परंपरागत शिल्पकला के असली पारिस्थितिकी का स्थान बनाए रखने के लिए वर्ष 2005 में चीनी संस्कृति मंत्रालय ने ह प तिब्बती धातु शिल्पकला को राष्ट्रीय गैरभौतिक विरासत सूची में शामिल कराया । इसके बाद पैइ यू काउंटी ने वर्ष 2011 में ह प काउंटी में केन त्सी प्रिफेक्चर का धातु शिल्पकला ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया ।यहां कुशल कारीगर एकत्र होकर अपने अनुभव शेयर करने के अलावा मुफ्त रूप से इस शिल्पकला में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं ।हर साल यहां दो कक्षाओं के चालीस व पचास छात्र भर्ती होते हैं ।स्थानीय सरकार संबंधित भत्ता भी देती है। ह्वांग शिंग ने बताया:
"राष्ट्रीय स्तर के कारीगर को हर साल दस हजार युआन का भत्ता मिलता है और प्रांतीय स्तर के कारीगर को हर साल 4 हजार युआन मिलते हैं। स्थानीय सरकार क्लास खोलने के लिए हर क्लास को पंद्रह हजार व बीस हजार युआन का भत्ता देती है।"
सरकारी समर्थक नीति और पूंजी के तहत ह प के कारीगर अपने काम में पूरी तरह ध्यान लगा सकते हैं। पर ऐसी श्रेष्ठ कलात्मक रचनाओं के लिए अब तक एक बडा बाजार नहीं बना है ।इसका एक मुख्य कारण यातायात की खराब स्थिति है। स्थानीय अधिकारी च्यांग योंग ने बताया:
"हमारी रचनाएं बहुत सुंदर हैं ,पर यहां का यातायात असुविधाजनक है और पर्यटक ज्यादा नहीं हैं ।उम्मीद है कि बाद में सड़कों की स्थिति सुधरने पर अधिक से अधिक लोग यहां का दौरा करेंगे। उन्हें जोशपूर्ण सत्कार मिलेगा । कई तरीकों से हमारे उत्पादों का प्रचार प्रसार करने के बाद ह प शिल्पकला का बाजार जरूर उभरेगा।"
वर्ष 2012 में यातायात की स्थिति सुधारने के लिए केन त्सी प्रिफेक्चर ने तीन साल की योजना लागू की ।वर्ष 2015 तक पैइ यू काउंटी जाने वाला सुगम मार्ग तैयार होगा ।ह प कारीगरों का भविष्य उज्जवल होगा।