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ख्याति के शीर्ष में चीनी जाति की खाद्य संस्कृति:रविशंकर बसु
2013-08-26 09:09:47
पृथ्वी के सभी देशो की मानव जाति के पास खाद्य एक बहुत ही गुरुत्तपूर्ण विषय है। भारत की तरह ही चीन में भी खान-पान उनकी जीवन की प्रतिबिम्ब है। चीनी खाना एबं चीनी लोगों के जीवन में एक गहरा संपर्क है। ज्यादातर चीनी लोग ही उनके चीनी खान-पान को लेकर गर्व वोध करता है एबं यही स्वाभाविक भी है। चीन की खाना सचमुच स्वादिस्ट है। चीन की पकान की ख्याति आज विश्व में सुप्रसिद्ध है।

मोटे तौर पर एक देश की भोजन भौगोलिक मौसम के ऊपर निर्भर करता है। इस तरह रंगीन इतिहास में चीन में भोजन की विविधता विशाल, लंबा और विशिष्ट है। अपने लंबे इतिहास के लिए चीन में एक पाक कला शैली भोजन के जन्म के साथ शामिल किया गया है और यह एक विशेषता है।चीन एक एकीकृत देश है, जहा 56 जातियों की बसा हुआ है जो मैं वास्तव में कल्पना ही नहीं कर सकते। मुख्य रूप से चीनी पाक कला शैली 4 भागों में है। ये हैं -1) शानतुंड 2) स्छ्वान 3) चांगसू 4) क्वांगतोंग पाक-शैली। इस चार प्रमुख पाक-कलाओं को आठ उप -वर्गों में विभाजित किया गया। ये हैं:- 1) शानतुंड 2) हू नान 3) स्छ्वान 4) फू चैन 5) क्वांगतुंग 6) चांग सू 7) च चांग और 8) आन हुई रंधन शैली। ये आठ प्रमु ख चीनी पाक कला पकाने की विधि कहा जाता है।

खाना पकाने के आठ प्रमुख चीनी शैली किसी व्यक्ति रुप से तुलना किया जाये तो-चांग सू एबं च चांग खाना दक्षिणी चीन के खूबसूरत सुंदरी लड़की की तरह,शानतुंड एबं आन हुई पाककला उत्तरी चीन की सीधा सादा लड़के की तरह, क्वांगतुंग एबं फू चैन खाना रोमांटिक एबं राजपुत्र की तरह, स्छ्वान एबं हू नान के खाना एक सुयोग्य व्यक्ति जैसा औजपूर्ण है। चांग सू - चचांग प्रदेश यांगत्सी नदी के अबबाहिका में स्थित है इसलिए यहाँ के खाने में मछली एबं झींगा मछली डिश बहुत ही जनप्रिय है। चीन की दक्षिण प्रांत की खान-पिन में मीठी स्वादिस्ट है क्योंकि यहाँ चीनी उत्पन्न होते है, इसी तरह उत्तरी भाग में नमक उत्पन्न होने के कारन यहाँ के खाने में नमकीन स्वादिस्ट ज्यादा है| हु नान एबं हपेई प्रांत ब-द्वीप अबबाहिका में स्थित होने के कारन खाने में पोल्ट्री एबं मांस का इस्तेमाल ज्यादा होते है। चीन में हजारो तरह की खाना है। हर प्रदेश की अलग अलग की स्वादिस्ट खाना। चीन की दक्षिण की द्वार नाम से जाने गए क्वांगतुंग की राजधानी क्वांग चो की रंधन प्रकरण पुरे विश्व की स्वादिस्ट खाना खाने वाले लोगो की स्वर्ग जैसा स्थान है।

खान-पिन में माहिर लोग बोलते है की यदि आप अच्छा खाना खाने चाहते हैं, तो चीन जाना होगा और अगर चीन की अच्छा खाना खाने है तो स्छ्वान जाना होगा। इसी बात से यह प्रमाणित होता है की स्छ्वान की खाना चीन की सबसे स्वादिस्ट है। 2010 में इसी प्रदेश की राजधानी चंगतू "स्वादिस्ट खाने की राजधानी" नाम से इउनेस्को से स्वीकृति मिली है। स्छ्वान में कई प्रकार के भोजन है। कुंग पाओ चिकन(Kung Pao Chicken) चीन के स्छ्वान प्रांत के एक उत्कृष्ट भोजन है। इस चिकन डिश, नट और सूखे मिर्च के साथ किया जाता है जो बहुत खट्टा है। स्छ्वान लोगों का प्रांत में खट्टे खाद्य पदार्थ पसंद करते हैं। इस प्रान्त के खाना खट्टे होने के कारण देश भर में लोकप्रिय है। स्छ्वान के और कुछ खान-पिन है- हुई कू मांस (Hui Guo), खट्टे तौफु (Tofu) और मसालेदार और खुशबूदार hotpot।

मैं किसी भी खाना पकाने या भोजन के विशेषज्ञ नहीं हूँ। बंगाली डिश में से दाल भात और आलू पोस्टो खाने वाला एक साधारण बंगाली हूँ। सभी मौसम में दाल भात ही मेरा भरोसा है। मैं कभी कबार कोलकाता की मेनलैंड चाइना रेस्तरा में जाकर अपनी पॉकेट की वजन की अनुसार फ्राइड चिकन या चाउमिन खाता हूँ। मिक्स्ड चाउमिन और केनटोनीज चाउमिन आज बंगाली की फवौरित डिश है। मेरा धर्मपत्नी सुदेष्णा ने मुझे हमेसा लहसुन, चिकन और सब्जी मिलाकर चाउमिन बनाकर खिलाते है। वह क्या स्वाद का एहसास है ! आज "हिंदी-चीनी भाई भाई" यह स्लोगन हमारे खाने की डिश में भी प्रतीत होता है।

मेरा चीन यात्रा से चीनी लोगों की खाने-पिने के साथ पश्चिम बंगाल और बांगलादेश के खान-पिन की भिन्नता दिखाई दिया। चीन के खाने का रेस्तरों सुबह 5 बजे शुरू हो जाते है और सुबह 8 बजे की अन्दर ही बंद हो जाते है। दोपहर के खाने के 10.30 बजे से 12.30 बजे तक दोकान खुले रहते है। मैं ने देखा की शाम को पेइचिंग के रेस्तरों ने 5 बजे खुलते है और शाम को 7 बजे के अन्दर बंद हो जाते है। यह चाइनीज लोगों का अभ्यास है की दोपहर एक बजे में लंच खाना और शाम 7 बजे के अन्दर डिनर लेना। इसलिए सीआरआई हिंदी विभाग के दोस्तों के साथ मुझे भी 6.30 बजे की अन्दर ही डिनर करने पड़ता था। चिंता क्या जाता है? मेरा सोने का समय है रात को 11 से 12 के अन्दर। रात को भूख लग जाते थे, तब मैं अपनी बैग से बिस्कुट निकलकर खाते खाते सोचते थे की सभी चाइनावासी अभी नींद में स्वप्नों में बिभोर है।

शाम को मैं सीआरआई के एक होटल में डिनर करते थे। होटल की परिवेश काफी घरेलु जैसा है। उस समय मैं ने एक चीज लक्ष्य किया की चीनी लोग काफी गरमी खाना खाते है साथ ही सूप बहुत खाते है। और देखा की काफी चीनी लोग सह परिवार के साथ बियर, व्हिस्की या दुसरे पानीय पीते है।समझ में आया की चीन में शराब एक आम बात है और परिवार की संस्कृति में मदिरा की चल है। एकदिन इसी होटल में सी आर आई हिंदी विभाग के चंद्रिमा जी और लिली जी "पेइचिंग रोस्ट डाक" डिश का ऑफर किया। मैं जानता था की पेइचिंग में आकर अगर किसी ने "पेइचिंग रोस्ट डाक" का मजा नहीं लिया तो उनका चीन आना ही ब्यर्थ है। लेकिन हिंदू विद्या देवी माँ सरस्वती की वाहन हंस होने के कारन मैं ने इसका स्वाद नहीं लिया। मेरे सामने बैठकर जब चंद्रिमाजी, लिलीजी, रमेशजी तुकरे तुकरे करके "पेइचिंग रोस्ट डाक" का मजा ले रहा था और तब मैं पेइचिंग की ठंडे हवा में हॉट पानी पि रहे थे। सीआरआई की श्रीलंका के एक महिला रिपोर्टर ने हसते हुए मुझे बोला- Mr. Bosu,"You miss the real taste of China." मैं तब उनको बोला की भारत तथा बंगलादेश की खान-पान की संस्कृति धर्म से काफी नियंत्रित है। मुझे अगर फिर चीन आने का मौका मिलता है तो साथ में जरुर गंगा नदी के पानी ले आऊंगा और "पेइचिंग रोस्ट डाक" का स्वाद प्याज और सलाद के साथ लूँगा। मैं दुसरे श्रोता दोस्तों को बोलना चाहूँगा की अगर आपलोगों को "पेइचिंग रोस्ट डाक" का स्वाद लेने का मौका मिले तो कभी मेरे जैसा मिस मत कीजिएगा।

एक दिन जब रात को सिनेमा हॉल से चीन के विख्यात फिल्म निदेशक ली आन की फिल्म "लाइफ ऑफ पाई" (Life of Pi) देखकर ए.सि. गाड़ी से आ रहे थे मैं चंद्रिमा जी को बोला की मैं आपलोगों का मेट्रो रेल यानी भूमिगत रेल देखना चाहता हूँ। एक स्टेशन से उठकर सीआरआई के बिल्डिंग के सामने उतरा। सदा हसते रहते हुए चीनी पुरुष महिला के साथ बैठकर आते आते यह महसूस हुआ की, यह चीनी समाज के विकास के असली प्रतीक है। तेजी से चलने वाला यह पाताल रेल चीनी समाज का उन्नयन का वास्तव प्रतीक है। परिश्रमी चीनी जाती की महत्त शायद इसी में।

यह लेख जहा ख़त्म किया फिरभी लग रहा है की ह्रदय की हजारो बाते रह गए। चीनी जीवन संस्कृति एबं रंगीन वैचित्रमय एक ही पन्ना में लिखकर ख़त्म करना इतना आसान नहीं है। फिरभी इस ज्योति समुद्र के बिच चीन की कमल का कुछ ही मधु पान करने पाया जो की मैं अपने आपको धन्य मानता हूँ। मैं भगवान के पास दुआ करता हूँ की मेरा दिलो का धड़कन सीआरआई की हिंदी विभाग से सोने की रौशनी की तरह सुशोभित चीन जाने का आमंत्रण फिर मिले...।

नमस्कार सहित –

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