चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं केंद्रीय कमेटी के आयोजित हो रहे तीसरे पूर्णाधिवेशन के कार्यसूची में भूमि-सुधार का नया कार्य सब से ध्यानाकर्षक हो रहा है। वर्ष 1978 से 2013 तक के दौरान हुए इस स्तर के सात सम्मेलनों में से दो के मुख्य विषय ग्रामीण भूमि सुधार से संबंधित थे। ग्रामीण भूमि सुधार को चीन में सुधार-कार्य की नई बागड़ोर माना गया है। आइंदे चीन में भूमि सुधार को किस तरह से आगे बढाया जाए ?और इस सुधार-कार्य को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा?
गहरी रात में भी राजधानी पेइचिंग के विभिन्न निर्माण-स्थलों पर गांवों से आए किसान-मजदूर काम कर रहे थे। हनान प्रांत के एक गांव से आए ली श्यान ली नामक एक श्रमिक ने अपने काम को समाप्त करने के बाद हमारे संवाददाता से कहा कि उनका परिवार गांव में तंबाकू की खेती करता है। जब संवाददाता ने भूमि का जिक्र किया, तो उन्होंने कहाः
`भूमि हमारे गांववासियों के जीवन की जड़ है। कौन उसे बेचना चाहता है? उसपर गांववासी पीढ़ी-दर-पीढी खेती करते आए हैं। इधर के वर्षों में खेती करने से जो लाभ प्राप्त हुआ है, वो अपेक्षा से ज्यादा कम साबित हुआ है। इस तरह हम नौकरी के लिए शहर आए हैं। तुलनात्मक तौर पर शहरों में नौकरी करने से ज्यादा आय प्राप्त की जा सकती है।`
वर्तमान काल में चीनी गांवों में सार्वजनिक मिलकियत वाली भूमि के प्रयोग का अधिकार बाजार के जरिए हस्तातिरत नहीं हो सकता है। इसकी वजह से गांवों में भूमि पैमाने वाले उत्पादन में अपनी सकारात्मक भूमिका नहीं अदा कर सकती है और संबंधित विकृत दाम तथा मूल्यवर्द्धित आय के बंटवारे में असंतुलन जैसी खामियां भी पैदा हुई हैं। भूमि के लाभ को अधिक बनाने के लिए कई क्षेत्रों में भूमि के प्रयोग के अधिकार को प्रायोगिक तौर पर हस्तांतरित करने का काम शुरू हो चुका है। च्यांगसू प्रांत के हाईमन शहर के थ्यैनशी गांव में 77 वर्षीय श्यु श्ये शू ने कहाः
`हमारे परिवार के 12 सदस्यों ने कब से ही खेतीबाड़ी नहीं की है। वे सब दुकान चलाने में व्यस्त हैं। परिवार के पास जो भूमि है, वे सब किसी दूसरे को खेतीबाड़ी के लिए ठेके पर दी गई है।`
इस उपाय से चीन के गांवों में भूमि की पैमाने वाले उत्पादन में अहम भूमिका हो रही है और इससे किसानों को अधिक फायदा पहुंचा है। थ्यैनशी गांव के पार्टी-सचिव श्यु होंगशंग ने कहाः
`गांव में ठोस आर्थिक इकाई न होने से आर्थिक विकास कैसे हो सकता है ? लेकिन ठोस आर्थिक इकाई बनाने के लिए भूमि अत्यंत जरूरी है। अगर नीति को और अधिक खोलकर खेतीयोग्य भूमि के संरक्षण के आधार पर कुछ ठोस आर्थिक इकाइयां बनाई जाए, तो स्थिति बेहतर होगी और ग्रामीण विकास को गति मिलेगी। `
ध्यान रहे कि चीन में भूमि प्रबंधन कानून की धारा 63 के अनुसार किसानों की सार्वजनिक मिलकियत वाली भूमि के प्रयोग का अधिकार नहीं बेचा जा सकता, नहीं हस्तांतरित किया जा सकता या गैर कृषि-निर्माण के लिए गिराए पर दिया जा सकता। चीनी सामाजिक अकादमी के ग्रामीण विकास-अनुसंधान कार्यालय के शोधकर्ता ली क्वो श्यांग का मानना है कि भूमि के प्रयोग के अधिकार के अल्पकाल के लिए हस्तांतरण से शहरों एवं गांवों का एकीकरण मुश्किल होगा। उनका कहना हैः
भविष्य में सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था के अनुकूल आवश्यक कदम उठाए जाने के बाद शहरों एवं गांवों का एकीकरण बाजारीकृत हो सकता है। यह दीर्धकालिक तौर पर आवश्यक है। लेकिन वर्तमान अंतरिम दौर में यानी 5 से 10 साल के भीतर इस काम में प्रगति होनी आसान नहीं दिख रही है।
चीन के विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए भूमि की बड़ी जरूरत है। ऐसे में कई इलाकों में प्रायोगित तौर पर भूमि संबंधी काम किए गए हैं। छुंगछिंग शहर के ग्रामीण भूमि संबंधी कारोबारी केंद्र के महानिदेशक थोंग ताई ची ने कहा कि वे भूमि-सुधार के काम को आगे बढाने पर विचार कर रहे हैं। जहां तक तात्विक और ठोस काम का तालुक है, वह अभी नहीं करना शुरू हुआ है।
जैसे-जैसे अधिकाधिक किसान नौकरी के लिए शहर आ रहे हैं, उनकी उस भूमि के , जिसपर आवासीय मकान बनाए जाने हैं, खाली होने की स्थिति आम हो गई है। आंकड़ों के अनुसार इस समय चीन में इस तरह की 10 से 20 प्रतिशत भूमि खाली पड़ी है। इसे ध्यान में रखकर चीनी राज्य परिषद के विकास अनुसंधान केंद्र ने हाल ही में इस तरह की भूमि के प्रयोग के अधिकार के हस्तांतरण के बारे में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसकी ओर शहरों में नौकरी करने वाले किसानों का व्यापक ध्यान चला गया है।
गौरतलब है कि चीन के शहरों में अस्थाई आबादी 20 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है। चीन में 1 प्रतिशत की दर से शहरीकरण होने की गणना के लिहाज से प्रतिवर्ष 1 करोड़ 30 लाख गांववासी शहर जाते हैं। शहरों में वे तरह-तरह के काम करते हैं और शहरी विकास के लिए योगदान करते हैं, लेकिन शहरवासियों के साथ जो भौतिक बर्ताव किया जाता, वे उससे पूरी तरह वंचित हैं। दूसरी तरफ़ खुद शहरवासियों के एक बड़े भाग को मकानों की आसमान छूती कीमतें सता रही हैं। उनके पास भी रहने के अपने मकान नहीं हैं। इन समस्यों को सुलझाने के लिए सरकार को गंभीर और व्यापक रूप से विचार करना चाहिए।
चीन में सुधार एवं खुलेपन के कार्य को शुरू हुए 3 दशकों से अधिक समय हो चुका है। इस कार्य में जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं, उनमें से ज्यादातर भाग शहरवासियों को मिला है। किसानों को भी जरूर मिला है, लेकिन वह अपेक्षा से कम है। भूमि किसानों की संपति है। उससे किसानों को कैसे अधिक लाभ दिलाया जाए? इसपर सरकार जरूर विचार कर रही है। बेशक वह भी वर्तमान पार्टी-सम्मेलन का एक मुख्य विषय है।