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तिब्बत - मेरे आंगन में:देवशंकर चक्रवर्त्ती
2013-09-12 09:46:13
"चाहे एक किताब के लिये, या एक व्यक्ति की बुद्धिमानी के लिये यह ज़मीन अधिक विशाल दिखती है। नदियां दिन-रात बहती हैं, चार मौसम बदलते रहते हैं और यहां पर जन-जीवन सदाबहार रहा है "

- तिब्बती लेखक अलाई : "लाल पोस्ता" उपन्यास

हाँ ,यह है मेरा काल्पनिक आँखों से देखा गया चीन का तिब्बत जो विश्व के सब से ऊंचे पठार यानी छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है; मैं मानता हूँ मैंने कभी सुंदर तिब्बत को मेरे आँखों से नहीं देखा परन्तु तिब्बत का अनेक मधुर गल्प शुना था सीआरआई के हिंदी बिभाग की इन्टरनेट प्रसारण एबं रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रमों के द्वारा। "अगर मैं कहूं , तुमको जब देखूं लगती हो जैसे नयी...."। सच्चे दिल से मैं यह कहना चाहता हूँ विश्व की छत कहलाने वाला तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का प्राकृतिक सुंदरता की बात करे तो ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने भी अपनी सारी सुंदरता यहीं बिखेरते है। "तिब्बत"-इसका नाम में ही एक मीठास भरी खुसबू है I चीन का तिब्बत के बारे में कुछ लाइनों में वर्णन करना इतना आसान नहीं है I इसकी अनोखी एबं सुंदर प्राकृतिक दृश्य, नील आसमान, सफ़ेद बादल, विशाल घने जंगल, चारो तरफ की बर्फीले पहाड़, सुंदर तिब्बती लोगों की जीवन शैली ने मुझे हमेशा तिब्बत के प्रति खिचती है I

"चीन का तिब्बत " इस प्रोग्राम का उदघोषिका श्याओ थांग दीदी का तिब्बत के बारे में महत्वपूर्ण रिपोर्ट,सीआरआई हिंदी विभाग के वेईतुंग जी,होइ वेइ,राकेश वत्स (सेवानिबृत) ,श्याओ यांग और लियाओ ची युंग( रमेशजी ) इन संवाददाताओं की तिब्बत दौरा की डायरी और रिपोर्टिंग मुझे तिब्बती लोगों का जीवन और तिब्बती परम्परागत संस्कृति के बारे में काफ़ी प्रभावित किया था । इस सभी रिपोर्ट तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे,नाछ्यु,लोका,लिनची प्रिफेक्चरों का भौगोलिक स्थिति,तिब्बती लोगों की समाज -संस्कृति,रीति रिवाज़, इतिहास के साथ परिचय कराया था। मुझे यह कहते बहुत ख़ुशी हो रही है की में इस सभी रिपोर्ट पढकर तिब्बत पर बहुत आकर्षित हुआ।तिब्बत एक सुन्दर व संसाधन वाला स्थल है।तिब्बत का गगनचुम्बी पर्बत,विशाल घने जंगल, विशाल हरे भरे घास मैदान और सुंदर तिब्बती लागों की जीवन शैली मुझे तिब्बत का प्रति मुग्ध किया था।

मैं मानता हूँ तिब्बती संस्कृति चीनी राष्ट्र के खजाने में एक मूल्यवान धरोहर ही नही ,बल्कि मानव जाति की सभ्यता के इतिहास में एक अनूठा फूल भी मानी जाती है। "राजा केसर" तिब्बती जाति का एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है,जिस में तिब्बती जाति के वीर राजा कैसर के जीवन के महान योगदान का बर्णन किया गया। मैं सीआरआई हिंदी विभाग की वेबसाईट पर श्याओ थांग दीदी द्वारा पेश किया एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद का मालूम हुआ चीन के केंद्रीय सर्कार ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास पर भारी महत्व दिया और सिलसिलेवार कदम भी उठाये। सन 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले तिब्बत की जातीय परम्परागत संस्कृति वास्तव में धर्म के अधीनस्थ रही । पर पिछले 60 सालों में चीनी केंद्रीय सरकार की पूरी देखरेख में तिब्बती सांस्कृतिक कार्य में बड़ी तरक्की हुई है , जिस से बर्फीले पठार की इस परम्परागत संस्कृति में नया निखार आया है । वर्ष 2006 से 2010 तक चीन की केंद्रीय सरकार ने तिब्बत के अनेक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक वस्तुओं का संरक्षण व विकास के लिए 60 करोड़ युआन की राशि खरच किया था। वह काबिले तारीफ हैं I चीनी कम्युनिस्ट पार्टी व केंद्रीय सरकार ने तिब्बत के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण को तिब्बत के तेज विकास से जुड़ी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं में शामिल कर दिया और लगातार एक अरब 40 करोड़ य्वान जुटाकर क्रमशः तिब्बत के पोताला महल,लोपलिंगका व सागा मठों समेत अनेक प्रमुख सांस्कृतिक अवशेषों की पुनःमरम्मत की और करीब दस लाख संरक्षित सांस्कृतिक अवशेषों की सूची बनायी ।

तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती लोगों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। तिब्बत में स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, पानी-बिजली और गरीबी उम्मूलन जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त विकास हुआ है। वर्तमान तिब्बती गांवों में निवासियों के आवास में बड़ा सुधार आया है। सभी लोग रोशनीदार व हवादार खूबसूरत मकानों में रह गए हैं और उन का जीवन स्तर काफी उन्नत हो गया।वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान और चरवाहे इन्टरनेट का प्रयोग कर बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी लेते हैं, इससे उनका जीवन स्तर उन्नत हो रहा है।वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की कुल जनसंख्या 30 लाख से अधिक है, उनमें से 90 प्रतिशत से अधिक लोग टेलीफोन का इस्तेमाल करते हैं, पचास फीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत आसानी के साथ करते हैं। अब तिब्बत में चुमुलांगमा पर्वत के शीविर और पोताला महल समेत 50 स्थलों में फ़ोर जी वाले केंद्र स्थापित किये गये हैं। चीन की केंद्रीय सरकार शिक्षा पर भारी धनराशि लगाने के साथ अनेक उदार नीतियां लागू की हैं । अब तिब्बत में स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए 'तीन मुफ्त' वाली नीति यानी मुफ्त भोजन, मुफ्त आवास और मुफ्त पढ़ाई लागू की जाती है। तिब्बत के शिक्षा कार्य के विकास मुझे काफी प्रभाबित किया। मैं स्वीकार करता हूँ कि चीन की केंद्र सरकार का सही नीति का फल स्वरुप तिब्बत में आधुनिक शिक्षा कि गुणबत्ता बढती है।ये तमाम परिवर्तन चीन की केंद्रीय सरकार द्वारा तिब्बत को दी गयी सहायता से अलग नहीं हो सकता है।

आपका रेडियो और इन्टरनेट प्रसारण से मैं तिब्बती बौद्ध धर्म एबं मशहूर मठों से जुड़ी विस्तृत जानकारियां प्राप्त हुयी | मैं जानता हूँ तिब्बती लोग सभी तिब्बती बौद्ध धर्म यानि लामा धर्मं में आस्था रखते हैं | मुझे तिब्बती लामायों का जीवन रहस्यमय लगता है | तिब्बत में तिब्बती बौद्ध धर्म, तिब्बती मूल धर्म यानि बेन धर्म, और लोक धर्म तीन मुख्य धर्म हैं। वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कुल 1700 से ज्यादा तिब्बती बौद्ध मठ हैं, उन में लगभग 4 लाख 60 हजार भिक्षु रहते हैं। बेन धर्म के मंदिर लगभग 88 हैं, उन में 3000 से ज्यादा भिक्षु मौजूद हैं, जीवित बुद्ध 93 हैं।हिन्दी विभाग कि वेबसाइट पर कुरपा मठ,नोर्बुलिंग्का ग्रीष्कालीन महल,गेनज़ी मठ, गेनदन मठ- इस सभी मशहूर मठों का फोटो देखकर मुझे काफी मुग्ध हुआ।अगर मैं तिब्बत कि किसी विख्यात जगह को देखने चाहता हूँ तो शायद मैं राजधानी ल्हासा के उत्तर पश्चिमी भाग में खड़े रेड पहाड़ी पर स्थित पोताला महल जायूँगा।जिसका तस्वीरें हमेशा मेरे आँखों की सामने बहते रहते हैं । यह महल दुनिया का सबसे ऊँचा प्राचीन महल है ।वर्ष 1994 में पोताला महल विश्व सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया।

मैं विश्वास करता हूँ चीनी क्म्मुनिस्ट सरकार द्वारा आर्थिक कार्यक्रमों तिब्बत में आम जन जीवन का सुधार और बढ़ेगा तथा तिब्बत में विभिन्न जातियों के लोगों का उत्पादन व जीवन स्तर अवश्य और उन्नत होगा। आखेर में मैं सिर्फ यह बोलना चाहता हूँ कि एकदिन न एकदिन मैं चीन जायूँगा और साथ ही चीन का तिब्बत कि दौरा करूँगा।यह मेरा सपना नहीं है,मेरा जीवन का लक्ष्य है।

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