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दीर्घायु व्यक्तियों का घर—हूनान का मा यांग
2012-02-09 15:23:29
मा यांग गांव के बारे में कहा जाता है कि प्राकृतिक वातावरण के मामले में यह गांव सौभाग्यशाली है तो, वह दीर्घायु लोगों के लिए स्वर्ग जैसा है। प्राचीन काल में चीन में एक कहावत है कि, "सत्तर के पार तो स्वर्ग में",इसका मतलब है कि प्राचीन काल में सत्तर साल के लोग बहुत कम दिखाई देते थे। लेकिन मा यांग में जब लोग सत्तर की उम्र में पहुंचते हैं तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। मा यांग प्रिफेक्चर की कुल जनसंख्या तीन लाख सत्तर हजार है, यहां पर लोगों की औसत आयु 75.6 साल है। यहां पर सौ वर्ष के 79 व्यक्ति हैं, जोकि मा यांग की कुल जनसंख्या का प्रति दस हजार व्यक्तियों में 3.2 है जोकि संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्धारित मापदंड से भी 0.75 प्रतिशत ज्यादा है। यहां पर दीर्घायु जीवन के कारण के बारे में पूछने पर 102 वर्षीया एक दादी अम्मा ने बताया, वह खुद उगायी गयी सब्जी व अन्न खाती हैं, आमतौर पर ज्यादा मछलियां और मांस नहीं खाती हैं, भूख से ज्यादा भी नहीं खाती हैं। नया साल व त्योहारों पर या रिश्तेदारों के साथ मिलने पर थोडा सा शराब पीती हैं, वह भी खुद तैयार किया गया शराब है या किसी फल का शराब होता है।

मुझे मांस भी पसंद है और सब्जी भी पसंद है, फल भी बहुत पसंद है। मैं मांस थोड़ा कम खाती हूँ, आमतौर पर ताजी सब्जियां ज्यादा खाती हूँ। शाम का खाना खाने के बाद कुछ दूरी तक टहलती हूँ जिससे खाना को पचाने में मदद मिलती है। अगर रात का खाना खाने के बाद तुरंत सोते हैं तो वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है। सर्दियों या बारिश के मौसम में घर में ही खाना खाने के बाद कुछ चक्कर लगा लेती हूं, जिससे खाना जल्दी पच जाता है। मुझे फल खाना भी बहुत पसंद है। घर में जो भी फल उगाया जाता है, खूब खाती हूँ। अब दांत मजबूत नहीं रहे, इसलिए सिर्फ तरबूज व संतरा खाती हूं।

मा यांग के लोग चाहे वे जवान हैं या वृद्ध काम करना पसंद करते हैं। विशेषतौर पर 60 वर्ष के उपर के वृद्ध व्यक्ति, वे लोग बचपन से ही काम करने के अभ्यस्त होते हैं। पहाड़ के उपर, पहाड़ के नीचे, घर में, बाहर में, वसंत में, गर्मियों में पूरे साल व्यस्त रहते हैं कामों में। उम्र ज्यादा होने के बावजूद ये लोग घर के छोटे-मोटे काम खुद करते हैं, जैसे कपड़े धोना, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल करना। अपने सामर्थ्य के अनुसार काम करना इन लोगों की आदत बन चुका है। उन लोगों की नजर में काम करना किसी खेल की तरह है, जोकि जीवन का अभिन्न हिस्सा है। वे लोग अपने शरीर को कामों में लगाए रखते हैं। कड़ी मेहनत के प्रति उन्हें आजकल के लोगों जैसी पीड़ा या तकलीफ नहीं लगती है। उनका कहना है कि जिस दिन कुछ काम नहीं करते हैं उन्हें लगता है कि चैन नहीं होता है। मा यांग में एक 103 वर्षीया दादी लियु हैं जो अभी भी दुकान में सामान बेचने में मदद करती हैं।

पत्रकारः दादी मां, यह कैंडी कितने का है

दादीः पचास पैसे में एक

पत्रकारः मुझे तीन चाहिए। कितने पैसे हुए

दादीः एक रूपया पचास पैसा

पत्रकारः एक और कैंडी दीजिए, अब कितना हुआ

दादीः दो रूपए।

मा यांग के लोग मेहनती और ईमानदार होते हैं। वहां एक स्थानीय कहावत बहुत प्रचलित हैः संयमित जीवन से सभी परेशानी मुक्त होती है। वे हमेशा अपनी साधारण दशा पर संतुष्ट होते हैं, न पैसे के लालक हैं, न ही नाम गिरामी की चाह है।

मा यांग गांव में जीवन बिताने के लिए गांव वासी लोगों का साथी वहां का जंगल है। पहाड़ी घाटी में रहने के लिए उन लोगों ने अपने जीवन में बहुत अनुभव महसूस किए हैं। जैसे वहां के लोग तेज शराब, तेज मिर्च, कच्चा अदरक खाकर सर्दी से निजात पाते हैं। इसलिए मा यांग के लोगों को शराब पीना और मिर्च खाना भी बहुत पसंद है। मा यांग दीर्घायु जीवन ऑफिस के अधिकारी ने कहा कि

भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार, यहां के लोग अक्सर पहाड़ी कंद-मूल व पहाड़ी फल खाते हैं तथा चाय का सेवन करते हैं जिससे कई तरह के बीमारियों से भी सुरक्षा होती है। यहां के लोग जिस तेल का सेवन करते हैं, उससे कीड़े भी मारे जा सकते हैं, और पेट में कीड़ा होने पर वे लोग इस कच्चे तेल का सेवन करते हैं, सर्दी में तेज मिर्च खाते हैं जिससे सर्दी व नमी कम लग जाती है। छोटी-मोटी चोट या जख्म का इलाज खुद कर लेते हैं। क्योंकि यहां के लोग पहाड़ी जड़ी-बूटियों को पहचानते हैं इसलिए जरूरत होने पर ये लोग खुद तोड़कर लाते हैं और इसका उपयोग करते हैं। मा यांग के मियाओ चिकित्सक ने यहां की मियाओ जाति की चिकित्सा व औषधि के बारे में बताते हुए कहाः

हमारे गाँव के चारों तरफ उंची पहाड़ होने के कारण, यातायात का साधन सुचारू नहीं था। इसलिए मियाओ जाति की दवा विशेष बीमारी की अवस्था में विशेष विधि द्वारा तैयार और उपयोग की जाती है। यहां पर चिकित्सा की विशेष पद्धति है, खासकर शरीर के अंदर वाले भाग का इलाज का विशेष विधि है। स्त्रियों में प्रसूति रोग से संबंधित बीमारी का भी विशेष रूप से इलाज किया जाता है। जब यहां पर आधुनिक चिकित्सा पद्धति उपलब्ध नहीं थी, तो हमलोग पुरानी पद्धति के द्वारा ही बीमारी की रोकथाम और इलाज करते थे।

कुछ दशकों से पहले, चीन के एक साहित्य विशेषज्ञ ने मा यांग गांव के संतरे के बारे में इस तरह वर्णन किया था कि सुनहरे रंग के संतरे इतने ज्यादा है, मानो आकाश में चमकते सितारों का झुंड हो और इतना मीठा है जो देखने पर मुंह में पानी भर आता है। यहां के संतरे में कई तरह का विटामिन पाया जाता है और प्रचुर खनिज तत्व मिलता है। लगभग 100 मिलीलीटर जूस में 7 ग्राम तक विभिन्न प्रकार के विटामिन होते हैं। पिछली शताब्दी में पार्टी महासचिव हू याव पांग ने इस संतरे का स्वाद लेते हुए कहा था कि, फलों में सबसे उत्तम और स्वाद में सबसे मधुर यह संतरा है। इस प्रशंशा के कारण यहां का संतरा देश में नामी हो गया। यहां के संतरे के उत्पादन के बारे में मा यांग प्रिफेक्चर के नेता ने कहाः

इधर के कुछ सालों में संतरे का व्यापार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। विशेषतौर पर इस साल हमने इस संतरे के लिए एक नामी ब्रांड भी प्राप्त कर लिया है। मशहूर ब्रांड मिलने के बाद इसकी बिक्री में बहुत तेजी आयी है। इस साल के अंत तक इससे व्यापार का 60 करोड़ यवान तक पहुंचने का अनुमान है।

कहा जा सकता है कि, चीनी अल्पसंख्यक जाति के दीर्घायु वाले गांव के रूप में, वैभव और दीर्घायु जीवन यहां के लोगों के रग-रग में बस गया हुआ है। आशा है कि मा यांग की यह संस्कृति ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाएगी।


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