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    क्वाडंशी च्वाडं स्वायत प्रदेश
    2015-04-21 15:20:09 cri

    क्वाडंशी प्रदेश का विभिन्न जातियों की दक्ष व प्रतिभावान जनता ने आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में शानदार करिश्मा कर दिखाया है। यहां चीन की विख्यात प्राचीन जल सिंचाई परियोजनाओं में से एक छिन राजवंश के काल(221ई.पू-206 ई.पू) में निर्मित लिडंछ्वी नहर आज तक इस क्षेत्र को सींच रही है। रुडंश्येन काउन्टी केंद्र के पूर्व में स्थित चनऊ मंदिर अपना एक विशेष भव्य रूप लिए खड़ा है। इसकी खास बात यह है कि मंदिर की दूसरी व तीसरी मंजिल की "लटकती धरनें"चीन की प्राचीन वास्तुकला की दुर्लभ वस्तु हैं, जिन्हें खम्भों के सहारे नहीं टिकाया गया है। सानच्याडं तुडं जाति स्वायत काउन्टी की लिनशी नदी पर खड़ा"वायु-वर्षा पुल"और माफाडं गांव की ढोल मीनार वास्तु कला की दृष्टि से अत्यंत जटिल व भव्य है। इन दोनों वास्तुओं की संपूर्ण संरचनाओं में कील-कांटों का प्रयोग बिलकुल नहीं किया गया और वास्तु के तमाम भागों को जोड़ने के लिए केवल नूलों का ही सहारा लिया गया है। इनसे वास्तु निर्माण में तुडं जाति की कुशलता और उन्नत कारीगरी जाहिए होती है। इस प्रदेश की होफू काउन्टी में पैदा होने वाला"दक्षिण मोती"अपनी विशेष गोलाई, सफेदी और चमक के लिए विख्यात है और प्राचीन काल से चीन का दुर्लभ रत्न माना जाता है। गुण के लिहाज से ये मोती आज भी विश्व में श्रेष्ठ हैं। यहां च्वोच्याडं नदी और मिडंच्याडं नदी के दोनों किनारों पर फैली 300 किलोमीटर लम्बी"ह्वाशान भित्ति चित्रावली"अत्यंत मशहूर है, जो 2000 से अधिक वर्षों पहले ये जाति के पूर्वजों द्वारा चित्रित की गई। यह भित्ति चित्रावली भव्य व सुन्दर है, जिसपर मानवाकृतियां व वस्तुओं के चित्र अंकित हैं। प्राचीन शैली में चित्रित इस चित्रावली में रंगों का सुन्दर संयोजन है। च्वाडं जाति की लोककला में चित्रित व वर्णित पौराणिक गायिका ल्यू सानचे वास्तव में च्वाडं जाति की जनता की बुद्धिमत्ता, चतुरता व निपुणता की प्रतीक है। इनके अलावा यहां तैयार होने वाले च्वाडं ब्रोकेड, न्याओ व तुडं कसीदाकारी बड़ी विख्यात हैं और यहां की अल्पसंख्यक जातियों के गीत-नृत्य, लोक-कथाएं व दन्तकथाएं चीन की राष्ट्रीय कलाओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

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