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कामयाबी की बुलंदी पर चीन
2013-10-17 10:41:17

इतुंगः श्रोता दोस्तों को वेइतुंग का नमस्कार ।

अनिलः श्रोताओं को अनिल पांडे का प्यार भरा नमस्कार ।

उम्मीद है कि आपको हमारा यह प्रोग्राम ज़रूर पसंद आ रहा होगा। जी हां, आपका पत्र मिला यानी आप सभी श्रोताओं को अपनी बात कहने का एक मंच है। इसलिए आप सभी के ई-मेल और पत्रों का हमें बेसब्री से इंतजार रहता है।

लीजिए इसी के साथ शुरू करते हैं आज का कार्यक्रम, आज भी हमें कई श्रोताओं ने ख़त और ई-मेल भेजे हैं।

वेइतुंगः चीन के राष्ट्रीय दिवस के दौरान हमें कई श्रोताओं के बधाई संदेश मिले। आप सभी का शुक्रिया। अब हम उनसे चुनकर एक पत्र पेश करेंगे।

अमीर अहमद ने अपने पत्र में कहा कि चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 64वीं वर्षगांठ के मौके पर सीआरआई व सभी चीनी लोगों को अखिल भारतीय सीआरआर श्रोता महासंघ की ओर से शुभकामनाएं।

इस मौके पर हमारे श्रोता संघ ने चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 64वीं वर्षगांठ विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें दिल्ली में कई लोगों ने भाग लिया और चीन के बारे में जानने की इच्छा जताई।

नए चीन की स्थापना की 64वीं बरसी पर सबसे पहले एक केक काटा गया, उसके बाद लोगों को चीन के बारे में जानकारी दी गई और चीन से जुड़े फोटो भी दिखाए। विशेषकर पूर्व राष्ट्राध्यक्ष माओ त्से तोंग का 1 अक्टूबर 1949 को नए चीन की स्थापना संबंधी ऐलान का। इसमें 1 अक्टूबर 1949 को आयोजित परेड में भाग ले रही पैदल सैनिक टुकड़ी आदि के फोटो भी लोगों को दिखाए। वहीं पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को जनता के सामने फहराए जाने संबंधी फोटो भी।

हमारे कई दोस्तों ने लोगों को सीआरआई की वेबसाइट की मदद से लोगों को बताया गया। इस मौके पर भारत चीन मैत्री के लिए विशेष प्रार्थना भी की गई। अनिलः वास्तव मे चीन पूरी तरह जाग गया है। मै यहां नेपोलियन बोना पार्ट का वो कथन कहना चाहूंगा कि चीन एक सोया हुआ शेर है जब ये जागेगा तो इसकी दहाड़ पूरी दुनिया सुनेगी। यह वास्तव में सटीक कथन था। नेपोलियन चीन को अच्छी तरह समझते थे। जब चीन का ड्रैगन जागा तो आज ऐसी कामयाबी की बुलंदी तक पहुंचा है कि दुनिया हैरत से चीन को देख रही है। और पश्चिमी देश चीन के खिलाफ तरह-तरह की अफवाहें फैलाते हैं। चीन ने न केवल अर्थव्यवस्था,समाज,बुनियादी सुविधा,खेल,सैन्य शक्ति और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी सफलता प्राप्त की है। हम चीनी जनता को चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 64वीं वर्षगांठ की बधाई देते हैं।

वेइतुंगः आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के मुहम्मद सादिक ने अपने ई-मेल में कहा कि

23 सितंबर को सुबह की सभा सुन रहा था एक रिपोर्ट बहुत पसंद आई विषय था मून केक ।ये कैसे बनता है इस मे क्या क्या चीज़े लगती हैं ।इसका क्रेज़ युवाओं मे कितना बढ़ रहा है ।इसकी कीमत कितनी है ये तमाम जानकारी बड़े विस्तार पूर्वक दी गई और साथ साथ हिंदी गानें का समावेश । लाजवाब था ये कार्यक्रम वाक़ई मुझे बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद। एक अन्य मैसेज में सादिक ने कहा कि आपके समाचार पढ़ने की शैली में काफी सुधार हुआ है अंतरराष्ट्रीय खबरों को काफी प्रमुखता दी जा रही है जिसके लिये हम आपका आभार व्यक्त करते हैं।

अनिलः लीजिए अब पेश है अगला पत्र, जो हमें भेजा है, जमशेदपुर, झारखंड के

एस बी शर्मा ने। उन्होंने अपने पत्र में चीन के मध्य शरद त्योहार की चर्चा की है। उन्होंने कहा कि मून फेस्टिवल की धूम पिछले दिनों चीन में खूब रही। चीनी भाई बहनों ने खूब मजा किया। चीन सरकार ने तीन दिनों तक छुट्टी भी दे रखी थी। सीआरआई से अपने श्रोताओं को मून केक फेस्टिवल में ढेर सारी जानकारियां साझा की। सप्ताह भर से सीआरआई समाचारों से शुरू कर टॉप फाइव तक इस त्यौहार के विषय में चर्चा की। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में वेइतुंग और अनिल जी ने मून त्यौहार पर जानकारी दी थी। इसके बाद टॉप फाइव में हेमा और दिनेश जी बहुत विस्तृत से मून त्यौहार की जानकारी दी। इस त्यौहार में चांद के आकार का केक बनाने और खाने का प्रचलन चीन में राजतंत्र से शुरू होकर आज के प्रजातंत्र तक चल रहा है। यह सदियों पुराने त्यौहार की परम्परा है जो आज तक चल रही है, पर जैसा कि दिनेश ने बताया अब लोगों की रूचि थोड़ी कम हो गई है। पर मून केक का का बाजार बहुत बड़ा हो गया है। चार छोटे केकों की कीमत चार से पांच हजार तक पहुंच गई है। वहीं छोटे केक के डिब्बे के दाम कई हजार तक पहुंच चुके हैं।

प्रस्तुत के लिए धन्यवाद।

वेइतुंगः इसके बाद पेश है, हुगली ,पश्चिम बंगाल के रवि शंकर बसु का पत्र। उन्होंने अपने पत्र में भगवान विश्व कर्मा की चर्ची की है। उन्होंने लिखा है कि 17 सितंबर को हमारे देश में शिल्पकार व वास्तुकला के जनक भगवान विश्वकर्मा की पूजा श्रद्धा के साथ,बडे़ धूमधाम से की गई। इस दिन देश के विभिन्न राज्यों में, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर आदि में पूजा होती है। इस मौके पर मशीनों, औजारों की सफाई एवं रंगरोगन किया जाता है। इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते है। न केवल हिंदू बल्कि मुसलमान भी इसे मनाते हैं। अलग-अलग जगहों पर भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई हैं। बड़े-बड़े पंडाल भी बनाए गए हैं। दुकानों की साफ-सफाई भी की गई है। बता दें कि हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का इंजीनियर माना गया है, अर्थात समूचे विश्व का ढांचा उन्होंने ही तैयार किया है।

हिंदू धर्मग्रंथों में यांत्रिक, वास्तुकला, धातुकर्म, प्रक्षेपास्त्र विद्या, वैमानिकी विद्या आदि का जो प्रसंग मिलता है, इन सबके अधिष्ठाता विश्वकर्मा माने जाते हैं। निर्माण व मरम्मत कार्य से जुड़े लोग शिल्पाधिपति भगवान विश्वकर्मा की पूजा को धूमधाम से मनाते हैं। दीपावली की तरह से दुकानों को सजाया जाता है और उसके बाद भगवान की पूजा के बाद अपने आसपास के लोगों में प्रसाद बांटा जाता है।

हमारी ओर से आप सभी को बधाई। धन्यवाद बसु जी।

अनिलः वहीं विलासपुर, छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त लिखते हैं कि बहुत ही ख़ुशी की बात है कि 16 सितम्बर को भारत की राजधानी दिल्ली में प्रथम चीन-भारत मीडिया फोरम उद्घाटित हुआ।हम इस बहुप्रतीक्षित फोरम का हार्दिक स्वागत करते हैं।वह ज़माना चला गया,जब दोनों देशों की जनता एक दूसरे को को जानने-समझने के लिए पश्चिमी मीडिया का सहारा लेती थी और वहां से प्राप्त जानकारी वास्तविकता से काफी दूर होती थी।अब समय आ गया है कि हम एक दूसरे के बारे में जानकारियों का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान करें। इस दिशा में चीन व भारत की मीडिया के बीच आदान-प्रदान का मंच सार्थक और अच्छी शुरुआत है।

इससे चीन व भारत दोनों देशों की मीडिया के बीच आदान-प्रदान व सहयोग तेजी से बढ़ेगा और दोनों देशों के संबंधों के विकास को बड़ा समर्थन मिलेगा।वास्तव में चीन-भारत मीडिया के बीच दीर्घकालीन, निरंतर वार्ता व आदान-प्रदान को मजबूत करने की ज़रूरत है। दोनों को तर्कसंगत व वस्तुगत रूप से एक दूसरे को देखना व समझना चाहिये, और चीन व भारत की वास्तविक स्थिति को अपने देश की जनता के सामने दिखाना चाहिये।इस शुभ अवसर पर हम चीन-भारत मीडिया फोरमकी सफलता की कामना करते हैं और इस प्रथम फोरम के प्रतिभागी सभी मीडियाकर्मी,विशेषज्ञों एवं विद्वानों को बधाई देते हैं।

वेइतुंगः इसके साथ ही पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल ने भी दिल्ली में आयोजित मीडिया फोरम की चर्चा की है। साथ ही उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में रेडियो से जानकारी सुनी। यह जानकर अच्छा लगा कि पिछले 5 वर्षों में चीन में बौद्धिक संपदा अधिकार का स्तर व्यापक रूप से उन्नत हुआ है।

वर्ष 2012 मेँ चीन मेँ आबिष्कार पेटेँट आबेदन की संख्या बिश्व मेँ पहले स्थान

पर रही , जिससे आर्थिक बिकास के तरीके मेँ परिबर्तन और सृजनात्मक देश के निर्माण को बढ़ाबा मिला है।

इसके बाद पश्चिम बंगाल के ही दक्षिण दिनाजपुर के श्रोता रतन पॉल का ई-मेल। लिखते हैं, नी हाऊ, आप सब कैसे हैं। हम सभी दोस्त एक साथ बैठकर आपका प्रसारण सुनते हैं। लिखते हैं कि इंडिय़ा में शिक्षक दिवस मनाया गया, इस मौके पर तमाम कार्यक्रम हुए। हमारे फोरम ने भी कार्यक्रम आयोजित किए। इस दौरान कुछ वरिष्ठ शिक्षकों को सम्मानित भी किया, इनके फोटो हम आपको भेज रहे हैं, धन्यवाद।

अनिलः वहीं भागलपुर बिहार के डा. हेमंत कुमार ने कुछ चुटकुले भेजा है।

पहला है

तीन आदमी मरने के बाद भगवान के पास पहुचे। पहला आदमी: मैँ पुजारी था। मैँने आपकी बड़ी सेवा की है, मुझे स्वर्ग भेजिए। भगवान: चमचागिरी करता है, इसे नरक मेँ ले जाओ। दूसरा आदमी: मैँ डाक्टर था, मैँने जीवन भर बीमार लोँगो की सेवा की है। भगवान: तो तुमने कईयोँ को मारा भी तो है? इसे भी नरक मेँ ले जाओ। तीसरा आदमी: मैँ एक शादी शुदा आदमी था और...... भगवान भावुक हो कर, "बस कर पगले! हमेँ रुलाएगा क्या? चल अंदर चल। :-B-)

जोक के बाद हेमंत ने गंभीरता से हमसे एक सवाल पूछा कि चीन में प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य क्या होते हैं?

देखिए हेमंत जी इस सवाल का जवाब देने में हम असमर्थ हैं। क्योंकि हर व्यक्ति का अपना अलग जवाब हो सकता है। चीन में 1 अरब 30 करोड से ज्यादा आबादी है। हम प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य नहीं बता सकते ।हमारी समझ में हेमंत पूछना चाहते हैं कि अधिकांश चीनियों का मूल कर्तव्य क्या। फिर भी इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है ।वास्तव में इस सवाल के बारे में शायद कई लोगों ने कभी नहीं सोचा ।हर व्यक्ति को गंभीरता से इस सवाल पर सोचना चाहिए ताकि हम अपना जीवन न गंवाएं।

वेइतुंगः लीजिए अब पेश है, अगला पत्र। पश्चिम बंगाल की न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब की मनीषा चक्रवर्ती अपने पत्र में लिखती हैं कि 22 सितंबर, रविवार को मैंने आपकी वेबसाईट देखी और चीन का तिब्बत पेज पर "घर के स्थानांतरण के बाद घास के मैदान में मेरे 216 रिश्तेदार" शीर्षक एक रिपोर्ट भी पढ़ी। इसमें छिंगहाई प्रांत की मात्वो कांउटी में सानच्यांग युआन पारिस्थितिकी संरक्षण परियोजना और युशू तिब्बती प्रिफेक्चर के बारे में बहुत कुछ अनजाने तथ्यों का पता चला। रिपोर्ट में सुंदर तस्वीरें देखकर बहुत खुशी हुई। लेकिन इस रिपोर्ट में वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ जानकारी नहीं मिली।

कृपया इस सवाल का जवाब दीजिएगा। छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित तिब्बत में कितने तिब्बती प्रिफेक्चर है? तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कितने कॉलेज है ?

मनीषा जी ,तिब्बत चीन के पांच स्वायत्त प्रदेशों में से एक है ,जिसके अधीन ल्हासा शहर को छोडकर नाछू व शिकाजे समेत 6 प्रिफेक्चर आते हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तीन युनिवर्सिटी हैं यानी तिब्बत युनिवर्सिटी ,तिब्बती जातीय कालेज और तिब्बती चिकित्सा कालेज ।तिब्बती युनिवर्सिटी तिब्बत में सबसे बड़ी युनिवर्सिटी है ,जिसमें 8000 छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं।

अनिलः मनीषा के खत के बाद औरेया यूपी के काल्का प्रसाद कीर्ति प्रिय का पत्र। वे लिखते हैं कि 19 सितंबर को हेमा जी ने श्री देवी से वार्ता सुनाई,सुनकर बहुत खुशी हुई ।श्री देवी धारा प्रवाह में अंग्रेजी बोल रही थीं ।जो भारत से चीनी में एमए करने के बाद बीजिंग गयीं और एक चीनी युवक से विवाह हो गया और उनकी दो बच्चियां हैं ।

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