शहरों और कस्बों में काम करने वाले किसानों के सामने मौजूद सवालों का आगे समाधान करने के लिए सुधार और विकास के माध्यम का उपयोग किये जाने की जरूरत है। सरकार को सबसे पहले इसके लिए काम करना चाहिए। इस साल एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मलेन में इस तरह के अनेक प्रस्तावों को ज्यादा ध्यान मिला।
चीन की राष्ट्रीय विकास और सुधार कमेटी के अध्यक्ष च्यांग फिंग ने एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मलेन के दौरान आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बड़े शहरों को बाहर से आए कई श्रमिकों की आवश्यकता है। उन लोगों के घरेलू रजिस्टर अपने रहने वाली जगह पर हैं, इलसिए उन्हें काम करने वाले शहरों के लोगों के बराबर वेतन नहीं मिल सकता। उन लोगों के वेतन और शहरवासियों वेतन में बड़ा अंतर है और सार्वजनिक सेवा, सामाजिक कल्याण आदि के क्षेत्र में भी। वेतन, बच्चों की शिक्षा, सार्वजनिक चिकित्सा, निवास और सामाजिक गारंटी आदि के क्षेत्रों में उन लोगों को शहरवासियों के बराबर सुविधा देने की आवश्यकता है।
एनपीसी के प्रतिनिधि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के छोंग छिंग शहर के पा नान क्षेत्र की कमेटी के अध्यक्ष ली च्यान छुन का विचार है कि शहरों और कस्बों में काम करने वाले किसानों का सवाल वास्तव में घरेलू रजिस्टर का सवाल है। घरेलू रजिस्टर के सुधार का महत्व है खेतों का अनुबंध करने के सवाल का समाधान। यह चीन की वर्तमान आर्थिक क्षमता पर निर्भर है और संबंधित नियम बनाने की प्रतीक्षा करने की जरूरत भी है।
चीनी प्रधानमंत्री वन च्या पाओ ने इस वर्ष एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मलेन में पेश की गई कार्य रिपोर्ट में कहा है कि शहरीकरण चीन के आधुनिकीकरण निर्माण का ऐतिहासिक कार्य है। शहरीकरण को वस्तुगत नियम के अनुकूल होना चाहिए और इसके आधार पर शहरीकरण के स्वास्थ्य विकास को समुचित रूप से आगे बढाया जाना चाहिए। घरेलू रजिस्टर व्यवस्था, सामाजिक प्रबंधन व्यवस्था और संबंधित व्यवस्था के सुधार में गति दी जानी चाहिए, जिससे शहर में रहने वाले सभी लोगों को बुनियादी सार्वजनिक सेवा मिल सके और लोगों के सुखमय जीवन के लिए न्यायपूर्ण व्यवस्था और वातावरण बनाया जा सके।
घरेलू रजिस्टर व्यवस्था, सामाजिक प्रबंधन व्यवस्था और संबंधित व्यवस्था के सुधार में गति देना शहरों और कस्बों में काम करने वाले किसानों के सवाल के मूल व्यवस्था से संबंधित है। इस सुधार में इस तरह के और ज्यादा किसानों को वेतन, वृद्घ पेंशन, श्रम की सुरक्षा और बच्चे की शिक्षा जैसे सवाल के समाधान में उम्मीद की एक किरण बाकी है।
(वनिता)