चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने स्थानीय समय के मुताबिक 25 मई को दोपहर बाद बर्लिन पहुंचकर जर्मनी की दो दिवसीय औपचारिक यात्रा शुरू की। जर्मनी उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव है।
जर्मन सरकार के अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर ली खछ्यांग का स्वागत किया। वहां ली खछ्यांग ने लिखित भाषण में कहा कि चीन के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने यूरोपीय संघ में सबसे पहले जर्मनी को यात्रा के लिए चुना है। यह साबित होता है कि चीन के नये नेता चीन-जर्मनी व चीन-यूरोप संबंधों पर बड़ा ध्यान देते हैं। चीन व जर्मनी दोनों विश्व में महत्वपूर्ण प्रभावशाली देश हैं। जर्मनी के साथ मैत्रीपूर्ण सहयोग का विकास चीन की रणनीतिक चुनाव व दीर्घकालीन नीति है। हम जर्मनी के साथ समझ व आपसी विश्वास को मजबूत करने, सहयोग को विस्तृत करने, अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों में आदान-प्रदान व समन्वय को मजबूत करने और चीन-जर्मनी रणनीतिक साझेदार संबंधों में नयी प्रगति प्राप्त करने की कोशिश करना चाहते हैं।
यात्रा के दौरान ली खछ्यांग जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ वार्ता करेंगे, और संवाददाता से भेंट करेंगे। मैर्केल बर्लिन के उपनगर स्थित जर्मन राज्य अतिथिगृह मेसेबेर्ग महल में चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग का स्वागत करने के लिये एक रात्रि भोज भी आयोजित करेंगी। मेसेबेर्ग महल का निर्माण 18वीं सदी के आरंभ में शुरू हुआ था। वर्ष 2007 से वह जर्मनी का राज्य अतिथिगृह बन गया। इसके बाद मैर्केल ने कई विदेशी नेताओं को वहां जाने का निमंत्रण दिया है।
बर्लिन की यात्रा के दौरान ली खछ्यांग पोत्सदाम सम्मेलन के पुराने स्थल सेसिलिएन महल का दौरा करेंगे और वहां मीडिया को संबोधित करेंगे। जुलाई 1945 से अगस्त तक सोवियत संघ, अमेरिका व ब्रिटेन तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने वहां पोत्सदाम घोषणा जारी करके जापान से आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया, और थाइवान व पेंहू द्विपों को चीन में वापस देने के काहिरा घोषणा पत्र की पुष्टि भी की।
बताया जाता है कि जर्मनी की यात्रा के दौरान ली खछ्यांग जर्मन राष्ट्रपति व मुख्य पार्टियों के नेताओं से भी भेंट करेंगे। साथ ही वे चीन-जर्मनी उद्योग व वाणिज्य जगतों के लिये आयोजित दोपहर के भोजन के समय भाषण भी देंगे।
चंद्रिमा