किताबों का संबंध मनुष्य के शिक्षा और नैतिक विकास से संबंधित है। इसलिए प्रकाशन संस्थान को अच्छी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसी विषय पर नान चिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्वी ने कहा कि किताब पढ़ना सभी लोगों के अस्तित्व और उसके जीवन का एक मुख्य पहलू है। यह किसी प्रकाशन विभाग या प्रेस और समाचार विभाग का ही नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में कागज पर मुद्रण भी ठीक है, पत्थर पर लिखाई भी सही है, ताम्रपत्र पर भी लिखाई अनुकूल है, पेडों की छाल पर लिखाई भी सही है। यह सभी तो मानव सभ्यता के विकास की एक एक प्रक्रिया है। इसलिए मेरा मानना है कि इस विकास की प्रक्रिया को पूरी सभ्यता के विकास के इतिहास के तौर पर देखा जाना चाहिए। मेरा मानना है कि कागजी किताब और दूसरे माध्यमों के किताब का महत्व और भविष्य समान रूप से उज्ज्वल है। चीन में मुद्रित बहुत सारी किताबों को नहीं पढ़ा जाता है बल्कि हमलोग विदेशी किताबों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि विदेशी पुस्तकें हमारे देश के सृजन और नवसृजन के लिए कितना महत्व रखती है।