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    प्राचीन चीनी वास्तुशिल्प का महत्वपूर्ण हिस्साः मेहराब
    2015-05-19 15:45:02 cri

    पूर्वी हान राजवंश के भाषाशास्त्री श्वी शन द्वारा संपादित शब्दकोश "श्वो वन च्येच" में छ्याओ(पुल) चीनी रेखाक्षर का अर्थ नदी के ऊपर निर्मित वक्र व ऊंची संरचना लिखा है। इससे यह संकेत मिलता है कि पूर्वी हान राजवंश में भी मेहराबदार पुल थे। पर यह निश्चित नहीं है कि ये पुल लकड़ी के थे या पत्थर के। सुडं राजवंश की प्रसिद्ध पेंटिंग "छिडंमिडं त्योहार में नदी की सैर" में चित्रित हुडं(इंद्रधनुष) पुल बहुत पहले नष्ट हो गया। प्राचीन मेहराब दार पुल का उत्कृष्ट प्रमाण हपेई प्रांत की चाओश्येन काउंटी में स्थित चाओचओ पुल है। इसे आनचि पुल भी कहते हैं। इसका निर्माण प्रसिद्ध राजगीर ली छुन ने 610 ई. में किया था। यह पहला खुले स्कंध का मेहराबदार पुल है, इसमें मेहराब स्कंध के दोनों छोर पर दो छोटे छेद हैं। इस तकनीक से पुल का भार कम हुआ और बरसात के मौसम में पानी के जमाव के खतरे से बचा जा सका। आधुनिक अभियंताओं की दृष्टि में इस पुल की संरचना वैज्ञानिक दृष्टि से उत्तम हैं, क्योंकि मेहराब के प्रत्येक हिस्से पर पुल के एक भाग का भार टिका होता है और इस तरह पुल का तनाव कम होता है। इस तकनीक से परिवहन की सुविधा बढ़ जाती है और इस शैली के पुल देखने में भी सुंदर लगते हैं। 37.02 मीटर लंबा यह पुल अपने समय में अद्वितीय था। बाद के मेहराबदार पुलों का निर्माण इस से प्रभावित हुआ। यूरोप में खुले स्कंध के ऐसे पुल लगभग 1200 वर्ष बाद 19वीं सदी में प्रचलित हुए।

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