चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आज हम आप लोगों को दो खबरें सुनाएंगे। एक बुरी है और एक अच्छी, आप लोग किस खबर को सब से पहले सुनना चाहते हैं?
विकासः चंद्रिमा जी, मेरे ख्याल से हमें सब से पहले बुरी खबर सुनानी चाहिए। तो दुख के बाद खुशी की आशा होगी।
चंद्रिमाः अच्छी राय है। तो अब आप बताइये बुरी खबर।
विकासः न जाने कौन सा गुनाह किया है मैनें, चंद्रिमा जी, क्यों भारी बोझ हमेशा मेरी पीठ पर ही डाल देती है?
चंद्रिमाः क्योंकि आप एक शाक्तिशाली पुरुष हैं, और मैं एक कमज़ोर स्त्री हूं।
विकासः ऑके, ऑके, मैं बताऊंगा। श्रोता दोस्तो, बुरी खबर यह है कि आजकल शायद हमारे बहुत श्रोताओं को तमिल भाषा की पत्रिका मिली। क्योंकि हमारे सी.आर.आई. का एक विभाग, जो डाक भेजने का काम संभालता है, ने हमारे श्रोताओं के पते छापने वाले बहुत लिफ़ाफ़ों में तमिल भाषा की पत्रिका डालकर भेज दिया। इसलिये हमारे बहुत श्रोताओं को इस बार श्रोता वाटिका नहीं मिला। यहां हम इस विभाग की ओर से आप लोगों से क्षमा मांगते हैं।
चंद्रिमाः हां, हमारे मोनिटर ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब के अध्यक्ष श्री चुन्नीलाल कैवर्त ने भी हमें भेजे ई-मेल में यह स्थिति बतायी है कि आजकल सी.आर.आई. हिंदी विभाग से श्रोताओं को 'श्रोता वाटिका' पत्रिका के स्थान पर तमिल भाषा की पत्रिका भेजी जा रही है, जिसे हिन्दी भाषी श्रोताओं के लिए पढ़ पाना मुश्किल है। शायद भूलवश ऐसा हो रहा है। कृपया इस ओर शीघ्र ध्यान दीजिये और श्रोताओं को 'तमिल' पत्रिका के स्थान पर हिन्दी पत्रिका यानी श्रोता वाटिका का नया अंक शीघ्र भेजवाने का कष्ट करेंगे।
विकासः इस घटना के बाद इस विभाग के नेता ने गलती करने वाले लोगों की खूब आलोचना की और उन्हें सज़ा भी दी। विश्वास है कि भविष्य में ऐसी गलती वे कभी नहीं करेंगे।
चंद्रिमाः और वे श्रोता, जिन्हें इस बार श्रोटा वाटिका नहीं मिला, निराश न हों, हमारी अगले अंक की पत्रिका जल्द ही छापी जाएगी। उस समय आप लोगों को ज़रूर हिन्दी श्रोता वाटिका ही मिलेगा।
विकासः अब मैं आप लोगों को दूसरी खबर सुनाऊंगा। गत वर्ष सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ पर दस सर्वश्रेष्ठ कल्ब का चयन आयोजित किया गया। हालांकि हमने इस चयन के लिये उम्मेदवार के रुप में हमारे कई कल्बों के सामग्री संबंधित विभाग के सामने पेश किये, पर खेद की बात है कि अंतिम परिणाम के अनुसार हमारे हिन्दी विभाग से किसी कल्ब को नहीं चुना गया। सुना है कि सारे भारत में केवल तमिल विभाग का एक कल्ब विजेताओं के नामसूची में शामिल है। यहां हम सभी श्रोताओं, खास तौर पर कल्बों के अध्यक्षों को यह बताना चाहते हैं कि क्योंकि सी.आर.आई. में कुल मिलाकर साठ से ज्यादा भाषा विभाग हैं, लेकिन केवल दस श्रोता कल्बों को यह उपाधि मिल सकता है। इसलिये हर भाषा विभाग में एक श्रोता कल्ब को इस में शामिल करना बहुत मुश्किल है। इससे यह साबित नहीं होता है कि हमारे हिन्दी विभाग के श्रोता कल्ब अच्छे नहीं है।
चंद्रिमाः जी हां, आपने बिल्कुल ठीक कहा, विकास जी। गत वर्ष हमारे श्रोता कल्बों ने भी सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ के लिये बहुत महत्वपूर्ण व सार्थक काम किये हैं। इसलिये उन्हें प्रोत्साहन व धन्यवाद देने के लिये आजकल हमारे हिन्दी विभाग ने अपने आप एक छोटा सा चयन भी आयोजित किया। अंत में हमने 6 श्रेष्ठ कल्बों को चुनकर उन्हें कुछ उपहार व एक प्रमाण पत्र भेज दिये।
विकासः अब हम उन 6 श्रोता कल्बों के नाम की घोषणा करेंगे। वे हैं:भारत-चीन मैत्री कल्ब, अमीर रेडियो लिस्नर्स कल्ब, सेनराइस रेडियो लिस्नर्स कल्ब, मिटाली लिस्नर्स कल्ब, न्यू होरिज़ोन रेडियो लिस्नर्स कल्ब, और ऑल इंडिया सी.आर.आई. लिस्नर्स असोसिएशन।
चंद्रिमाः मुबारक, मुबारक, सभी 6 श्रोता कल्बों को सी आर आई हिंदी विभाग की तरफ से ढ़ेरों शुभकामनाएं। गत वर्ष में आप लोगों ने सी.आर.आई. का प्रसार-प्रचार करने के लिये बहुत कोशिश की। जैसे फ़ेसबुक पर हर दिन अपडेट करते हैं, कुछ सार्थक गतिविधियों का आयोजन करते हैं, और बारी बारी पत्र के साथ गतिविधियों से जुड़े फ़ोटो व वीडियो सी.डी. हमें भेजते हैं। खास तौर पर कुछ श्रोता कल्बों के सदस्यों ने सी.आर.आई. के जन्मदिन की बधाई देने के लिये अपने हाथों से कुछ बहुत सुन्दर चित्र खींचकर हमें भेजे हैं। यहां हम आप लोगों को लाख लाख धन्यवाद देते हैं। और हम अन्य श्रोता कल्ब, जिन्हें श्रेष्ठ श्रोता कल्ब की उपाधि नहीं मिली, के भी आभारी हैं। क्योंकि आप लोग हर दिन ध्यान से हमारे कार्यक्रम सुनते हैं, और अक्सर हमें पत्र भेजते हैं। यह हमारे लिये एक बड़ा सा समर्थन भी है।
विकासः अच्छा, महत्वपूर्ण सूचनाएं देने के बाद अब हम कुछ श्रोताओं के पत्र बढ़ें। केसिंगा, ओड़िशा के सुरेश अग्रवाल ने हमें भेजे ई-मेल में यह लिखा है कि सर्वप्रथम लाखों भूदासों के मुक्तिदिवस के उपलक्ष्य में तमाम चीनी-तिब्बती भाई-बहनों को ढ़ेर सारी बधाई! 28 मार्च का "आपका पत्र मिला" भी तिब्बत को समर्पित था, सुन कर अच्छा लगा। मेरी राय में तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है, फिर आपको इस पर बार-बार सफ़ाई देने की कोई आवश्यकता नहीं। कार्यक्रम "आपकी आवाज़ ऑनलाइन" में भी तिब्बत पर काफी चर्चा हुई। बालूरघाट, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल के श्रोता भाई विधानचंद्र सान्याल से बातचीत बहुत ही उपादेय रही। बस,सीआरआई के श्रोताओं का दायरा देखते हुए पत्रोत्तर में अपेक्षतया कम पत्रों को जगह दी गई, इस पर अवश्य गौर फरमाएं।
चंद्रिमाः सुरेश जी, आपने सही कहा। कभी कभी हमने श्रोताओं के पत्रों पर कम समय दिया, और इस की जगह लेकर कुछ अन्य रिपोर्ट दी। इस का कारण यह है कि हर दौर पर सी.आर.आई. की रिपोर्टों में अपनी महत्वपूर्ण व ध्यानाकर्षक विषय होती है। जैसे मार्च में चीन के एन.पी.सी. व सी.पी.पी.सी.सी. दोनों सम्मेलन और तिब्बत का लाखों भूदासों का मुक्ति दिवस इत्यादि। इसलिये हम कार्यक्रम बनाते समय हमेशा इस से जुड़ी चर्चा करते हैं। और कभी-कभी हमें श्रोताओं से जुड़ी कुछ सूचना देनी पड़ती है, जैसे आज के कार्यक्रम में, उन सूचनाओं को पढ़ने के लिये पत्र का समय भी छिन गया। पर हम ज़रूर आप की बातों पर गौर करेंगे, और श्रोताओं के ज्यादा से ज्यादा पत्रों को पढ़ने की पूरी कोशिश करेंगे।
विकासः सुरेश जी, आशा है आप हमारे उत्तर से सहमत होंगे। अगला पत्र है हमारे एक नये श्रोता का। उन का नाम है पवन कुमार, जो प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में रहते हैं। उन्होंने अपने ई-मेल में यह लिखा है कि आपका मेल मुझे मिल गया है, इसके लिए धन्यवाद। मैं आपके कार्यक्रमोँ को रेडियो पर इसलिए नहीं सुन पाता, क्योँकि सुबह ड्यूटी चला जाता हूँ और वापस रात मेँ लगभग 11 बजे आता हूँ। इसलिए नेट पर खबरेँ ड्यूटी पीरियड में भी पढ़ने को मिलता है क्या आप लोग श्रोताओं के मेल भी रेडियो पर प्रसारित करते हैं?प्जीज बताएँ।
चंद्रिमाः यह ई-मेल पढ़कर हमने जल्द ही ई-मेल द्वारा पवन भाई का जवाब दिया। हमारा आप का पत्र मिला कार्यक्रम में श्रोताओं द्वारा लिखे गये सभी चीज़ों से जुड़े हुए हैं। जैसे डाक से भेजे पत्र, इन्टरनेट द्वारा भेजे ई-मेल, तथा वेब पर सीधे लिखे कुछ कॉमेंट भी हमारे कार्यक्रम में शामिल होते हैं। श्रोताओं के सुविधा के लिये हमारे कार्यक्रम का ऑडियो भी हर हफ्ते में वेब पर अपडेट किया जाता है। अगर आप को रेडियो पर कार्यक्रम सुनने का समय नहीं है, तो आप वेब पर किसी भी सयम पर इसे सुन सकते हैं। विश्वास है कि हमारा ई-मेल पढ़कर पवन भाई ज़रूर आज का कार्यक्रम वेब पर सुन सकेंगे।
विकासः बिहार के एक श्रोता हेमंत ने मोबाइल द्वारा हमें भेजी सूचना में यह लिखा है कि ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में भारत और चीन ने वर्ष 2012 को मैत्री व सहयोग वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। तो सी.आर.आई. की क्या योजनाएं हैं?हेमंत जी, क्योंकि यह निर्णय अभी अभी घोषित किया गया है, इसलिये इतना जल्द ही हम नहीं बता सकते कि इस के बारे में सी.आर.आई. का क्या महत्वपूर्ण योजना होगी। पर अगर होती है, तो हम ज़रूर आप लोगों को बताएंगे।
चंद्रिमाः अच्छा, अब हम आज का अंतिम पत्र पढ़ेंगे। औरेया, उत्तर प्रदेश के माओ त्से तुङ रेडियो लिस्नर्स अस्सोसिएशन के अध्यक्ष कालका प्रसाद किर्ती प्रिय ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि सी.आर.आई. के हिन्दी कार्यक्रम में मार्कसवादी नेता कॉमरेड सीताराम येचुरी से बातचीत सुनी। येचुरी ने सटीक में कहा कि मार्कसवाद की आवश्यकता तब तक रहेगी, जब तक मानव शोषण बंद नहीं होगा। मार्कसवाद मानव मुक्ति का रास्ता है, और मार्कसवाद क्रांति का रास्ता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 90 वर्ष की सालगिरह 1 जुलाई वर्ष 2011 को मनायी गयी। इस से जुड़ी बातचीत बहुत अच्छी लगी।
विकासः श्रोता दोस्तो, समय के कारण आज का कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अब विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।