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तिब्बती लाखों भूदासों का मुक्ति दिवस
2012-03-30 08:58:55

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी दोस्तों को हमारा प्यार भरा नमस्कार। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।

विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास। चंद्रिमा जी, हर बार आप हमेशा मुझ से पूछती हैं कि आज कौन सा दिवस या त्योहार है?तो आज मैं यह सवाल आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आप जानती हैं आज चीन में कौन सा दिवस है?

चंद्रिमाः विकास जी, मैं तो एक चीनी हूं। अगर आप मुझ से कोई भारतीय दिवस पूछते, तो शायद यह मेरे लिये ज़रा मुश्किल है। पर अगर वह जो चीन का दिवस है, मैं ज़रूर जानती हूं। आज सभी तिब्बती लोगों के लिये एक बहुत महत्वपूर्ण दिवस है, जिस का नाम है तिब्बती लाखों भूदासों का मुक्ति दिवस। ठीक है न?

विकासः बिल्कुल ठीक है। वर्ष 2009 की 19 जनवरी को आयोजित तिब्बती स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा में यह निश्चित किया गया है कि हर साल की 28 मार्च को तिब्बती लाखों भूदासों का मुक्ति दिवस माना जाता है। ताकि तिब्बती जाति समेत सभी चीनी लोग तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार की यह ऐतिहासिक बात याद कर सकें।

चंद्रिमाः वाह, विकास जी, देखने में आप इस के बारे में खूब जानकारियां रखते हैं। तो आज के कार्यक्रम के सब से पहले हम सभी तिब्बती बहनों व भाइयों को इस दिवस की शुभकामनाएं देते हैं, ठीक है न?

विकासः बिल्कुल ठीक है। आशा है चीन सरकार के नेतृत्व में वे ज्यादा से ज्यादा खुश व सुखमय जीवन बिता सकेंगे, और उन का जीवन स्तर भी दिन-ब-दिन बढ़ाया जा सकेगा। इस के अलावा भौतिक जीवन की उन्नति के साथ साथ मानसिक जीवन भी ज्यादा से ज्यादा समृद्ध बन सकेगा।

चंद्रिमाः विकास जी, आजकल हमारे बहुत सारे श्रोताओं ने भी हमें भेजे पत्र में तिब्बत के बारे में कुछ बातें कहीं है। जैसे नयी दिल्ली में स्थित हमारे मोनिटर राम कुमार नीरज ने लिखा है कि यदि फोटो गैलरी की बात करें तो आज का तिब्बत बेहद खुबसूरत स्तंभों में से एक है। आकर्षक एवं सजीव फोटो से सुज्जजित इस स्तंभ के माध्यम से घर बैठे ही सुंदर तिब्बत का दर्शन हो जाता है। वास्तव में हिमालय की गोद में बसा खूबसूरत वादियों वाला इलाका तिब्बत चीन के लिये एक प्रमुख पर्यटन केन्द्र बनकर उभरा है, और हर साल पर्यटकों की बढ़ रही संख्या इसकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा परिणाम है। चीन के सहयोग से तिब्बत निखर रहा है और वास्तविकता यही है कि चीन ने जिस हिसाब से तिब्बत के वर्तमान और भविष्य के प्रति जो कार्य योजनाएं बनाया है, वह अपने आप में एक मिशाल है।

विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि मैंने सुना है कि थकपा एक बहुत ही पारम्परिक तिब्बती व्यंजन है और इसे पके हुए चावल के साथ लिया जा सकता है। इस व्यंजन में कम मसाला होता है इसलिए यह एसीडिटी से राहत दिलाता है। लहसुन से सर्दियों में शरीर गर्म रहता है और चिकन से प्रोटीन की आपूर्ती होती है। ख़ुशी होगी यदि आनेवाले किसी कार्यकर्म में इस विशेष तिब्बती भोजन को बनाने और खाने से सम्बंधित विस्तृत जानकारी देने कि कृपा करें।

चंद्रिमाः अच्छा, लगता है नीरज भाई तिब्बती भोजन के बड़े शौकिन हैं। हम ज़रूर आप की मांग आज का तिब्बत कार्यक्रम की उदघोषिका को बताएंगे। और आशा है भविष्य में आप भी तिब्बत का दौरा कर सकेंगे, तो उसी समय आप अपना पसंदीदा तिब्बती भोजन खा सकेंगे।

विकासः पश्चिम बंगाल के हमारे सक्रिय श्रोता रवि शंकर बसू ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि आज चीन सरकार के नेतृत्व में तिब्बत की 29 लाख 30 हजार जनता लोकतांत्रिक सुधार से लाये गये शांतिपूर्ण व सामंजस्यपूर्ण जीवन में मज़ा ले रही है। मेरे लिये सब से ध्यानाकर्षक बात यह है कि तिब्बत में शिक्षा का बड़ा विकास हुआ है। संस्कृति एक देश या जाति की आत्मा है। तिब्बत के लंबी अवधि के विकास के लिये चीन सरकार ने तिब्बत में शिक्षा व्यवस्था को बढ़ाने पर बड़ा ध्यान दिया है।

चंद्रिमाः उन्होंने उदाहरण देते हुए लिखा है कि हाल के कई वर्षों में तिब्बत स्वायत प्रदेश में बहुत स्कूलों की स्थापना की गयी। यहां तक कि अंग्रेज़ी शिक्षा किंडरगार्डन से शुरू हो गयी है। वर्तमान में 78.2 प्रतिशत बच्चे, जिन की उम्र स्कूल जाने से उपयुक्त है, स्कूल में दाखिल हो गये। युवा पीढ़ि में निरक्षरता बहुत कम है। और चीन सरकार गरीब किसानों व चरवाहों के बच्चों के प्रति मुफ्त भोजन, मुफ्त आवास व मुफ्त पढ़ाई का नियम भी संभालती है। जिससे बहुत गरीब परिवारों को खूब लाभ मिलता है।

विकासः हमारे नेटेज़न कुमारी विनिया गर्ग ने वेब पर यह लिखा है कि दुनिया की छत कहे जाने वाले तिब्बत में रेल नेटवर्क को सुव्यवस्थित बनाने के लिए बिछाई गई रेल लाइन से तिब्बत में आर्थिक व पर्यटन गतिविधियां भले ही जोर पकड़ने लगी। जब से यह रेल लाइन यातायात के लिए खुली है, चीन के इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। पर्यटन गतिविधियों के जोर पकड़ने से क्षेत्र में आर्थिक परिदृश्य भी बदलने लगा है। पश्चिमी पर्यटक इन दिनों तिब्बत में खास दिलचस्पी ले रहे हैं।

चंद्रिमाः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि यह रेल लाइन कई बर्फीली चोटियों के पास से होकर गुजरती है। तिब्बत दुनिया की कई गगनचुंबी चोटियों का ठिकाना है। तिब्बती इंजीनियरों ने समुद्र के तल से 5 हजार मीटर ऊपर स्थित छिंगहाए-तिब्बत पठार पर इस रेलमार्ग को बिछाने में 10 वर्ष से अधिक समय तक मेहनत की। यहां आने वाले पर्यटकों को ऐतिहासिक पोटाला महल और जोखांग मंदिर के बाहर विश्राम करते या मौज-मस्ती करते देखा जा सकता है। यहां के बरहोर स्ट्रीट में पर्यटकों को बौद्घ शैली में प्रार्थनालीन होते देखा जा सकता है।

विकासः विनिया गर्ग ने बिल्कुल ठीक कहा। छिंगहाए-तिब्बत रेल मार्ग से तिब्बती लोगों को सचमुच बहुत लाभ मिला है। और इस रेल मार्ग की प्रशंसा करने के लिये तिब्बती गायिका हानहोंग ने स्वर्ग का मार्ग नामक एक गीत भी गाया। तो अब हम एक साथ इस गीत का मज़ा लेंगे।

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