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12 साल: जीव-वर्जित क्षेत्र में इकलौती महिला सैन्य चिकित्सक
2011-10-10 17:12:58

करीब 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तिब्बत का नाग्जू चीन में एक ऐसी काउंटी है,जहां कोई पेड़-पौधा नहीं उगता है।महिला सैन्य चिकित्सक फन यैन वहां 12 साल से रह रही हैं और स्थानीय तिब्बती लोगों का उपचार कर रही हैं और तिब्बत स्थित सेना के लिये नर्सिंग व्यवस्था की व्यवस्थता देखती हैं।इसके अलावा वे अपने वेतन से कल्याण संस्थान में रह रहे तिब्बती बच्चों की मदद करती हैं।नाग्जू जीव-वर्जित क्षेत्र माना जाता है।वर्तामान में फन यैन नाग्जू में इकलौती महिला सैनिक हैं।

32 वर्षीय फन यैन तिब्बत सैन्य कमान की नाग्जू शाखा के क्लिनिक में एक नर्स हैं।नाग्जू कैसा है? नाग्जू शाखा के कमांडर हो शैन ल्यांग ने खराब स्थानीय मौमस की जानकारी देते हुए कहा

(आवाज़-1)

हमारी शाखा की सेना उत्तर तिब्बत और छिंगहाई-तिब्बत पठार के केंद्र में तैनात है।इस क्षेत्र की औसत ऊंचाई 4507 मीटर है।इस कारण इसे विश्व की छत की चोटी और जीव-वर्जित क्षेत्र आदि नाम दिये गए हैं।यहां का औसत सालाना तापमान शून्य से 3 डिग्री कम सेल्सियस रहता है।न्यूनतम तापमान शून्य से 41 डिग्री सेल्सियस चला जाता है।यहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा सिर्फ़ समुद्र सतह के 48 प्रतिशत के बराबर है।

इस तरह की परिस्थिति में पौधे भी नहीं उग सकते हैं।विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद अच्छा परिणाम प्राप्त करके फन यैन ने सबसे कठोर स्थिति वाली जगह नाग्जू में काम करने का फ़ैसला किया।यह सभी लोगों की कल्पना के बाहर था।इस तरह से फन यैन नाग्जू शाखा कमान की स्थापना से लेकर 57वीं महिला सैनिक बन गयी .फन यैन के पिता एक वरिष्ठ सैन्य चिकित्सक हैं,जिन्हें तिब्बत में काम करते हुए 35 वर्ष हो गये हैं।हालांकि फन यैन का पैतृक घर स्छ्वान में है, तिब्बत में जन्मी और पली-बढ़ी फन यैन को छिंगहाई-तिब्बत पठार के प्रति विशेष स्नेह है।

सैन्य चिकित्सक होने के नाते चरवाहों के घर जाकर उनका इलाज करना फन यैन का एक अहम काम है।विशाल क्षेत्रफल के बावजूद नाग्जू में आबादी बहुत कम है ।इसके साथ ही दूसरे स्थानों की अपेक्षा यहां के निवासी अधिक आसानी से पाचन तंत्र के रोग और समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन के कारण होने वाली बीमारी से पीड़ित रहते हैं।इन 12 सालों में उन्होंने 25 हज़ार लोगों का जगह-जगह घूम कर इलाज किया है।इस तरह उन्होंने कुल मिलाकर 20 हज़ार से ज़्यादा किलोमीटर की यात्रा की है।वे नाग्जू में चरवाहों के सभी समुदायों तक पहुंची हैं। फन यैन का मानना है कि महिलाओं को स्थानीय लोगों से अधिक संपर्क रखना चाहिये।फन यैन के शब्द

(आवाज़-2)

मेरे ख्याल से महिलाएं ज़्यादा आसानी से लोगों से संपर्क रख सकती हैं।जब मैं चरवाहों के इलाके में जाती हूं, वृद्ध लोग मुझे पूमो कहते हैं।तिब्बती भाषा में पूमो का मतलब है बेटी।मुझे बहुत अच्छा लगता है।

नाग्जू में साक्षात्कार के दौरान हमारे संवाददाता फन यैन के साथ तिब्बती चरवाहों के समुदाय में गए।फन यैन को देखते ही चरवाहे लोग बड़ी प्रसन्नता के साथ उनसे मिलने के लिये घरों से के बाहर निकल आते हैं।उनमें से एक चरवाहे ने हमें बताया

(आवाज़-4)

डॉक्टर फन अक्सर हमें देखने आती हैं।वे हमारा इलाज करती हैं और हमें दवाईयां भी देती हैं।हम उनके आभारी हैं।

पलक झपकते ही फन यैन को तिब्बती लोगों ने मंगलसूचक सफ़ेद हादा पहना दिया गये।फन यैन ने कहा

(आवाज़-5)

पिछली बार मैं लापरवाही के कारण बीमार पड़ गई।वे मुझे देखने आये थे।इसके बाद मैं उनका इलाज करने आयी थी, मुझे देख कर वे मेरी तबीयत के बारे में बड़े चिंतित हुए और मुझसे पूछा कि क्या मैं स्वस्थ हो गयी हूं।ये बातें सुनकर मैंने अपनापन महसूस किया।

स्थानीय कल्याण संस्थान में फन यैन इस तरह की एक महिला है,जिनसे सभी बच्चे रोज़-रोज़ मिलना चाहते हैं।वर्ष 2003 से लेकर फन .यैन ने कुल 11 बच्चों को वित्तीय सहायता दी है।9 वर्षीय छीयन वानमू उन बच्चों में से एक है।उसके लिए फन यैन मां जैसी हैं।छीयन वानमू के शब्दों में

(आवाज़-6)

मां किताबं वगैरह खरीदने और खेलने के लिये मुझे ले जाती हैं।हर शनिवार और रविवार ,जब उन्हें फुर्सत होती है, तब वे मुझ से मिलने आती हैं।

चार साल पहले फन यैन ने छीयन वानमू को वित्तीय सहायता देना शुरु किया था। फुर्सरत होते ही वे उससे मिलने के लिये कल्याण संस्थान जाती हैं।वे छीयन को कभी निराश नहीं करती हैं।फन यैन ने कहा

(आवाज़-7)

यह बच्ची बहुत समझदार है।एक दिन कल्याण संस्थान के वॉर्डन ने मुझे फ़ोन करके बताया कि दूसरे बच्चों ने छीयन से पूछा कि क्या उसकी मां है।उसने कहा कि मेरी मां मर गयी।लेकिन बाद में उसने मुस्कराते हुए कहा कि अब मेरी और एक मां है, और वे मुझे बहुत प्यार करती हैं।छीयन ने बड़े गर्व के साथ यह बात कही।

लेकिन हर बार फन यैन जब भी प्यारे-प्यारे तिब्बती बच्चों को देखती हैं,तो उन्हें अपनी बेटी की याद आ जाती है।जन्म के बाद फन यैन की बेटी हान हान स्छ्वान के घर में नाना-नानी के साथ रहती है।काफ़ी लंबे समय केवल टैलीफ़ोन के जरिए मां-बाप के साथ बात करने की वजह से हान हान के दिल में मां-बाप तो टैलीफ़ोन ही बन गया है।यहां तक कि जब फन यैन स्छ्वान गयीं,तो हान हान की नानी ने कहा कि तेरी मां वापस आई है।फन यैन की गोद में जाने की बजाय हान हान सीधे फ़ोन के पास कमरे में दौ़ड़ गयी।

इस बात की याद करते हुए फन यैन अक्सर चोरी चोरी आंसू बहाती हैं।अब हान हान 7 वर्ष की हो गयी है।फन यैन की नज़र में वह एक बड़ी बच्ची हो चुकी है।फन यैन ने हमें बताया कि

(आवाज़-8)

अब वह समझदार बेटी हो गयी है।कभी-कभी वह गलती करती है, उस समय वह फ़ोन पर मुझ से बात नहीं करना चाहती है।क्योंकि उसे चिंता है कि मैं उसे डांटूगी ।इस स्थिति के अलावा हम हमेशा फ़ोन पर काफ़ी बातें करती हैं, जैसे उसके पकड़ने वाले मेढक के डिंभकीट कैसे हैं।कुछ समय पहले उसने बड़ी खुशी और गर्व से मुझे बताया कि उसे मॉनीटर चुना गया है।अपनी बेटी से मैं ज़्यादा मांग करती हूं।

अपने काम की चर्चा में फन यैन ने बहुत सी बातें कीं।पठार में तैनात सैनिकों की चिकित्सा स्थिति सुधारने के लिये उन्होंने डिस्पोज़ेबल सीरींज का प्रयोग करने का सुझाव दिया।

पठार की खास परिस्थिति के कारण वर्ष 2004 से पहले नाग्जू शाखा कमान में डिस्पोज़ेबल सीरींज का कम इस्तेमाल किया जाता था।आम तौर पर कांच की सीरींज का प्रयोग ही होता था।और सुई का प्रेशर कूकर में कीटाणुमुक्त किये जाने के बाद बार-बार इस्तेमाल किया जाता था।लेकिन इस तरह के कीटाणु-शोधन का कोई निश्चित मापदंड नहीं था।इसके अलावा पठार में विशेष प्राकृतिक परिस्थिति में चिकित्सा उपकरणों को ज़्यादा तेज़ी से बदला जाना चाहिये।इसलिये फन यैन ने डिस्पोज़ेबल सीरींज का इस्तेमाल करने की राय दी।फन यैन ने कहा

(आवाज़-9)

एक बॉक्स में 10 से 20 तक सीरींज रखे जाते थे।इन्हें प्रेशर कूकर में डाले जाने के बाद कीटाणुमुक्त किया जाता था।वहां के पानी की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।कुछ समय बाद सीरींज में अशुद्धियों की परत धीरे धीरे जम जाती थी।कुछ सीरींज काम के लायक न रहने के बाद हमें नयी सीरींज लेने के लिए आवेदन करना पड़ता था।मुझे लगा कि इससे फ़िजूलखर्ची हो रही है।इसलिये मैंने एक परियोजना बनायी,जिसके तहत पुरानी सीरींज और डिस्पोज़ेबल सीरींज की तुलना की गयी थी।

लेकिन किसी भी नए काम में कठिनाईयां तो आती ही हैं।फन यैन के समक्ष में भी कुछ कठिनाईयां आईं।यहां तक कि कई लोगों ने कहा कि फन यैन ने अपने लाभ के लिये यह राय दी।लेकिन काम पर काफ़ी ध्यान देने वाली फन यैन ने डॉक्टर के नुस्खे के मुताबिक एक सूची बनायी।तुलना का परिणाम देख कर लोगों के मन से प्रश्न हट गये गये।इस बारे में फन यैन ने कहा

(आवाज़-10)

पहले साल हमारे काम में काफ़ी मुश्किलें आईं।पुरानी सीरींज बदलने के बाद कुछ लोग हमारा काम नहीं समझ पा रहे थे।कुछ लोगों को लगता था कि इस तरह से फ़िजूल-खर्च होगी।कुछ लोगों को शक था कि हमने सीरींज का दुरूपयोग किया है।इस स्थिति को देखते हुए मैंने एक सूची बनायी, जिससे यह ज़ाहिर होता था कि हम नुस्खे के अनुसार सीरींज का इस्तेमाल करते हैं।दूसरे साल इस मुद्दे पर लोगों के प्रश्न कम दिखे।तीसरे साल लोग डिस्पोज़ेबल सीरींज के आदि हो गये ।कभी-कभी हमें पुरानी सीरींज का प्रयोग करते देखकर हमारे रोगियों को तो अजीब लगता है।

वर्ष 2004 से 2006 तक फन यैन को नाग्जू शाखा कमान में डिस्पोज़ेबल सीरींज का प्रसार करते हुए तीन साल बीत गये।इंजेक्शन का काम अधिक आसानी से चलता है।कीटाणु-शोधन की ज़रूरत नहीं पड़ती है।रोगियों के बीच क्रॉस-इंफ़ेक्शन का जोखिम भी घट गया है।फन यैन ने अपने इस काम को नेक काम बताया।

12 वर्षों में फन को 14 बार तिब्बत से निकलकर दूसरे स्थानों में काम करने के मौके मिले,जहां की परिस्थिति बेहतर थी।लेकिन उन्होंने इंकार किया। तिब्बत से निकलने का उन का मन नहीं है।उन्होंने हमें बताया

(आवाज़-11)

यहां पर मैं अपनापन महसूस करती हूं।मुझे और यहां के लोगों को एक दूसरे की जरुरत है।

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