विश्व हिंदी दिवस के मौके पर चीन में भी हिंदी की गूंज रही। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी से जुड़ने का यह एक अच्छा अवसर होता है। बृहस्पतिवार 10 जनवरी को यही बात पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास में भी देखने को मिली। चीनी लोगों की मौजूदगी इस बात का प्रतीक कही जा सकती है कि उन्हें हिंदी व भारत के प्रति लगाव कम नहीं है।
अक्सर दूतावास में अंग्रेज़ी में कार्यक्रमों का संचालन होता है, लेकिन 10 जनवरी को पेकिंग विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर अनिल राय ने हिंदी में मंच की कमान संभाली। शायद अंग्रेजी वालों के लिए यहां कोई मौका नहीं था, सभी वक्ता हिंदी में ही बोले। प्रो. राय ने कहा कि हिंदी को वैश्विक रूप देने के लिए विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने इसे दुनिया की सबसे अहम वैज्ञानिक भाषा का दर्जा भी दिया। साथ ही हिंग्लिश के प्रचलन से हिंदी को खतरे जैसी बात को नकारते हुए कहा कि हिंदी यूं ही आगे बढ़ती जाएगी। उन्होंने हिंदी को लेकर कहा, हम न मरें, मरे है संसार।
वैसे हिंदी एक तरह से विविध भाषा है, जो अपने आप में तमाम भाषाओं के शब्दों को समेटे हुए है। अरबी, फारसी, तुर्की व अग्रेज़ी सहित तमाम क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द हिंदी में आसानी से मिल जाते हैं।
इस दौरान सांस्कृतिक काउंसलर अरुण साहू ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बधाई संदेश भी पढ़ा। जिसमें मनमोहन ने हिंदी प्रेमियों को बधाई देते हुए कहा कि यह हिंदी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। साथ ही उन्होंने हिंदी को भारत और चीन के बीच दोस्ती बढ़ाने का एक प्रमुख ज़रिया भी बताया। वहीं हिंदी के साथ-साथ संस्कृत के महत्व पर भी प्रकाश डाला। समारोह में चीन में अध्ययन कर रहे भारतीय छात्रों व अन्य लोगों ने भाषण व कविताएं पेश की।