स्वेइ राजवंश(581-618) काल में महानहर के खुलने से हाडंचओ, च्याशिडं और हूचओ को भूरपूर प्राकृतिक स्रोतों से जोड़ने वाला नम और उर्वरक मैदान समृद्धिशाली हो गया। 10वीं शताब्दी तक चीन में एक कहावत लगभग सारे लोगों की जुबान पर आ चुकी थी,"एक स्वर्ग आकाश में है और दूसरा धरती पर है सूचओ और हाडंचओ"। 13वीं शताब्दी में इटालवी यात्री मार्को पोलो ने इस महानहर के रास्ते हाडंचओ की यात्रा की और अपने यात्रा-विवरण में इस ने यहां की प्रशंसा में कहा:"यह विश्व का सब से सुन्दर और भव्य शहर है।"
हाडंचओ तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और इस के पश्चिम में साफ और शीशे सी चमकती पश्चिमी झील बह रही है। "सू" और "पाए" दोनों बांध झील के उस पार मध्य शील मंडप, "रुआन य्वान" टीले और लघु इडंचओ द्वीप तक पहुंचाते हैं, चन्द्रमा प्रतिबिंबक तीन ताल भी मशहूर हैं। झील के तटों पर राष्ट्रीय वीर के तौर पर जाने वाले य्वे फेइ और य्वी छ्येन के मकबरे हैं। पश्चिमी झील के सौन्दर्य की प्रशंसा में उत्तरी सुडं राजवंश(960-1129) के कवि सू तुडंफो ने ये उत्कृष्ट पंक्तियां लिखीं।
"धूप से झिलमिल कांपता जल,
कोहरे से धुंधलाए पहाड़---वर्षा में भी लगते उदात्त;
करें पश्चिमी झील की तुलना सौन्दर्यागना शी शि से;
उतनी ही खूबसूरत लगती है,
प्राकृतिक सौन्दर्य या सघन अलंकृत।"
उत्तरी सुडं राजवंश के एक अन्य कवि ने हाडंचओ शहर का वर्णन इस प्रकार किया है:"कोहरे से ढके विलों और रंगीन पुलों की दृश्यावली में बसे 100000 परिवारों का नगर।" पश्चिमी झील के दस प्रसिद्ध दृश्यों का मूल सुडं राजवंश के उस्ताद चित्रकारों मा य्वान और छन छिडंफो द्वारा निर्मित पश्चिमी झील दृश्यों पर आधारित लोकप्रिय दृश्यावली चित्र रचनाओं में है। अब झील के पास कोई 59 नए पर्यटक आकर्षण निर्माणधीन हैं।