इस मन्दिर का मुख्य द्वार बड़ा आलीशान है। उसके दोनों ओर दो छोटे-छोटे द्वार हैं। पूर्वी द्वार से प्रवेश करते ही आपको छोटे-छोटे स्टालों की कतारें नजर आएंगी, जिन में रोजमर्रा के इस्तेमाल की छोटी-मोटी चीज़ें, लोहे व लकड़ी की दस्तकारी की चीज़ें, फूल-पौधे, मन्दिर और सुनहरी मछलियां आदि विविध प्रकार की वस्तुएं बिकती हैं। ज्यादातर दुकानदार निजी व्यापारी हैं। उन्हें माल सप्लाई और पूंजीनिवेश में स्थानीय सरकार से मदद मिलती है। कुछ छोटी-छोटी चीज़ें विक्रेता स्वयं भी बनाते हैं। इन चीज़ों के दाम सरकारी दुकानों में बिकने वाले इसी किस्म के माल से सस्ते होते हैं। यहां ऐसी चीज़ें भी मिलती हैं जो आम बाजार में कम दिखाई देती हैं। उदाहरण के लइए, एक ग्राहक ने यहां एक छोटा-सा चिमटा देखा। यह उसे इतना पसन्द आया कि उसने फौरन 5 चिमटे खरीद लिए। यहां महिलाओं के लिए कपड़े से बनाए जाने वाले तरह-तरह के सुन्दर बटन खूब बिकते हैं। नाना प्रकार के फूल-पौधे और अजीबोगरीब जड़ों वाले पेड़ फूलप्रेमियों और गमलों में बागबानी के शौकीनों को बराबर आकर्षित करते रहते हैं। हाट-बाजार में चश्मे और जूते की मरम्मत करने वाले और चाबियां बनाने वाले भी बैठते हैं, जो इन चीजों की हाथ के हाथ मरम्मत कर देते हैं।
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