राहुल को दोस्त बनाना पसंद है। उसने कहा कि व्यापार करने वाले लोग अंत में उसके मित्र बन जाते हैं। भारत में वह छह साल की उम्र में ही पिता के साथ व्यापार में हाथ बंटाने लगा। बचपन से ही वह भिन्न-भिन्न लोगों के संपर्क में रहा। इस वजह से राहुल का स्वभाव खुला है और बहुत आशावादी भी है। चीन आने से पहले राहुल किसी भारतीय फिल्म कंपनी में डायरेक्टर और फिल्म एडिटर का काम करता था, और कुछ फिल्मों में सह-अभिनेता के तौर पर काम भी कर चुका है। उसने कहा कि चाहे कोई भी काम हो, उसे शत प्रतिशत उत्साह के साथ करना चाहिए।
क्वांगचो में एक ऐसा बाज़ार है, जहां दुनिया भर में बहुत बड़े पैमाने पर कपड़े और पोशाकों का निर्यात होता है। इस बाज़ार का क्षेत्रफल 4 लाख वर्ग मीटर है, जहां विश्व भर के विभिन्न व्यापारी इधर की तरफ आकृषित होते हैं। इसके अलावा, क्वांगचो में निर्माण उद्योग और सेवा उद्योग का विकास भी लगातार बढ़ रहा है। समुद्री यातायात, थलीय यातायात और वायु यातायात के केंद्र के रूप में क्वांगचो का विदेशी आयात-निर्यात रकम चीन में सबसे अग्रिम पंक्ति में है। वर्ष 2013 में क्वांगचो शहर का आयात-निर्यात रकम 1 खरब 18 अरब 88 करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर था, जिसमें निर्यात 62 अरब 80 करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर और आयात 56 अरब 8 करोड़ 20 लाख अमेरिकी डॉलर था।
क्वांगचो में अपार व्यापारिक मौका देखते हुए राहुल यहां आया। उसके विचार में अपने जीवन में किसी न किसी स्पष्ट लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए, फिर अपने लक्ष्य को पाने के लिए अथक कोशिश करनी चाहिए। चीन में अपनी कंपनी खड़ी करना राहुल का लक्ष्य है।
अपना लक्ष्य को हासिल करने के लिए राहुल को चीनी भाषा की समस्या से जुझना पड़ता है। हर दिन व्यस्त समय होने के बावजूद वह एक या दो घंटे चीनी भाषा सीखने में लगाता है। अब राहुल को सरल चीनी भाषा में लिखना, पढ़ना और लोगों के साथ बातचीत करना आ गया है। चीनी संस्कृति की ज्यादा से ज्यादा समझ होने के चलते राहुल और उनके व्यापारिक साझेदारों के बीच संबंध निरंतर घनिष्ठ हो रहा है। अब उसके पास न केवल एक ही कंपनी है, बल्कि क्वांगचो शहर और आसपास के कूचन क्षेत्र तथा चच्यांग प्रांत के ईवू शहर में भी अपना ऑफिस खोला है।