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मैं और चीन का स्नेह
2013-11-22 14:58:33

मैं और चीन एक ऐसी कहानी जिसने आंधी तूफ़ान का सामना किया जिसने चारों मोसम में अनेक दुःख सुख को देखा महसूस किया और उस बीच एक सच की जंग लड़ ते लड़ते उसने अपने जीवन का मकसद बना लिया। मैं ने आपको पहले भी बता चूका हूँ और बार बार इसका ज़िक्र करना भी ज़रूरी समझता हूँ कि मुझे चीन से कैसे लगाओ हुआ और क्यों चीन ही मेरे लिए एक विषय के रूप में मेरे सामने जीवन का मकसद बना इस और आपलोगों को भी बताना उचित समझता हूँ।

मुझे चीन से बचपन से लगाओ रहा ,जब मैं ६ वें क्लास में पढता था मुझ से पहले मेरे पिता श्री रेडियो सुना करते थे ….कभी कभी मैं भी रेडियो के पास बैठ जाता था और पिता के साथ बी .बी .सी और रेडियो चाइना सुना करते थे …. सुनते सुनते चाइना के बारे में तरह तरह के प्रश्न पूछना और पिता से उसका उत्तर पाना ही चीन से लगाओ बढ़ता गया.. .स्कूल में मैंने ने चीन के बारे में अपने सहपाठियों को बताना की चीन से हिंदी में हम भारतियों के लिए चीन सम्बंधित जानकारी घर बैठे मिल जाएगी परन्तु मुझे नहीं मालूम था की स्कूल में जब सी आर आई और चीन से सम्बंधित जानकारी स्कूल में फैले गी तो स्कूल के लोग मुझ पर कितना प्रतिबंध लग सकत है। ये हमने सोचा भी नहीं था क्यों की मैं सचे मन से सी आर आई का प्रचार क्र रहा था मेरे मन में था की ज़यादा से ज़याद अलोग सी आर आई को सुने और चीन के बारे में जानकारी प्राप्त करें लेकिन मुझे स्कूल से बहोत डांट भी खानी पड़ी और मुझपर ये प्रतिबंध भी लगा की आप किसी भी छात्र को चीन या सी आर आई के बारे में कुछ भी नहीं कहेंगें। मुझ पर इलज़ाम लगा की मैं लड़कों को पढाई से दूर कर रहा हूँ और मैं अपने देश के दुश्मन की प्रशंशा क्र रहा हूँ मैं सच कहता हूँ मुझे नहीं मालूम था की भूतकाल में चीन से हमारी कोई जंग भी हुई थी ,मुझे उस जंग के बारे में जानकारी भी दी गई और मुझ से स्कूल में तरह तरह के प्रश्न भी पूछे गए की आप ने चीन के रेडियो से क्या अच्छी जानकारी प्राप्त की है,मैंने सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। मैंने कहा की पीछे क्या हुआ उसको भूल कर हमें अपने भविष्य की और देखना चाहिए और चीन हमारा दुश्मन नहीं है समय ने हमारे बीच जो दिलों में दरार पैदा की है उसको भरना भी ज़रूरी है.फिर मैंने और तेज़ी के साथ चीन के बारे में लोगों को जानकारी देता रहा घर से कई बार डांट खाई लोगोने कहा की इसका पढाई से ध्यान हट रहा है लेकिन मैं पढाई पर पूरा धयान देता था घर परिवार और पडोस के लोग तरह तरह की बातें मेरे बारें में बोलते मैं भी आँखें बंद किये सच्चे मन से लोगों के दिलों से चीन के प्रति घिरणा को समाप्त करना ही मेरे जीवन का मकसद बनता गया.

प्रचार करते करते ऐसा महसूस हुआ की अब समय है की दूर तक प्रचार किया जाये इसलिए दोस्तों को जोड़ा शुरू किया फिर मित्रों ने कहा की हम जो कुछ क्र रहे है इसकी जानकारी सी आर आई को भी दी जाये फिर पत्र लिखना आरम्भ किया और क्लब बनाया और इस बीच भी लोगो ने काफी टांग अडाए फिर भी हमलोगों ने आँखें बंद किये और सच्चे मन से चीन के बारे में लोगों को बताते रहे। ….सच काफी मुश्किलों करना पड़ा और धीरे धीरे सच्ची लगन दिल के साथ कदम बढ़ाते बढ़ाते हमने गाव का दौरा किया और धीरे धीरे शहर और महानगर होते होते हमने पूरे उत्तर प्रदेश में कम किया और २०११ से हमने उस मिशन को पूरे भारत भर में आरम्भ किया ,आखिल भारतीय सी आर आई स्रोत महा संघ के माध्यम से हमने हर प्रदेश में सचिव बनाये जो सी आर आई और चीन के बारे में लोगों को जानकारी दे ,और उस राज्य के श्रोता संघों की मदद करे और उनका उत्साह वर्धन भी करे , महा संघ में २५० से श्रोता संघ और ६०० से अतिरिक्त श्रोता भाई बहन सदस्यता प्राप्त कर चुके हैं .जिसमें राजनीती से जुड़े हुए एवं पत्रकार ,डाक्टर ,वकील ,अध्ध्यापक सभी फिल्ड और सभी स्टार के लोग इस महा संघ के सदस्य हैं ....जिनको समय समय पर ईमेल और डाक के माध्यम और फेसबुक की सहायता से चीनी संस्कृति एवं सी आर आई के बारे में जानकारी दी जाती है ….

इस अखिल भारतीय सी आर आई श्रोता संघ ने अलग अलग राज्य में श्रोताओं की सहायता हेतू बेयरो के रूप में श्रोता नियुक्त किये गए हैं जैसे बिहार में श्री दीपक कुमार दास ,बंगाल में रवि शंकर बसू ,छत्तीस गढ़ में श्री चुन्नी लाल कैवर्थ और उत्तर प्रदेश में श्री मोहमद असलम …….मैं और चीन के बीच का स्नेह का वरणन करना भी ज़रूरी है आज हम चीन को बहोत करीब से जानते हैं ऐसा महसूस होता है की चीन हमारा दूसरा देश है। चीन और वहां की जनता से बेहद प्रेम स्नेह हमारे दिलों में हमारे पास कोई ऐसा शब्द नहीं है की मैं कुछ लिख सकूं इतना ज़रूर कह सकता हूँ की मेरी दो आँखे , एक आँख भारत है तो दोसरी आँख चीन है अगर एक आँख में कोई चीज़ पड़ जाती है तो दर्द उतना ही होता है जितना दूसरी आँख में पड़ जाने से होगा। कहने का मतलब मुझे उतना ही ख़ुशी होती है जब चीन और वहां की जनता कोई उपलब्धि प्राप्त करती है ,और जब चीन में कोई घटना की खबर सुनने को मिलती है तो उतना ही मन दिल आत्मा दुखी भी होती है हम चीन से बेहद प्यार करते हैं चीनी जनता के दुःख सुख में साथ भारत में रहते है हम चीन और भारत मैत्री के लिए बहोत काम करते हैं हमारा मकसद यही रहता है की किसतरह से प्रत्येक भारतीय के दिलों से चीन के प्रति भ्रान्ति को समाप्त किया जाये और आज हम लोग बहोत हद तक कामयाब भी हुए.,

चीन एक ऐसा देश जो स्कूल के समय से ही मेरे दिलों में रचा बसा है,चीन के बारे में बचपन से ही वहां की संस्कृति वहां के रहन सहन वहां की जनजाति वहां के पकवान और साथ ही चीन की राजनीती ,और छोटे छोटे गाँव की जानकरी सी आर आई के माध्यम से पाते रहे हैं ऐसा लग रहा है की हम चीन में सभी प्रान्त की यात्रा कर चुके हैं ,मैं सोचा करता था की क्या कभी कोई ऐसा दिन भी आएगा की मैं जिन स्थानों की यात्रा रेडियो की मदद से कर रहा हूँ कभी अपनी आँखों से दर्शन भी कर पाऊंगा उस भूमि पर जाकर उस महान देश को सलाम कर पाउँगा .लेकिन ये सपना सी आर आई ने पूरा करदिया उन्हों ने मुझे चीन को देखने का महसूस करने का अपने पडोसी देश से गले मिलने का महान देश को नमन करने का मोका दिया मुझे अच्छी तरह याद है जब मुझे सी आर आई से सुचना मिली की आप को चीन आना है आप चीन देख सकें गे,सिन्चीयांग प्रान्त की प्र्किर्तिक धरोहर को देख सकेंगे तो मुझे इतनी ख़ुशी हुई थी की मैं बयान नहीं कर पाउँगा।

साल २०१० की २८ जुलाई का वो पल मुझे आज भी ताज़ा है ऐसा लगता है की ये तो कल की बात है ,जब मैं नइ दिल्ली से सुबह बीजिंग के लिए निकला जहाज पर पहली बार का अनुभव भी बहोत खूब रहा,रास्ते भर बीजिंग का ख्याल दिलो दिमाग में घूमता रहा ,और जब रात में बीजिंग के समय के अनुसार साढ़े ११ बजे हमारा जहाज बीजिंग के उपर लैंडिंग के लिए नीचे उतर समय बीजिंग को रौशनी में नहाते हुए देखा ,बहोत सुन्दर दृश्य देख कर बेजिंग ओलम्पिक २००८ की ओपनिंग सेरमनी का उद्घाटन समारोह की याद ताज़ा होगइ। एयर पोर्ट पर वनिता जी ने सवागत किया और बीजिंग की सड़के को हमने पहली बार बीजिंग की सड़कों को देखा पूरे रास्ते

में हमने जो चीज़े नोट की वो ये की वहां पर बहोत सुन्दर बोर्ड दिखे लेकिन उस बोर्ड पर हमने एक चीज़ नोट की की चीन की जनता अपनी भाषा से कितना प्यार करती है उन बोर्ड पर चीनी भाषा में लगे हुए थे ,बहोत ही कम ही बोर्ड ऐसे देखे जिस पर इंग्लिश में कुछ संकेत थे। मुझे बहोत सुखद महसूस हुआ की चीन की जनता अपनी भाषा और अपनी संस्कृति से कितना प्यार है।

मैं चीन तो पहुँच गया वनिता जी ने मुझे होटल होली डे इन में तो ठहरया दिया गया पर उस समय मुझे अच्छी तरह याद है की आधी रात के चार बजे थे उस रात मुझे नीद थोड़ी भी नहीं लग रही थी ,जैसे लग रहां हो नीद हमने हज़ारों किलो मीटर दूर भारत में छोड़ आया हूँ ,उस रात मुझे अच्छी तरह याद है की मैं बार बार यही सोच रहा था की मेरे बचपन का सपना साकार होगया और उस रात मैं बहोत ही ज़यादा खुश था । मैं मन में सी आर आई वालों को धन्यवाद भी देरहां था।सुबह हुई वनिता जी के अनुसार हमें सुबह सिंजियंग के लिए निकलना था नाश्ता करने के बाद हम स्वागत कछ में पहुंचा तो देखता हूँ और ७ देशों के श्रोता वहां पहुँच चुके थे वहां पहली बार हमने सी आर आई के संपादक श्री माँ पो हवी और उपनेता श्री ल्यु थाओ और अन्य चार नेताओं से भी मिला ,वो पल भी मेरे लिए बहोत ही याद गार है ,हम सभी लोग सिंजियंग जाने के लिए मिनी बस में स्वर हुए और बीजिग की सुबह को देखते हुए हम एयर पोर्ट की तरफ जाही रहे थे की अचानक सी आर आई के श्रोता विभाग की नेता सु श्री ली की आवाज़ हमारे कानो तक पहुंची और जैसे ही हमने अपना चेहरा सु श्री ली के इशारे की तरफ किया तो क्या देखता हूँ की सामने चीन का राष्ट्रीय स्टेडियम बर्ड नेस्ट दिखाई दिया जो वास्तव में एक पछी के घोंसले की तरह था ,मानव द्वारा ये बर्ड नेस्ट वास्तव में बहोत ही सुंदर था। उसदिन हलकी हलकी वर्षा हो रही थी हर तरफ हरियाली थी और हम इसतरह एयर पोर्ट पहुंचे ,और बहोत ही जल्दी हमने एयर पोर्ट की जाँच प्रकिर्या से खाली भी होगये। हमने देखा की एयर पोर्ट के चीनी जवान बहोत तेज़ी के साथ लोगो की चेकिंग करते दिखाई दिए। हमने देखा की चीनी जवान जब चेक क्र लेता है तो वो सीने पर हाथ रख कर धन्यवाद का संकेत देते हुए एक हाथ से दुसरे जवान के पास जाने का संकेत भी देते है, इससे जाँच की प्रकिर्या बहोत ही तेज़ होरही थी ,मुझे बड़ा अच्छा लगा की चीनी जाँच कर्मी बहोत ही शिष्टा

चार से अपना कम कर रहे थे, हम करीब साढ़े तीन घंटा का सफ़र करने के बाद हम लोग सिंच्यांग की राजधानी उरुमोची पहुंचे वहां भी बीजिंग की तरह ही बहोत जल्दी जाँच प्रकिर्या से गुज़रते हुए हम सभी लोग उरूमुची के एयर पोर्ट से बाहर निकले जहाँ पर सी आर आई के सिंचियंग ब्यूरो के न्यूज़ नेता व अन्य कर्मी ने हम लोगों का भव्य स्वागत किया वो पल भी बहोत ही याद गार है ,होटल तारिम पेट्रोलियम में हमलोगों का रहने की व्यवस्था थी ,थोडा आराम करने के बाद हम लोग एक आधुनिक वेवूर जाति के रेस्टोरेंट में गए ,वेवूर जाति का रेस्टोरेंट वास्तव में इतना सुंदर था की वहां पर आप वेवूर जाति की संस्कृति को अच्छी तरह से महसूस किया जासकता था। और सच है की हमने महसूस ही नहीं किया वेवूर जाति के पकवान का भी मज़ा लिया खाना बहोत ही स्वादिस्ट था ,वहां पर वेवूर जाति मुस्लिम के विवाह का कार्यकरम चल रहा था ,शादी हो चुकी थी वेवूर जाति के लोग खाना खाने के साथ साथ गाने का लुत्फ़ उठा रहे थे. दूल्हा दुल्हन प्रसन्न मुद्रा में बैठे थे यहाँ हमने देखा की जवान का टेबल अलग तो वृद्ध लोगों का टेबल अलग था और महिलाओं का भी टेबल अलग रहा ,सभी भोजन के साथ गाने का मज़ा लेरहे थे ,हमने यहाँ एक बात और नोट की थी की इतनी भव्य शादी में इतने बड़े बड़े लोग पार्टिशिपेट कर रहे थे लेकिन वहां की महिलाओं ने सोने का प्रयोग नहीं किया था ,पूरे चीन में मैंने देखा की चीनी महिलाये सोने का आभूषण का प्रयोग नहीं करती ,अगर हम किसी भारतीय शादी समारोह में जाते हैं तो यहाँ भारतीय महिलाये सोने का आभूष का प्रयोग में अधिक नज़र आएँगी। भारत की महिलाये चाहती हैं की हमारे पास अधिक आभोषण हो ,मुझे अच्छी तरह याद है उस कार्यक्रम में चीनी गाइक ने चीनी भाषा में तो गाने गए ही लेकिन मैं तब आश्चर्य होगया जब चीनी गाइक के मुख से हिंदी गाना गाने लगी ,मुझे याद है गाना था गोर गोर बाकि छोरे। …. हमने नोट किया जिसतरह से चीनी और चीनी भाषा वाले गाने पर थिरक रहे थे वो रुके नहीं हिंदी गाने पर भी वो वैसे ही थिरकते रहे। सिंचियंग प्रांत में मेरा पहला दिन और पहली शाम क्या मजेदार रही जिसको हम ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकते।

मैं कैसे भूल सकता हूँ उन दिनों को जो मेरे लिए अमर होगया ,१ अगस्त २०१० का दिन जो मेरे लिए एतिहासिक बन रहा था उस दिन का लम्बे समय से इंतज़ार था और क्यों न भी हो प्रतियोगिता में भाग लेने वाला सभी भारतीय की पहली खवाहिश होती है की वो विशेष पुरुष्कार का विजेता घोषित हो और वो भी उस देश की मुफ्त यात्रा जिस देश के रेडियो के माध्यम से सभी जानकारी मूल चीनी लोगों की आवाज़ में रेडियो से होते हुए जो कानों से दिलों में समां जाती है रूह में बस जाती है और अपना जिसको हमेशा के लिए अपना दीवाना बना ले। । इस दिन सुबह से ही यही ख्याल दिलो दिमाग में घूम रहा था की आज सिचियंग सरकार के नेताओं से पुरस्कार ग्रहण करना है हम सभी विजेता श्रोता सुबह १० बजे पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे हाल खाचा खाच भरा था वहां पर सिंचियंग के नेता व् पर्यटन विभाग के नेताओं के हाथो पुरस्कार वितरण हुआ. मुझे अच्छी तरह याद है मुझे नाचीज़ को श्री ली छएन यांग जी के हाथो पुरस्कार मिला उससे पहले हमने नेताओं के भाषण सुने।मुझे खूब याद है सिंचियंग के नेताओं ने क्या क्या अपने संबोधन में सबसे महत्व पूर्ण बात यह थी की जो २००९ में हान जाति और वेवूर जाति के बीच दंगे हुए थे उसके बाद जो अफवाहें पछमी देशों की मिडिया ने फैलाई थी उसकी वास्तविकता को अपनी आँखों से देख कर स्थिति साफ तौर से समझ सकें। सिंचियांग के मुसलमान पर चीन सरकार कितना ध्यान देते हैंश्रोता अपनी आँख से देखें सकते हैं महसूस कर सकते हैं ,वहां पर सी आर आई के नेताओं ने अपने भाषण में यह भी बताया था की विश्व में सी आर आई के २०१० में २५ एफ एम रेडियो चैनलों की स्थापना की है और आगे भी और अधिक एफ एम् खोले जायेंगे ,अंत में था की आप सिंचियंग आये हैं और आप सिंचियंग को अच्छी तरह से देखे और अपने देश जाकर वास्तविकता को बताये। उसके बाद शिन्चायंग के विदेश संपर्क विभाग के नेता सु श्री ली ई ने कहा था की २००४ से शिन्चियंग सरकार के संपर्क विभाग व सी आर आई के बीच समझोता हुआ सी आर आई के अनेक भाषाओँ में शिनच्यांग की सही स्थिति ,समाज की स्थिति संकृति बतायी गई जो उस समय बहोत महोत्वपूर्ण था। उन्हों ने अपने संबोधन में कहा था कि सी आर आई ने विगत वर्ष ८ जुलाई की घटना पर सही और अच्छी कवरेज दी है वेर्तामन में शिन्चियांग की विकास स्थिति तेज़ी से बकध रही है ,उन्हों ने उस भरी सभा में माना की इस तरह की प्रतियोगिता से विदेशीयों को सही जानकारी मिली है उन्होंने भाषण के अंत में कहा था की आप अपने देश जाकर शिन्चियंग की तस्वीर को बताएँगे और सही वातावरण बनाने में सहयोग देगें। उसदिन को जब भी याद करता हूँ तो एक एक पल ऐसे दिलो दिमाग में आता है जैसे कोई फिल्म को रिवस् कर के देख सकते हैं

सच हम चीन के जिस प्रान्त का भ्रमण क्र रहे थे वास्तव में शिन्चियंग चीन का सबसे बड़ा प्रदेश है शिन्चियंग की चीन के इतिहास में एक अहम् भूमिका भी है अब तक इस इलाके में ३ हज़ार वर्ष पुराना इतिहास है शिन्चियंग की सरहदें आठ देशों से जुडती है। शिन्चियंग बहुत जाति बहुत धर्म वाला प्रान्त है यहाँ ४७ जातियां रहती हैं जिनमें सर्यीम जाति का इतिहास एवं बोद्ध व इस्लाम बहोत ही अहम है ,शिन्चियांग प्रान्त में आलथाए पर्वत ,थेन्शान पर्वत ,खुन लुन पर्वत पर्यटकों को शिन्चियंग की और आकर्षित करते हैं ,वास्तव में शिन्चियंग बहोत ही सुंदर है यहाँ पहाड़ ,नदी व् वन के साथ साथ यहाँ कुछ स्थानों पर बहोत ठण्ड है तो कहें बहोत गर्म भी है ,मालूम हुआ था की उस समय शिन्चियंग का प्रत्येक व्यक्ति २० हज़ार भारतीय रूपया की आय प्रतिमाह आय है। अगर शिन्चियंग प्रान्त में क्रषि की बात करते हैं तो शिन्चियंग में अनाज ,कपास ,फल,अंगूर सभी मोसम में मिलते हैं इसका कारण यह है कि वातावरण बहुत साफ़ है पूरे वर्ष एक जैसा मोसम रहता है यहाँ प्रकिर्तिक गैस व टमाटर का उत्पादन अन्तेर्राष्ट्रीय व्यापार का एक चौथा भाग है दूसरा बड़ा उत्पाद तेल है ,शिन्चियंग में पानी भी बहुत है खुले पण की स्थिति तेज़ है एशिया और योरोप के साथ व्यापार मेला सबसे अहम् है हमने देखा शिन्चियांग में आधुनिक निर्माण बहुत तेज़ी से हुआ है अगर हम शिन्चियांग में एजूकेशन की बात करे तो वहां पर ९ वें क्लास तक के बच्चों को नि शुल्क एजूकेशन दी जाती है अगर गरीब परिवार के बच्चे उच्च एस्टर की एजूकेशन प्राप्त करना चाहते हों तो उनके लिए विशेष अनुदान सर्कार प्रदान करती है जिससे सभी समाज का एस्टर ऊँचा हो सके।

हम सभी को मालूम है की शिन्चियांग का उरूमूची और काशगर अंतर राष्ट्रीय शहर है ,शिन्चियंग सरकर का पूरा ध्यान वेवूर व अन्य जातियों के कल्याण पर रहता है। केवल एक जाति पर विशेष नहीं रहता सरकर सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रतिबंध करते हैं सर्कार की और से मुस्लिम धर्म के मानने वालो पर किसी भी प्रकार का कोई भी दबाव नहीं है ,सरकार की ओर से वे सभी सुविधाएँ मिलती हैं जो एनी जातियों को मिलती हैं हमने देखा की उरूमुची के मार्किट में और जगह जगह सुन्दर चीनी शैली वाले मस्जिद है जहाँ मुस्लिम समाज पूरी आज़ादी के साथ इस्लामिक कार्य कर सकते हैं। उरूमुची के इस्लामी मदरसे को भी देखने का मोका मिला वास्तव में चीनी शैली में ये मदरसा बहोत सुन्दर और बहुत साफ था ,मदरसे का नाजिम ने हमें बताया की ये मदरसा चीन सरकार और शिन्चियांग सरकार की सहायता से चलता है यहाँ हमें सरकार की तरफ से साडी सुविधाएँ मिलती हैं ,वास्तव में हमने भारत के मदरसे से तुलना की तो मुझे ऐसा कोई विशेष चीज़ नहीं देखने को मिली जो भारतीय मदरसे से भिन्न हो। । हाँ एक चीज़ हमने नोट की की मदरसे की ईमारत चीनी शैली में बनी थी इससे मालूम हुआ चीन के मुस्लिम समाज के लोग चीन की संकृति को कितना दिलो से लगा रखा है। ये शिन्चियंग की दुसरे दिन हमने जो देखा वो आज भी दिल में रचा बसा है।

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