Web  hindi.cri.cn
तिब्बती लेखक अलाई की कहानी
2012-01-02 16:47:33

तिब्बती जाति के लेखक अलाई चीन के आधुनिक साहित्य जगत मे प्रभावशाली लेखकों में से एक माने जाते हैं।अपने उपन्यास "लाल पोस्ता" के लिये उन्हें पांचवें माउतून साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।साथ ही वह अभी तक एकमात्र तिब्बती जाति के लेखक हैं,जिन्हें यह पुरस्कार मिला है।एक तिब्बती लेखक के रूप में अलाई तिब्बती लोगों के जीवन की मूल स्थिति और इस स्थिति में निहित परिवर्तन व लालसा पर ज़्यादा ध्यान देते हैं।आज हम लेखक अलाई से बात करेंगे और एक तिब्बती लेखक के दृष्टिकोण से तिब्बती क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति में आये बदलाव देखेंगे।

अलाई का जन्म वर्ष 1959 में स्छ्वान प्रांत में उत्तर तिब्बती क्षेत्र स्थित मारकांग काउंटी में हुआ।उन्होंने मारकांग नोर्मल कॉलेज में पढ़ाई की।वर्ष 1982 से उन्होंने कविता लिखना आरंभ किया।1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से लेकर उन्होंने उपन्यास लिखना शुरू किया।

उन की मुख्य पुस्तकों में कविता संग्रह "मोलेंग नदी", कहानी संग्रह "सालों पहले लगे खून" व "चांदनी तले सुनार" और निबंध "ज़मीन पर सीढियां" हैं।वर्ष 2000 में अलाई को उपन्यास "लाल पोस्ता" के लिये पांचवां माउतून साहित्य पुरस्कार मिला ,जो चीन में उपन्यास लेखकों के लिये एक बड़ा पुरस्कार है।इस उपन्यास का 16 भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

उपन्यास "लाल पोस्ता" 1994 में प्रकाशित हुआ।अलाई को इस पौराणिक कथा जैसा उपन्यास रचते हुए 8 महीने लगे।"लाल पोस्ता" में तिब्बती कुलिन के एक मूर्ख बेटे के नज़रिये से तिब्बती कुलीन व्यवस्था के समापन से पहले का इतिहास वर्णित है।

अपनी रचना प्रक्रिया की याद करते हुए अलाई ने कहा कि जो चीज़ वे सबसे अच्छी तरह जानते हैं, वह है अपनी मातृभूमि का इतिहास और कहानियां।इसलिये उन्होंने प्राकृतिक तौर पर स्थानीय इतिहास का खूब अध्ययन किया है।अलाई के अनुसार स्छ्वान प्रांत में तिब्बती क्षेत्र के स्थानीय इतिहास के अनुसंधान के लिये दो चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण हैं——धर्म और स्थानीय राजनीतिक व्यवस्था।"लाल पोस्ता" की कहानी इस विशेष क्षेत्रीय व राजनीतिक पृष्टभूमि में रची गयी है।

"लाल पोस्ता" के प्रकाशन के बाद अलाई का उपन्यास "खाली पर्वत" प्रकाशित हुआ।इस उपन्यास की पृष्टभूमि अबा तिब्बती क्षेत्र है,जिसे अलाई अच्छी तरह जानते हैं।इस उपन्यास में अलाई ने चीन के ग्रामीण क्षेत्र के इतिहास का वर्णन करने की कोशिश की है।"खाली पर्वत" में तिब्बती क्षेत्र के एक गांव में हुए विकास और परिवर्तनों का विभिन्न पहलुओं में उल्लेख किया गया है।समान संस्कृति एवं पृष्टभूमि के तहत अलग-अलग व्यक्तियों तथा घटनाओं से तिब्बती गांव का संपूर्ण दृश्य दिखाई प़ड़ता है।

हमारे संवाददाता ने अलाई से पूछा कि क्या सभी लेखक अपनी जान पहचान के वातावरण को अपनी रचना की पृष्टभूमि बनाते हैं।इस सवाल का जवाब देते हुए अलाई ने कहा कि लेखन जीवन के आधार पर होता है।लेकिन यथार्थ जीवन अनुभव रचने का इकलौता स्रोत नहीं है।अलाई ने बताया कि बहुत लेखक किसी स्थान में अपने अनुभव के अनुसार वहां का वातावरण पेश करते हैं।साथ ही लेखक की अपनी भावना भी इस में शामिल होती है।मगर यह बात अधिक महत्व की नहीं है कि रचनाकार को प्रेरणा कहां से मिली ।अलाई के शब्दों में जो स्थान उन लेखकों की रचनाओं में आता है, सबसे पहले वह दुनिया में एक स्थान है।हम लेखकों को केवल एक-एक छोटे से स्थल के बजाय पूरे संसार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।सबसे पहले हम दुनिया में इंसान हैं फिर हम किसी देश के और किसी जाति के सदस्य हैं।अलाई के शब्दों में

(आवाज़-1)

रचना का अपना महत्व ज़रूर होना चाहिये।लिखने से पहले मुझे इसकी पुष्टि करनी है कि क्या इसका मुझपर कोई प्रभाव पड़ेगा।मेरे ख्याल में उपन्यास रचना खुद को कीटाणुमुक्त करने की प्रक्रिया है।यानि कि वह अपने को बेहतर बनाने की प्रक्रिया है।मुझे उम्मीद है कि मेरी ज़िन्दगी के अंतिम क्षण तक मेरी इन रचनाओं में मेरा भरपूर प्रयास दिखाई पड़ेगा।

अलाई साहित्य पर काफ़ी सोच-विचार करते हैं।वह उत्सुकता के साथ वैश्विक साहित्य और दर्शनशासत्र सहित सार्वभौमिकता का अध्ययन करते हैं।जो बीत गये समय में नज़र आया,उस तरह के वातावरण में अलाई ने आधुनिक साहित्य के विकास के प्रति अपने विचार व्यक्त किए हैं।किसी स्थान की विशेषता दिखाने के अलावा पाठकों को अलाई की रचनाओं में और ज़्यादा दिलचस्प विषय मिल सकते हैं।एक लेखक के रूप में अलाई की दृष्टि में अच्छी कहानी के लिये पात्रों का बढिया वर्णन करना सबसे अहम बात है।एक अच्छी कहानी व्यक्तियों के स्वभाव तथा भाग्य में हुए विकास और बदलाव के साथ साथ सुनायी जानी चाहिये।अलाई ने हमें बताया

(आवाज़-2)

हाल में काफ़ी लेखक ऐसा सोच रहे हैं कि अपनी रचनाओं में वे पात्र आसानी से एक समुदाय, एक देश यहां तक कि एक जाति का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।यह अवधारणा आज के साहित्य से मेल नहीं खाती है।

वर्ष 2008 में अलाई ने उपन्यास "गेसर"समाप्त किया।परंपरागत महाकाव्य गेसर की तुलना में अलाई के इस उपन्यास में गाढ़ी आधुनिक चेतना सामने आयी है।इस उपन्यास का 6 भाषाओं में अनुवाद हुआ है।अलाई का दुनिया के साथ रिश्ता और अधिक घनिष्ठ हो गया.है।अलाई के शब्दों में

(आवाज़-3)

ऐसा नहीं है कि मैं दुनिया की तरफ़ कदम बढ़ाना चाहता हूं।वास्तव में पूरा विश्व मेरे सामने खड़ा है।

अलाई के ख्याल से फिलहाल हम बड़ी उत्सुकता से दुनिया को खुद को दिखाना चाहते हैं।न केवल पूर्व में बल्कि पश्चिम में दुःखांत से लोगों को सोच-विचार की ज़्यादा प्ररेणा मिलती है।

साहित्य रचने का कामकाज शुरू करने के बाद अलाई सदा से अपने पैतृक क्षेत्र च्यारोंग तिब्बती क्षेत्र के प्राकृतिक दृश्य और इतिहास को अपनी रचना का स्रोत मानते हैं।शहर में रहने पर भी अलाई कहानियां और प्रेरणा खोजने के लिये तिब्बती क्षेत्र जाना पसंद करते हैं।अलाई के मुताबिक वह या तो ग्रामीण इलाके में रहते हैं,या दूसरे प्रांत में या विदेश में रहते हैं।अपने कई भाइयों के पैतृक घर में रहने के कारण उन का अबा तिब्बती क्षेत्र से साथ मज़बूत मानसिक रिश्ता कायम है।वह हर साल कुछ वक्त के लिये अबा के पहाड़ों में गाड़ी चलाते हुए जाते हैं।उन्होंने ने कहा कि इसका कोई निश्चित उद्देश्य नहीं है,केवल घूमने के लिये।

अपनी किताब में अलाई ने अपनी मातृभूमि च्यारोंग तिब्बती क्षेत्र का इस तरह वर्णन किया है——चाहे एक किताब के लिये, या एक व्यक्ति की बुद्धिमानी के लिये यह ज़मीन अधिक विशाल दिखती है।नदियां दिन-रात बहती हैं, चार मौसम बदलते रहते हैं और यहां पर जन-जीवन सदाबहार रहा है। अलाई के लिये तिब्बती क्षेत्र में लोगों के जीवन में आ रहा परिवर्तन और विकास हमेशा लिखने की सामग्री व प्रेरणा रहेगा।

(लिली)

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040