काओपाओ झील
महानहर याडंचओ शहर से निकलकर काओपाओ झील के उत्तर में बहती है, पहले यह झील नहर का ही एक हिस्सा थी, लेकिन थाडं और सुडं राजवंश(960-1279) कालों में झील के पूर्वी तट पर काओयो और पाओइडं के बीच निर्मित किए गए तटबंध के चलते नहर अलग हो गई। नव चीन की स्थापना के बाद महानहर में झील के पानी को आने से रोकने के लिए एक पथरीले बांध का निर्माण किया गया। पश्चिम में इस प्रदेश की भूमि ऊंची है और पूर्व की तरफ नीची है। नहर के पानी की सतह काओयो व पाओइडं काउन्टियों की भूमि से दर्जन मीटर ऊंची है।
काओयो के निकट महानहर के बीच में नौवीं शताब्दी के अन्त में निर्मित एक पगोडा खड़ा है। 1958 में यह पगोडा नवीन विस्तृत नहर में समाविष्ट हो गया और आज यह काओयो का प्रतीक माना जाता है।
काओयो अपनी भूरी बत्तखों और बत्तख के अंडों के लिए प्रसिद्ध है। काओयो बत्तख जल्दी बढ़ती है, मोटा खाना खा सकती है, और अपना बचाव खुद कर सकती है। यह दो या चार जरदियों वाले अंडे देती है। काओयो की बत्तख के नमकीन अंडे रंग और स्वाद दोनों में आकर्षक होते हैं।
पाओइडं की विशेष स्थानीय चीज कमल ककड़ी है, जो वहां की झील और दलदल में उगाई जाती है। इसकी कटाई सितम्बर में होती है। पाओइडं की कमल-ककड़ियां खुशबूदार, मीठी और खस्ता होती हैं। पुराने जमाने में शाही घरानों में इसे उपहार स्वरूप भेंट किया जाता था।