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एस बी शर्मा (झारखण्ड)
2013-08-29 16:08:13
सी आर आई का रेडियो प्रसारण सुनना और वेवसाईट पढना मेरी दिनचर्या है I मैं सी आर आई का रेडियो प्रसारण लगभग सन १९८९ में शुरू किया पर पत्राचार नहीं करता था I धीरे धीरे सी आर आई से लगाव बढते गया I पहली बार १९९९ में सी आर आई द्वारा आयोजित लेख लेखन प्रतियोगिता जिसका विषय था "माई इम्प्रेसन टू चाइना" था जो चीनी रिपब्लिक के ५० साल पुरे होने के उपलक्ष में आयोजित किया गया था, में भाग लिया और बिजेता चुना गया , इनाम के तौर पर मुझे एक सिल्क का रुमाल भेजा गया जो आज तक मेरे पास सुरक्षित है I तबसे आज तक मेरा जुडाव सी आर आई के साथ बना हुआ है और समय समय पर आपका प्यार मुझे मिलता रहा है I इस वर्ष आयोजित प्रतियोगिता में मुझे विशेष पुरस्कार बिजेता चुना गया और ०८ दिसम्बर से १६ दिसम्बर २०१२ निःशुल्क चीन भ्रमण का मौका मिला I यह यात्रा मेरे घुमने फिरने के साथ ज्ञान अर्जन करने और कुछ सिखने का साधन भी रहा आपनी इस यात्रा में मैंने बहुत कुछ देखा , सिखा और पाया जिसकी चर्चा मैं इस में जरुर करूँगा जिससे की सी आर आई के श्रोता, पाठक और वेव प्रयोगकर्ता भी कुछ जान सके , समझ सके I

इस यात्रा में मुझे कई देश के लोगो से मिलने और उनसे कुछ सिखने का मौका मिला, कई बिदेशी मित्र भी बने, उनके रहन सहन, बातचीत के तौर तरीके , खानपान आदि जानकारी प्राप्त हुआ I

मुझे सी आर आई से सूचित किया गया की हाएनान सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का विशेष पुरस्कार मिला है और चीन आना है I ऐसा मुझे सूचित किया गया की "चीन आने का निमंत्रण पत्र और ऐरोप्लेन का टिकट भेज दिया गया है" आप चीन आने की तैयारी कीजिये I यह खबर सुनकर मुझे और मेरे परिवार के लोगों को तथा क्लब सदस्यों को बहुत ख़ुशी हुई I मै वीजा लेने के लिए ३० नवम्बर २०१२ को कलकता वीजा ऑफिस गया पर निमंत्रण पत्र का मूल कापी नहीं होने के कारण वीजा नहीं मिला, मै घर लौट आया, काफी निराशा हुई और इसकी जानकारी सी आर को भी दिया I समय नजदीक था मेरी टिकट ७/१२/१२ की थी मै उम्मीद छोड़ दिया था पर फिर ३/१२/१२ को सी आर आई से फोन आया और मुझे बोला गया की मै पुनः आज कलकता जाऊ और वीजा ओफ्सर से मिलूं , सी आर आई के लोग कलकाता में चाइनीज क्न्सोलेट ऑफिसर से बात कर ली थी I मैं आपना आवश्यक कागजात ले कर ४/१२/१२ कोल्कता गया छान बिन के बाद मेरा वीजा आवेदन स्वीकार कर लिया गया और ५/१२/१२ को वीजा मिल गया I मैं ७/१२/१२ को नेताजी शुभाष चन्द्र बोश अंतरराष्ट्रिय हवाई अड्डे से चाइना इस्टर्न के विमान से कुन्मिंग होते हुए ८ दिसम्बर के सुबह ८ बजे बीजिंग पहुँच गया , एयर पोर्ट पर पहले से लिली मेरा इंतजार कर रही थी I इसके बाद हम दोनों एक पांच सितारा होटल पहुचे, चेक इन कर फ्रेश होने के बाद हम दोनों एक साथ दोपहर का सुरीची खाना खाया I

बीजिंग पहुँचने पर कड़ाके के ठण्ड का अनुभव हुआ, आज काफी सर्द हवा चल रहा था तापमान 0 डिग्री से निचे -९ डिग्री तक लुडक गया था I शाम को मुझे घुमाने और खाना खिलने के लिए रमेश आये , फिर हम दोनों एक साथ एक रेस्तर में स्वादिस्थ चीनी खाना खाए I रात भर आराम करने के बाद ९ दिसम्बर को सुबह आठ बजे हमें घुमने जाना था I सुबह आठ बजे हमें लेने के लिए एक बस आया I इस प्रतियोगिता के दुसरे भाषा के पाँच अन्य आमंत्रित साथियों के साथ हम थ्येन आन मन चौक और फारबिडेन सिटी देखने चले गए I हिंदी बिभाग के तरफ से मेरे साथ रमेश थे I थ्येन आन मन चौक और फारबिडेन सिटी आस पास ही अवस्थित है इसे देखने के लिए देश बिदेश के लोग आतें हैं I थ्येन आन मन चौक पर दो बड़े बड़े टी वि स्क्रीन लगे हुए है जिसपर रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के किसी न किसी राज्य के बिषय में हमेशा दिखाया जाता है I यहीं से एक अक्तूबर की चीन के राष्ट्रिय दिवस की परेड गुजरता है I इसके बाद हम फारबिडेन सिटी देखने गए I यह चीन में राजतंत्र का प्रतिक और धरोहर है जहा से राजा पुरे चीन में राज काज करते थे I राजा के निवास से लेकर शासन करने तक का यही पर ब्यवस्था बनाया गया था I यह मुख्यतः लाल रंग से रंगा हुआ है दिवार और छज्जे पर सुंदर चित्रकरी की गई है पूरा सिटी बहुत ही सुंदर और मनमोहक लगा I पुराने ज़माने के चीनी राजा और रानी के भेष में सजे लोगों के साथ हम फोटो भी खिचवाए I

दोपहर के खाने के बाद हम सभी लोग सी आर आई के कार्यालय पहुंचे जहाँ ओपचारिक रूप से हाएनान समान्य ज्ञान प्रतियोगिता के बिशेष पुरस्कार बिजेताओ को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया था I अपने अपने देश के परम्परागत भेष भूषा में सजे सभी प्रतिभागी सभागार में पहुंचे I हमें सम्मानित करने के लिए सी आर आई दक्षिण एशिया बिभाग के निदेशक, सी आर आई के श्रोता बिभाग के निदेशक, कई बिभाग के अध्यक्ष और कर्मचारी आये थे, जिन्होंने हमारा स्वागत किया I सभी अतिथियों ने अपने अपने भाषण में हमारा स्वागत किया और सी आर आई के साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद दिया I सी आर आई के उपलब्धियों और कार्यक्रमों सहित इसके दिजितालैजेसन की चर्चा की I सभी प्रतिभागियों को एक एक कर पुरस्कृत किया गया तथा प्रमाण पात्र दिया गया और इनके सुझाव और अनुभव को साझा करने को बोला गया इसके बाद सभी लोग अपना अपना अनुभव बताया I मेरे लिए यह पहला अवसर था जब मुझे किसी रेडियो स्टेशन ने श्रोता होने के नाते हमें अपने देश बुलाया, सम्मानित किया और उच्चकोटि का अतिथि सत्कार किया I इस छड को मैं कभी नहीं भूल सकता I पुरस्कार बितरण समारोह के समाप्ति के बाद सभी लोग आपने आपने भिभाग में चले गए मई भी रमेश जी के साथ हिंदी बिभाग चला आया जहाँ वेई तुंग भाई और अनिल जी सहित अन्य लोगो से मिला I यहाँ मुझे बिभाग के तरह से अनेको उपहार दिया गया I साथियों जब मैं हिंदी बिभाग में बैठा था तो अनिल जी ने कुछ खाने को दिया I हम सब मिलकर अनिल जी के इस उपहार का आनन्द लेने लगे, खाने के दौरान हमसे कुछ जूठा गिर गया तभी मैंने देखा की रमेश ने झारू उठाया और साफ करने लगा फिर अनिल बोलो छोड़ दो रमेश मैं साफ कर दूंगा मुझे आश्चर्य हुआ की सफाई करने में भी कम्पटीसन है सभी लोग यह कम क्यों करना चाहते है क्या यहाँ कोई सफाई कर्मचारी नहीं है और मैंने आव देखा न ताव यह पूछ दिया की क्या आपके ऑफिस में कोई सफाई कर्मचारी नहीं है क्या आपलोग क्यों सफाई कर रहे है जवाब में मुझे बताया गया की यहाँ पर कोई बड़ा और कोई छोटा नहीं है सभी कम सब करते है आपना कम है हम सब मिलकर इसे करते है I हमें बताया गया की यह चीन के सभी जगह और सभी कार्यालयों में है , एसा वर्क कल्चर देख मुझे बहुत ख़ुशी हुई और सोचा की यदि यह वर्क कल्चर हमारे देश में होता तो कितना अच्छा होता , पर जो भी हो मैंने पर्ण लिया की मै इसे अपने घर से ही चालू करूँगा और जीवन में अपनाऊगा I

रात्रि भोज के बाद मै होटल आया और बिश्राम किया, रमेश होटल तक आये थे उन्होंने मुझे बताया की कल सुबह आप नास्ते के बाद इस होटल से चेक आउट कर इंतजार कीजियेगा आपको कल हाएनान प्रान्त के सान्या शहर जाना है और आपको लेने के लिए चंद्रिमा जी आएँगी I समयनुसार अगले दिन सुबह चंद्रिमा जी होटल पहुंची और हम सभी अन्य प्रतिभागियों के साथ बस से पेंचिंग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर चल दिए I रास्ते में चंद्रिमा जी ने ओलंपिक स्टेडियम सहित दर्शनीय जगहों को दिखाया और उसके बिषय में महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी I करीब १०.३० बजे हम एअरपोर्ट पहुच गए और ११.३० बजे के हाएनान एयर लाइंस के विमान पर सवार हो लगभग चार घंटे के यात्रा के बाद शान्या अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुच गए I यहाँ का तापमान २४ डिग्री के आस पास था अतः गर्मी का अनुभव हुआ I पहले से यहाँ पर टुअर ओपरेटर मिस्टर वांग और गाइड श्रीमती शी मौजूद थी I बस में सवार हो कर हम अपने होटल के तरफ चल दिए I रास्ते में टुअर गाइड ने हमें शान्या शहर के बिषय में बताया और साथ ही हिदायत भी दी की आप आपने होटल की खिड़कियाँ बंद रखे क्योकि गर्मी के कारण यहाँ मच्छड लगेंगे और आप बिना बताये अकेले समुद्र में नहाने न जाये I संध्या छ बजे हम रात्रि भोजन के लिए नजदीक के रेस्तरा गये जहा हाएनान के परम्परागत भोजन का आनन्द लिए I खाने के बाद हम रोड पर टहलने लगे जहाँ मैंने देखा की ईख आम पपीता आदि फल बहुत बिक रहे थे I अपने देश की तरह यहाँ के लोग भी पान खाए है, खास कर मुस्लिम महिलाये आपके पारम्परिक परिधान पहन कर पान कहा कर अपनी दुकाने चला रही है I यही पर मुझे एक दुकान मिला जिसके साइन बोर्ड पर " भारतीय रोटी की दुकान " चीनी भाषा में लिखा हुआ दिखाई दिया चंद्रिमा जी ने हमें दिखाया जो हमारे देश के पराठा बनाकर बेच रहा था I यहाँ आने वाले लोग बड़े चाव से इस दुकान के बने रोटी खा रहे थे I टहलते हुए हम समुद्र के किनारे तक चले गए जहा लोग पटाखे और फुलझरी जलाकर आपने ख़ुशी का इजहार कर रहे थे I यह हमारे पांच सितारे होटल के नजदीक ही था I लौटते वक्त हमने वह बिक रहे स्वादिष्ट फलों को भी चखा, फलों का रजा आम की अनेक किस्मे यहाँ बिक रही थी I रोड के किनारे सी फ़ूड और मोती की अनेक दुकाने लगी थी I रात में समुद्र के लहरों की आवाज हमारे बालकनी से तेज आवाज से बह रहे आंधी के सामान सुनाई दे रहा था I

रात्रि बिश्राम के बाद सुबह हाएनान के मसहुर पर्यटन वन पार्क यानि वालुन्ग्वान उष्णकटिबंधीय वन पार्क देखने चल दिए १५०६ हेक्टेयर में फैला यह वन पार्क शानया शहर से कुछ दुरी पर अवस्थित है इसे देख कर यह लगता था की समुद्र क्षेत्र पहाड़ से जुडा है पहाड़ वन से यानि समुद्र, पर्वत और जंगल सब एक दुसरे जुड़े हुए है इस वन पार्क में जाने के लिए पैदल और सड़क मार्ग दोनों है सड़क काफी घुमावदार है I सड़क मार्ग के द्वारा बस से निचे से चोटी तक पहुचने में लगभग ८० घुमावदार मोड़ मिले I इन मोड़ पर एसा लगता था जैसे हम एक दूजे के उपर गिर जायेंगे I लगभग हर दस मिनट में एक बस उपर से निचे और निचे ऊपर जाने के लीये खलता था, बस चारो तरफ से खुला होता है ताकि आप किसी दिशा में देख सकें I वन पार्क का क्षेत्र काफी सुंदर है रोड साफसुथरे और ब्यवस्थित है I इस वन क्षेत्र में लकड़ी का बना एक तिन तल्ला मीनार है, जिसपर चढ़ कर लोग पुरे वन क्षेत्र को देखा जा सकता है , मैं और चंद्रिमा जी इस मीनार के ऊपर चढ़ कर इस पुरे पार्क सहित शान्या को देखा ऊपर से पूरा शान्या का भूभाग हरा भरा और सुंदर दिखाई दिया I यही पर चीन के सौर्य का प्रतिक "ड्रैगन" का पाँच हजार किलो लाल ताम्बे से बना आकृति लगा हुआ है जो इस क्षेत्र के सुन्दरता को और निखार देता है I रंगबिरंगी तितिलिया यहाँ के खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है जो लगभग पुरे वन प्रदेश में नजर आती है I इस वन प्रदेश में प्रतिदिन पांच हजार युयान से लेकर पचास हजार युयान किराये वाले सैकड़ो होटल है पर ये इस क्षेत्र के पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुचाते है और अतिथि सत्कार में अनवरत लगे है I इस वन पार्क में चीन की मशुर फ़िल्में भी बनायीं गई हैं I यह वन पार्क बहुत अच्छा और मनभावन लगा I यही पर हम सभी लोग एक साथ खाना खाए और थोड़े समय आराम करने के बाद वो ची छु द्वीप के दौरा के लिए चल दिए I कुछ ही समय बाद हम समुद्र तट पर पहुँच गए जो द्वीप का एक किनारा था फिर मोटर बोट में सवार होकर वो ची छु द्वीप के मुख्य स्थल पर पहुँच गए जहाँ हजारो देशी और सैलानी मजे कर रहे थे हम सब यहाँ खूब मजे किये I समुद्र की लहरे किनारे तक आपने साथ खुबसूरत सिप लेकर आती थी जिसे लोग चुन कर अपने साथ ले जा रहे थे हमने भी कुछ सिप यहाँ इकट्ठा किये I करीब ३ घंटे मजे करने के बाद हम पुनः मोटर बोट से तट पर आ गए I इस समुद्र मार्ग में लगभग ४ फिट उच्ची लहरे उठती है , इन लहरों के साथ मोटर बोट भी ऊपर निचे हिचकोले लेता था जो हमें झुला झूलने का एहसास दिला रहा था I संध्या का भोजन हम सान या शहर के एक भब्य रेस्तरा में किये और सनया शहर घूमते हुए अपने होटल लोट आये I आज की डायरी हमने तैयार की और मेरे आवाज में आज का अनुभव भी रिकॉर्ड किये ताकि इसे सी आर आई हिंदी के वेव साईट पर डाला जा सके जिससे श्रोता और पाठक पढ़ और सुन सकें I

१२ दिसम्बर सुबह नौ बजे नास्ते के बाद इस होटल से चेक आउट कर हम सब बस से चीन के हाएनान प्रान्त के एक अल्पसंख्यक "ली" जाती के एक गावं का भ्रमण करने चल दिए I सुब्य्वास्थित सड़क मार्ग के किनारे सुंदर सुंदर नारियल सुपारी और आम के पेड़ लगे हुए है I सनया शहर काफी खुला और सुंदर डंग से बसा है लगभग दो घंटे के यात्रा के बाद हम ली जाती के लोगो के एक गांव पहुँच गए I हाएनान की ली जाती अपने खूबशूरत कढ़ाई के लिए मशहुर है जो लगभग ३००० साल पुराना है I ली जाती की कढ़ाई चिनी टेक्सटाइल इतिहास का जीवित जीवावशेष कहा जाता है I जब हम ली जाती के गावं में घुसे तो सुंदर मधुर संगीत हमारे कानो में गूंजने लगी, यह ली जाती का परम्परागत गीत था जो काफी अच्छा लगा I नजदीक में ही ली जाती के कलाकार अपने जीवनचर्या पर आधारित संगीत नाटक प्रस्तुत कर रहे थे जिसमे इनके रोजमर्रा के क्रिया कलापों को बखूबी दर्शाया गया उदाहरण स्वरुप युवाओं का प्रेमप्रसंग, फसल की बोआई और कटाई, महिलाओं द्वारा की जानेवाली कढ़ाई सब कुछ इस रंगमंच पर दिखा कर समझाने की कोशिश की गई I इस क्षेत्र में जब प्रेमियों के बिच अलगाव होता है तो लड़कियां लड़के को पिंच (चुटी काटना ) करती है ऐसा मानना है की पिंच का दर्द प्रेमी के अलगाव के दर्द के सामान असह्य और भयानक होता है जो ऐसा न करने का सबक देता है I इसके बाद हम पास के ही एक ली जाती के गव में घुमने लगे जहाँ हमने सुपारी के सुंदर फल से लदे पेड़ देखे I ली जाती कुछ लोगो से भी हम मिले I गावं के लोग आपने दाये हाथ के अंगूठे को छाती तक उठाकर ब्लूम का उच्चारण करते थे इसका मतलब यह था की वे हमें अविवादन बोल रहें है बदले में हमें भी वैसे ही बोलनी चाहिए I उनके घरों को भी देखा, इस क्षेत्र के लोग हमारे झारखण्ड राज्य के आदिवासियों के समान चावल का शराब बनाकर पिते और बेचते है हमने भी इनके शराब का स्वाद लिया काफी मजेदार लगा I यही पर दोपहर का खाना खाने के बाद हम छि शियान ळाघ वन पार्क यानि उषणदेशीय वर्षा वन पार्क देखने गए I

यह क्षेत्र बहुत ही हरे भरे पेड़ पौधों से भरा है यहाँ का दृश्य बहुत ही मनोरम है I यह वन क्षेत्र एक पर्वत क्षेत्र पर फैला है छोटी पर सात सामानांतर चोटिया है जिसे के कारण इसे सात परियो का पर्वत भी बोलते है I आधार तल से चोटी की दुरी २.३ किलो मिटर है सीधे खड़ी सीढियों से ऊपर तक चढ़ना पढता है, हम सब एक साथ पहाड़ पर चढ़ना शुरू किये पर सीधा उच्चा चढ़ाव के कारण थोड़ी ही दुरी पर सब लोग तक गए कई लोग हिम्मत हर गए और बिच से ही वापस लौट गए I पर मैं , मेरा पाकिस्तानी दोस्त करीम, नेपाली दोस्त रामजी राइ और बांग्लादेशी दोस्त इक़बाल हिम्मत कर चढ़ाई चढ़ना शुरू किये और चोटी तक पहुँच गए I चोटी पर पहुचने के बाद हमें सुखद आश्चर्य यह देख कर हुआ की हमारे कोरियाई दोस्त मिस्टर किम और एक मात्र महिला, हमारे सी आर आई के श्रोता विभाग की उपाध्यक्ष वहाँ हमसे पहले पहुच कर हमारा इंतजार कर रहीं थी I अब हम काफी थक चुके थे , थोड़ी देर वहीँ पर आराम किये, यहाँ तेज हवा चल रहा था, वर्षा भी होने लगा छुपने का कोई जगह नहीं था I एसा लगता था जैसे बदल पर्वत के साथ हमें छू रहें है और हम बदल में समा गए है I कुछ बाद हम धीरे धीरे उन्ही सीढियों से निचे उतरने लगे I सीढ़ी काफी फिसलनदार हो गया था, धीरे धीरे सावधानी से सभी लोग निचे पहुंचे जहाँ हमारे बाकि साथी इंतजार कर रहें थे I साम को साढ़े छ बज चुके थे हम वहा ले लौटते हुए खाना खाए और एक नए पाच सितारे होटल में आ गए I हमारे रहने का कमरा पहले से बुक था , यह खुबसूरत होटल सुंदर और शांत वातावरण में बसा था और दूर तक फैला था बैटरी चालित करों से हम अपने अपने कमरे में गए और रात बिताएं I

सुबह नौ बजे हम होटल के मुख्य भवन में इकट्ठा हुए I एक साथ नास्ता किये I इस होटल के आहाते से सातपरियों के पहाड़ की चोटी साफ़ दिखाई दे रहा था I यही पर फोटो लिया गया I होटल से चेक आउट के बाद हम नानशान बौद्ध धर्म सांस्कृतिक केद्र क्षेत्र के दौरा पर चल दिए I रस्ते पर ही सानया शहर मिलता है जहाँ रुक कर हम बाजार घुमने लगे और एक चाइना करमुक्त बाजार में गए जहाँ अनेकों देशो के बेहतरीन ब्रांडेड उत्पाद एकही छत के निचे बिक रहा था I यहाँ से खरीददारी कर हम आगे चले तो थोड़ी ही दूर पर एक फल का सुपर बाजार में घुस गए जिसका नाम " कोकोनट टाऊण" था I इस बाजार में नारियल के अनेको किस्मों के उत्पाद बिक रहे थे यहाँ नारियल के अलावा आंम और पपीते के प्रोडक्ट, कई किस्मों के नारियल दुग्ध पावडर , काफी और कैंडी भी बिक रहे थे I इस सुपर बाजार में बड़ी बड़ी सुखी मछलियाँ बिक रही थी I हमारे जमशेदपुर के लोकल बाजार में भी सुखी मछलियाँ बिकती है पर वह काफी छोटी छोटी होती हैं I इस बाजार में सभी बस्तुओं का मूल्य फिक्स्ड था, अतः खरीददारी करने में कोई परेशानी नहीं हुई I साम को नानशान बौद्ध धर्म सांस्कृतिक क्षेत्र पहुचे I

इसी क्षेत्र में नानशान नामका एक पाँच सितारा होटल भी है जो बहुत खुबशुरत भी है, जैसा की लोग बता रहें थे यह होटल अबतक का सबसे महंगा होटल है I यहाँ केवल शुद्ध शाकाहारी खाना ही मिलता है जो शायद अबतक का सबसे महंगा खाना भी था I इसके मुख्य द्वार पर सफ़ेद रंग में दायें हाथ के हथेली और अंगुलियों को ध्यान मुद्रा में बनाया गया है जिसकी उच्चाई लगभग १५ फिट है जो इस क्षेत्र के उदेश्य और महातम को दर्शाता है I बौध धर्म का यह केंद्र दूर दूर तक फैला है देश बिदेश के लोग यहाँ बौध धर्म की शिक्षा दीक्षा लेने और ध्यान करने आते है I हमारे होटल से एक किलो मिटर की दुरी पर समुद्र के किनारे सफ़ेद रंग का बिशाल महत्मा गौतम बुद्ध की प्रतिमा लगी हुई है जो दूर से ही दिखाई देता है I रात में खाने के लिए हम इसी होटल में आये थे, चुकी यहाँ के सभी भोजन शुद्ध शाकाहारी थे पर उन्हें मांस या मच्छली के रूप में सजाया गया था देखने से सभी ब्यंजन मासाहार लग रहा था पर वह पूर्ण रूप से सुद्ध शाकाहार था I सभी ब्यंजन काफी स्वादिस्ट और सुपाच्य थे आज पहली बार मनपसंद खाना मिला था अतः मैं खूब खाया I सुबह मै अपने साथियों के साथ पैदल ही महात्मा बुद्ध के प्रतिमा देखने गए I यह प्रतिमा बहुत बिशाल है जो शायद अमेरिका के स्टैचू आफ लिबर्टी से भी बड़ा है I इस प्रतिमा के आधार तल में बड़ा हाल है जहाँ हजारो लोग एक साथ पूजा और ध्यान करते है I इस क्षेत्र में अनेको मंदिर और मठ भी है जहा से धर्म और धयान की शिक्षा दी जाती है I यह जगह हमारे देश की गृह राज्य बिहार के बोध गया जैसा लगा जो मुझे बहुत पसंद आया I

आज हाएनान यात्रा का आखिरी दिन था यहाँ से हम एक बिच देखने गए जिसे धरती का छोर के नाम से जाना जाता है I यह बिच बहुत सुंदर था और बहुत दूर तक फैला भी था I हजारो सैलानी यहाँ आते है इस बिच के केंद्र में एक आकृति बना है जिसके मध्य में चमकता हुआ, धागों के सहारे एक शानदार क्रिस्टल लटका हुआ है जो यहाँ आकर्षण का केंद्र है I यहाँ से निकले के बाद हम एक रेस्तर गए और खाना खाए I यह हमारे हाएनान यात्रा का आखिरी पड़ाव था हमारी तुवर गाइड ने यही पर सरे बिदेशियों से हमारी मातृभाषा में ही फीडबैक लिखवाया I वे बोली वैसे तो मै इसे पढ़ नहीं पाऊँगी पर इसे आपके द्वारा दिया गया उपहार समझ कर संजो कर अपने पास रखूंगी I

हम सान्या एयर पोर्ट आ गए कुल मिलाकर सान्या का शहर मुझे अपने देश भारत के गोवा जैसा लगा I हमारी फ्लाईट दो घंटे लेट थी क्योकि पेचिंग में पिछले तिन दिनों से बर्फवारी हो रहा था रात्रि साढ़े बारह बजे हम पेचिंग पहुचे I आज की डायरी हमने हवाई जहाज के ही तैयार कर ली और अनुभव तथा सन्देश भी हवाई जहाज में ही रिकॉर्ड किये , यह मेरे लिए पहला अवसर और पहला अनुभव था जब हम एरोप्लेन में वोईस रिकॉर्डिंग और डायरी लिखे I पेचिंग शहर बर्फ से ढँक गया था चारो ओर सफ़ेद सफ़ेद केवल बर्फ ही दिखाई देता था I वैसे तो १५ दिसम्बर के सुबह हमें लम्बी दिवार देखने जाना था पर बर्फ़बारी के कारण इस प्रोग्राम को स्थगित कर हम स्वर्ग मंदिर देखने गए मुख्यतः नील रंग से रंग यह मंदिर तिन भागों में है यहाँ पुराने ज़माने में राजा अच्छे फसल और जनता के सुख के लिए इश्वर का पूजा करते थे I यह मंदिर काफी क्षेत्र में फैला सुंदर विशाल है जो अपने आकर्षक दिजैन और रंग के कारण बहुत बढियां लगा I यही पर एक म्यूजियम है जिसमे पूजा की बिधि लिखी गई है जिसके अनुसार पहले राजा पूजा किया करते थे I इश्वेर को खुश करने के लिए यहाँ पूजा में पशुओं की बलि दी जाती थी I इस मंदिर प्रांगन में पेचिंग के बुड्डे लोग भारतीय गानों पर ब्यायाम कर रहे थे I यहाँ से निकल हम हम रेस्तारा में खाना खाया और दोपहर बाद बाजार करने एक शोपिंग माल में गए I यहाँ के दुकानदार हमें बिदेशी देख आपने समान का कई गुना ज्यादा बता रहे थे I मैं और करीम कपडे खिलौने तथा इलेक्ट्रोनिक सामान के कई दुकानों में गए और कामो बेस यही स्थिति देखि I अंत में चंद्रिमा जी के समझ में आ गया की दुकानदार हमें बाहरी समझ कर अपने समान का दम कई गुना ज्यादा बोल रहें है I साम पांच बजे ही हम एक बड़े रेस्तारा में गए जहा बर्बिकियु लंच का आर्डर दिया गया, बर्बिकियु लंच मेरे लिए नया था मै उत्सुकता बस चंद्रिमा जी से पूछा तो उन्होंने कहा की शर्मा जी थोडा इंतजार कीजिये अपने आप सब मालूम हो जायेगा I लगभग छ बजे खाना चालू हुआ अब क्या था एक के बाद एक स्वदिस्थ कवाब आने का जो शिलशिला चालू हुआ रुकने का नाम ही नहीं लिया जो बिभिन्न तरफ के मांस, मछली, अन्न और फल से बने थे I बैरा गरम गरम काबाव हमारे टेबल पर लेट थे और परोश्ते चले जाते थे I हम खाते खाते थक गए पर खाना लेन का क्रम बंद नहीं हुआ I अंततः पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद हम यहाँ से निकले और होटल चले आये I

अगले दिन सुबह ६ बजे होटल आई और मुझे एयरपोर्ट तक छोड़ा I मैं भारत वापस आ गया I दोस्तों मै चाइना अकेले गया था पर वापस भारत अकेले नहीं आया मेरे साथ इस यात्रा से जुड़े कई अनुभव , कई सिख, कई नए मित्र और यादें मेरे साथ आयीं मै इन्हें हमेशा अपने साथ रखूँगा जिसे मै भूल भी नहीं पाउँगा और भुला भी नहीं चाहता हूँ I

सी आर आई और विशेषकर हिंदी विभाग का शुक्रगुजार हूँ की उन्होंने मुझे यह अवसर दिया I इश्वर सी आर आई के सभी बिभागों को दिन दुनी रत चौगनी तरक्की दे और इनके लक्ष्य प्राप्त हों I सी आर आई रेडियो और वेव साईट के माध्यम से भारत और चीन के रिश्तों की मधुरता को इसी तरह बढ़ाये और दोनों देशो के संबंधो को नई उच्चाई तक पहुचाये I अंत में मैं यह जरुर कहना चाहूँगा की सी आर के सभी बिभाग (खास कर हिंदी बिभाग) अपने अपने क्षेत्र में बिशेषता प्राप्त करते हुआ विश्व में चीन की मित्रता और भाई चारे के सन्देश को दुनिया में जन जन तक पहुचाये I

मेरे इस यात्रा में सहयोग के लिए हिंदी बिभाग के साथियों को जैसे रमेश, लिली, वेई तुंग भाई , पंकज, अनिल और हेमा जी को बहुत बहुत धन्यवाद खास तौर पर चंद्रिमा जी को जिन्होंने पूरी यात्रा में मेरे खाने पिने तथा स्वास्थ्य पर ध्यान रखने के लिए धन्यवाद I इसके अलावा सी आर आई के कई लोगों के प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से मेरे चीन यात्रा में सहयोग किया है जिसका नाम मुझे स्मरण नहीं है उनको को भी मेरी धन्यवाद

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