उन्होंने कहा कि मैं पेइचिंग के पास के एक गांव में गया था। मुझे वहां की सभी जीचें बहुत पसंद आईं। मेरे विचार में मेरा सबसे पसंदीदा शहर पेइचिंग ही है।
जेटगांव शहर बांग्लादेश का सबसे बड़ा बंदरगाह है और वह राजधानी ढाका के बाद बांग्लादेश का दूसरा बड़ा शहर है। पेइचिंग में एक साल रहने वाले जेटगांव शहर के व्यक्ति के रूप में रहमान को मजबूत सांस्कृतिक झटका लगा है। जेटगांव शहर में रहमान समेत अनेक पुरूष घर का काम नहीं करते हैं और वे खाना भी नहीं बना सकते हैं। इस्लामी देशों के सांस्कृतिक मूल्यों में घर और परिवार के अधिकांश दैनिक काम महिलाएं ही करती हैं। लेकिन पेइचिंग आने के बाद रहमान को अपने आप खाना बनाना पड़ता है। उनके अनेक पुरुष चीनी मित्र घर का काम कर सकते हैं और अधिकाधिक चीनी पुरुषों का विचार है कि पत्नी या महिला मित्र के साथ घर का काम करना एक खुशी की बात है।
एक मुसलमान के रूप में रोज शाम को 7 बजे रहमान समय पर अपने छात्रावास में टोपी पहनकर नमाज़ (मुसलमानों के प्रार्थना करने का तरीका) पढ़ते हैं। हर शुक्रवार वह अपने बांगलादेशी मित्रों के साथ पेइचिंग के न्यूचिए सड़क पर स्थित मस्जिद में नमाज़ पढ़ते हैं। 11 जुलाई को ईद का त्योहार मनाने के लिए उन्होंने एक महीने का उपवास रखा था। रहमान की नज़र में हालांकि जेटगांव शहर एक बंदरगाह शहर है और वहां का व्यापार विकसित है, लेकिन वहां पर इस्लामी संस्कृति का माहौल है। पेइचिंग चीन की राजधानी है। चीन के आर्थिक केंद्र के साथ साथ सांस्कृतिक केंद्र भी है। उन्हें ये दोनों ही शहर बहुत पसंद हैं।