछले कुछ वर्षों में लगभग लुप्त हो चुका था। अब यह व्यंजन फिर मिलना शुरू हो गया है। लोग इसे बेहद पसन्द करते हैं। इन चीजों के अलावा यहां कुछ खास किस्मों का स्थानीय भोजन भी मिलता है।
खोंमचों के उत्तर में दर्जी ग्राहकों के लिए कपड़े बना रहे थे। देखने में वह एक खुली वर्कशाप मालूम पड़ती थी। वहां कपड़ों की कटिंग से लेकर उनकी सिलाई और इस्तिरी करने तक के सब काम खुले में किए जाते हैं। वर्कशाप के कुछ अनुभवी दर्जी फैशनदार कपड़े बनाने में निपुण हैं, इसलिए उनके पास हमेशा ग्राहकों का तांता लगा रहता है।
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