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वास्तु निर्माण में रोगन का प्रयोग
2015-03-25 16:16:04 cri

 

रोगन पारंपरिक चीनी इमारतों की सुनहरी, हरी व नीली छतों और तोरण को झिलमिलाहट व सजावटी काम को चमकदार रंगीनी प्रदान करता है। चीनी इमारतों में इसका प्रयोग हान राजवंश के समय से प्रचलित हैं।

रंगीन ख़निज पदार्थों और लेड आक्साइड व अन्य तत्वों को मिलाकर रोगन बनाया जाता है। इसे पहले मिट्टी की खपरैलों की सतह पर लगाया जाता है, फिर उन खपरैलों को आग में पकाया जाता है। थाडं राजवंश(618-907) के समय रोगन में नवीनता आई, जब थाडं राजवंश के प्रसिद्ध नीले, पीले और हरे मिट्टी के बर्तन प्रकाश में आए। मिडं और छिडं(1368-1911) राजवंशों के समय तक दर्जन से अधिक रंगों का प्रयोग होने लगा था, जिनमें गुलाबी, जेड हरा, मोरपंखी और अंगूरी बैंगनी रंग भी थे। रोगन का प्रयोग केवल ईंटों और खपरैलों के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे सजावटी कामों और घरेलू बर्तनों में भी होता था।

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