व्यापक जनता तक शिक्षा पहुंचाने के लिए चीन में कई तरह के स्कूलों की योजना बनाई गई है। यहां प्री-स्कूल, किंडरगार्टन, और ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी स्कूल जो देख-सुन नहीं पाते है या जिनमें विशेष योग्यता है। इसके अलावा प्राथमिक स्कूल, सैकेंडरी स्कूल हैं, सैकेंडरी तकनीकी स्कूल, वोकेशनल स्कूल और सैकेंडरी प्रोफेशनल स्कूल आदि भी हैं।
चीन में विशेष स्कूल भी हैं जहां मेरिट के आधार पर छात्रों को भर्ती किया जाता है और इन स्कूलों को सरकार की ओर से अधिक सुविधाएं मिलती हैं और यहां से निकलने वाले छात्रों को अच्छे उच्च स्कूलों में प्रवेश मिलना आसान होता है। लेकिन विशेषज्ञों ने इन स्कूलों की स्थापना पर प्रश्नचिंह भी लगाए हैं और बहुत से प्रांतों ने जैसे छांगछुन,शनयान,शनचन,श्यामन आदि ने विशेष स्कूलों को खत्म कर दिया है। अंग्रेजी की शिक्षा तीसरी कक्षा से दी जाने लगती है। लगभग हर स्कूल में सप्ताह में एक दिन विद्यार्थियों को सामुदायिक कार्य भी करना होता है। विद्यार्थियों को अक्सर समूहों में बंट कर काम करना होता है ताकि वह मिल जुल कर रहना और काम करना सीख सकें। जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के लिए स्कूल और कक्षा की आम सफाई का काम छात्रों को ही बारी-बारी से करने को दिया जाता है। 9 साल की अनिवार्य शिक्षा में शहर और गांव में दी जाने वाली शिक्षा में फर्क को कम करने के प्रयास किए गए हैं। गावों में दी जाने वाली शिक्षा में फसल के मौसम को ध्यान में रखा जाता है, छुटिटयों को, कक्षाओं को आगे-पीछे खिसकाया जा सकता है। वोकेशनल और तकनीकी शिक्षा को इसमें शामिल किया गया है।
आम तौर पर स्कूल सुबह 7 बजे शुरु हो जाता है। हर कक्षा 45 मिनट की होती है और खाने की छुटटी के अलावा शाम तक क्लासिस होती है। वैसे तो क्लास केवल पांच दिन होती हैं लेकिन बच्चों को सप्ताह की छुटटी होने पर भी छुटटी नहीं होती। परिवार में केवल एक बच्चा होने के कारण और चीन में तेजी से विकास होने के कारण नौकरी पाने, अच्छी नौकरी पाने के लिए अच्छे स्कूलों में उनके बच्चे शिक्षा पाएं, यह चिंता हर मां-बाप को, विशेषकर शहरों में रहने वाले मां-बाप को ज्यादा रहती है। माध्यमिक स्कूल पहला ऐसा एक पड़ाव है जिसमें प्रवेश पाने के लिए विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ता है। हर शहर में कुछ स्कूल अन्य स्कूलों की अपेक्षा अधिक अच्छे माने जाते हैं और उनमें प्रवेश लेने के लिए प्रतियोगिता भी बहुत कड़ी होती है। अच्छे माध्यमिक स्कूल में उनके बच्चे प्रवेश लें, इसके लिए चूहा दौड़ लगी रहती है जिसका खामियाजा बच्चों को झेलना पड़ता है। उनका सप्ताहांत खेल, आराम की जगह निजी कक्षाएं ले लेती है।