महानहर का शहर---याडंचओ
जब हानक्वो नहर पर काम शुरू हुआ था, तब राजा फ़ूछाए ने नगर के समीप ही सैन्यदलों को ठहराने के लिए चौकियों और अनाज सप्लाई गोदामों का निर्माण करने का आदेश दिया। एक नगर जिसका नाम हानछडं था, 5 किलोमीटर लम्बी मिट्टी की दीवार से घिरा हुआ था और यह आधुनिक याडंचओ का पूर्ववर्ती था। थाडं राजवंश काल(618-907) के आते-आते यह नगर पूर्ण रूप से समृद्ध हो चुका था, जहां"दुकानों से भरी लम्बी-चौड़ी गलियां"थीं और"फलते-फूलते रात्रि बाजार"फैले पड़े थे। यह महानहर से जुड़े होने के साथ-साथ उत्तर के ल्वोयाडं और छाडंआन(आज का शीआन) तथा दक्षिण के च्याडंसू और चच्याडं प्रांतों के अन्य जल मार्गों से भी जुड़ा हुआ था। पूर्व में यह नहर समुद्र से और पश्चिम में च्याडंशी और हूपेई प्रांतों से मिलती है। यह नगर विभिन्न मालों का निकासी गृह और एक समृद्ध वाणिज्य बंदरगाह था, जहां देश-विदेश के सौदागर हमेशा आते थे। यहां नमक, चाय, सिल्क, चीनी , तांबे की वस्तुओं, फर्निचर और लाख की वस्तुओं का व्यापार होता था। ज्यादातर विदेशी भूषणों, दवाओं और मसालों का व्यपार करते थे और कुछ तो अपनी राष्ट्रीय पाक-प्रणाली का भोजन भी बना कर बेचते थे। संपूर्ण मिडं और छिडं राजवंश कालों में याडंचओ वाणिज्य का केंद्र बना रहा।