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"मेरे सपनो का देश -चीन " बिधान चन्द्र सान्याल
2013-09-03 11:04:42

      "सबसे ऊपर मनुष्य सत्य / उसके ऊपर तुम , / जननी जन्म भूमि , / ध्यान की भारत भूमि । " मेया जन्मभूमि भारत है । सभी मनुष्य की तरह मेरी जन्मभूमि भी मुझे बहुत प्रिय है । फिर भी मेरा दिमाग मेँ मेरी जन्मभूमि के अलावा और एक जन्मभूमि की कल्पना है । जिसे हम अपनी दुसरी जन्मभूमि भी कह सकते है । और वह जन्मभूमि है "चीन " ।

     बर्त्रमान चीन एक शान्तिदायक और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप मेँ उभरा है । मार्कस और लेनिन के दिखाए हुए रास्ते पर माओ जे दंग , दोँग जिआओ पिंग से लेकर आज का चीनी नेतृत्व भी उन्ही पर आधारित है । और उन लोगो के सपनोँ मेँ छिपा हुआ है आधुनिक साम्यबाद का मूल सत्य , चीन का अपना समाजतन्त्र जिसके साथ मिला हुआ है -फ्रेडारिक एझ्गेल्स की बाणी -'साम्यबाद कोई राष्ट्रीय ब्यबस्था नही है जिसे प्रतिष्ठित करना पड़े , साम्यबाद हमारा आदर्श है -जिसके साथ हमे बास्तब को जोड़ना है ।' हमलोग साम्यबाद को बास्तबिक आंन्दोलन वोलते है जो की बर्तमान स्थिति समाप्त करना है । द्वितिय बिश्वयुद्ध के शेष मेँ , एशिया के मानचित्र मेँ सवसे उल्लेखजनक घटना है -चीन मेँ कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था की कायेम होना (1949 , पहेला अक्टुबर ) ।

     पुँजिबाद , सामन्तबाद , साम्राज्यबाद -ये सब से मुक्त होकर , कम्युनिस्ट राष्ट्र के रूप मेँ , चीन ने अपने आप को प्रकाशित किया तथा एशिया मेँ ही नही , चीन ने पुरे बिश्व के राजनीति मेँ एक ताल मेल बैठाया है । बर्तमान मेँ आन्तरजातिक घटनाऑ मेँ सबसे महत्वपूर्ण घटना है -कम्युनिस्ट नेतृत्व मेँ चीन का संगठित राष्ट्र के रूप मेँ उभरना । कम्युनिस्ट चीन का उत्थान से दक्षिणपूर्व एशियाई राजनीति मेँ महत्वपूर्ण परिबर्तन आया । चीन को नज़र अंदाज करके दक्षिणपूर्व एशियाई शक्ति का निर्धारण करना संभब नही , इस बात की सभी को उपलब्धि है । इस तरह चीन बहुत जल्दी एशीया का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण राष्ट्र मेँ परिबर्तित हुआ है । सिर्फ एशिया महादेश मेँ ही नही , चीन ने उन्नयनशील देशोँ के बीच मेँ अपने आप को तीसरे बिश्व के नेता के हिसाब मेँ प्रतिष्ठित करने मेँ किया है । एशिया के भारत , पाकिस्तान , बांगलादेश , मोंगोलिया , इंदोनेशिया आदि बिभिन्न देशोँ के साथ साथ आफ्रिका महादेश के कञ्गो , मालि , गिनि , तानजेनिया , जाम्विया औरभि भिन्न राष्ट् एबं उनके साथ चीन ने अच्छा संबंध बनाया है । साथ ही साथ चीन ने अपने आसपासके बिभिन्न देशोँ के साथ शान्तिपूर्ण सहाबस्थान की नीति को ग्रहण करके और जुट निर्पेक्ष आंदोलन को शक्तिशाली बनाया ।

    चीन के आंतरजातिक नीति का मूल लक्ष्य है -चीन की स्वाधीनता , सीमारेखा की अखंडता रक्षा करना , उनका संस्कार , उन्मुक्तता और आधुनिक कार्य के लिए एक चमत्कार आंतरर्जातिक परिबेश बनाना एबं बिश्व शांति की रक्षा करना तथा जल्द से जल्द बिभिन्न प्रकार की उन्नतिकरना । चीन की आंतरर्जातिक नीति के मूलतत्व के अंदर ही है -बिश्व शांति की चाबी । चीन की प्रकिति बिभिन्नाने से भरपुर । इसका कही ग्रस्थ का खरताप , कही शित का प्रकोप , कही गभीर जंगल , कही पहड़ पर्वत , कही नदी और कही सुनील सागर । सुजला सुफला सस्य श्यामला चीन प्रकिति का लिला निकेतन अनेक भाषा भाषी , अनेक जाती तथा अनेक धर्माचारि मनुष्यो का देश है । चीन बिश्व की बहुत सी जाती का शीदे धारा आकर चीन मेँ संपृक्त हुआ है । हान , मंगोलिया , हुई , तिब्बत ,उईगुर , मियाओ , जुयां , पुई , कोरिओ , मान , खुं , याओपाई , ली ली , शे बिभिन्न जाति एक शरीर मेँ लिन हो गया है । शत शत बर्ष से छप्पन जाति चीन का 96 लाख बर्गकिलोमिटर भूमी मेँ आपस मेँ परिश्रम , बंश बिस्तार कर चीन का दीर्घ इतिहास और उज्ज्वल संस्कृति सृती किया है । इसलिए चीन को लेकर मन मेँ गुँज उठना है कि इस तरह का देश चीन डुनढने से भी नही मिलेगा । छां चियां , हुय़ांहो , हेईलुं चिय़ां , चुचिय़ां खालिमो प्रमुख नद -नदी चीन को ऊर्बर किया है । यहाँ कम परिश्रम मेँ फसल उत्पन्न करता है । चीन के मनुष्य प्राचिन काल से सिर्फ खाद्य उत्पादन मेँ मन नही दे कर ज्ञान -बिज्ञान दर्शन शास्त मेँ भी चर्चा करते आ रहा है । इस लिए इसलाम धर्म का प्रबर्तक हजरत मोहम्मद बोले थे - ज्ञान सधन करने के लिए सिर्फ चीन देश मेँ जाना चाहिए । प्राचिन चीन बिश्व मेँ ज्ञान बिसतार तथा ब्यपार मेँ प्रभाब बिस्तार किया था । इस युग मे भी बिश्व का प्राय सभी देश के साथ चीन का सांस्कृतिक तथा बानिज्यिक चुक्ति है ।

    बिश्व का उन्नत देश मेँ चीन का मेधा तथा प्रतिभा आज स्वीक्रित है । प्रकिती को सांस्कृति कारन से चीन मेँ छोटा बड़ा कई प्रदेश गठित हुआ है । हर प्रदेश का स्वतंत्र संस्कृति है । अचार बिचार , पोशाक परिच्छद मेँ हर प्रदेश का मनुष्य स्वतंत्र है वह बिदेशी पर्यटक यहाँ आए हुए है । इसी चीन मेँ हान -मंगोलिया -हुई -तिब्बत मेँ एक ही शरीर मेँ लीन हो गया । चीनी वास्तु बिद्या की अपनी बिशेषता होती है जो चीनी राष्ट्र की शान्दार सभ्यता का एक महत्वपूर्ण भाग है । चीनी वास्तु बिद्या बिश्व की एकमात्र काष्ठ ढांचा प्रधान भबन निर्मान ब्यबस्था है । चीनी बास्तु बिद्या के अर्ऩ्तगत हान जाति के भबन निर्मान के अलावा देश की बिभिन्न अल्प संख्यक जातिओ की अपनी अपनी बिशेष बास्तु कला भी देखने को मिलती है । लम्वी दीवार , फरबिडेन सिटि , टेमपल अफ हेभेन , सामार प्यालेस , बुद्ध टेम्पल , टेराकोटा , सिटि ओयाल , पोटाला प्यालेस , कनफुसियास टेम्पल , चायना टाव्यार आदि बास्तु कला देखने को मिलती है । ओपेरा चीनी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण हिससा है ।

    पेइचिंग ओपेरा मे कलाकार अपने मुह कोइ किस्म के रंग लगाकार अलग अलग आदमी को ब्यक्तित्व गुणवत्ता और जीबन का परिचय देती है । 'चाओ घराने का अनाथ पीता ', ' सीलिंग नांग' , 'सफेद साप की कहानी ', 'मरकर भी तेरा साथ नही छोरेंगे ' आदि कहानी पर ओपेरा की परिबेशना सबको मुग्ध कर देती है ।साहित्य मे भी चीन की अलग पहेचान है । चीनी साहित्यिक मो इयान को नोबेल प्राइज मिला है । प्रभाबशाली कवि सुशी , महाकबि दुफु , महाकबि लि पाइ प्रमुख साहित्यिक का रचना सबको दिल छुँ लेति है । बसंत त्यौहार चीनी लोगो का सबसे महत्यपूर्ण त्यौहार है । चीनी लोगो का जीबन और संस्कृति मेँ बंसत त्यौहार का स्थान अनिबार्य है । चीन के बसंत त्यौहार का 4000 बर्ष का इतिहास है । चीनी रीति रिवाज के अनुसार बसंत त्यौहार चीनी पचांग के अनुसार 23 दिसम्बर शुरु होता है और नये साल के 15 जनवरी के व्येन शयाओ त्यौहार तक चलता है ।

    बसंत त्यौहार लगभग तीन हप्ते लम्बा है । बसंत त्यौहार मेँ चीनी लोगो के लिए एक साथ मिलकर घर मेँ खाना खाना जरुरी है । बसंत त्यौहार की रंग बिरंगी रस्मे होती है । चीनी पचांग के अनुसार सात जुलाइ को चीन का छी छयाओ त्यौहार मनाया जाता है । कहा जाता है कि उसिदिन आकाश मेँ छयेन न्यु और जी न्यु नामक दो तारो का मिलन दिन भी है । चीन का परम्परागत त्यौहार छाँग जांग होता है । उसिदिन छोटे बड़े एक साथ पहाड़ो पर चड़ते है । चीन के प्रमुख तीन त्यौहार मेँ से एक है द्रेन वु त्यौहार । यह त्यौहार प्राचीन देशभक्त कबि छुबु की स्मृति मेँ मनाया जाता है । चीनी लोग छुबु की स्मृति मेँ चावलो द्रारा बनाये गये ज्योँग ज नामक खाद्य पदार्थ को नदी मे डाल कर छुबु की पुजा करता है । सी आर आई से मुझे काफी चीजोँ को सिखने का मोका मिला । बिशेष करके टेकनालोजी का उपयोग करके किस प्रकार से चीन अपने बिकास की दर को बहुत ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रो मेँ बढाते है । चीन की तेज प्रगति देखकर बहुत आश्चार्य हुआ । खासकर चीन के शहरोँ और गांवो मेँ समान रूप से तेज बिकास हो रहा है । चीन ने बिकासशील देशो के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश किया है । चीन मेँ यह कहावत है कि सुनने से देखना बिश्वसनीय होता है । लेकिन अगर किसी दुसरे देश की संस्कृति व रीति रिवाज से रूवरू होना और अनाबश्यक गलतफहमी व मनमुटाव मिटाना चाहे तो खुद उसकी जमीन पर कदम रखकर अपनी आंखों से देखना चाहिए । उस बात को रहने दो ।

    चीनी संस्कृति और रीति रवाज मेरे दिल को छु लिया । इसि लिये मैने चीनी संस्कृति कि बारेमे कहना चाहता हुँ -" जु नि ईउये जां ईउये फियाओ लियां " । पश्चिम बंगाल मेँ यह कहाबत है कि - "ऐसा देश कहि ढुंन पर भी नही मिलेगा तुमको / सभी देश कि राणी है वह मेरे सपनो का प्यारी देश -चीन " ।

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