131025ss
|
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 से 24 अक्तूबर तक चीन की यात्रा की। यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने चीन-भारत संबंधों के सतत विकास बढ़ाने पर अहम सहमति हासिल की, जिस पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने बड़ा ध्यान दिया।
मनमोहन की चीन यात्रा के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने नौ सहयोग समझौतों और ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, जो प्रतिरक्षा, यातायात, ऊर्जा, संस्कृति, शिक्षा और क्षेत्रीय आदान-प्रदान आदि से जुड़े हैं। यह चीन और भारत के बीच रणनीतिक सहयोग में हुई अहम प्रगति है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध एक नए स्तर पर पहुंचेंगे। इस पर चीन के स्छ्वान प्रांत के सामाजिक अकादमी के प्रमुख हो श्विफिंग ने कहा कि मनमोहन की चीन यात्रा के दौरान हासिल प्रगति से चीन-भारत संबंधों में नई जान आएगी।
चीन में मनमोहन ने कहा कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता चीन-भारत संबंधों के विकास का आधार है। दोनों नेताओं द्वारा संपन्न सीमा प्रतिरक्षा सहयोग समझौते से सीमा मुद्दे के समाधान के लिए विशाल संभावना तैयार हुई। भारतीय अखबार टेलीग्राफ ने रिपोर्ट की कि अगर भारत-चीन के बीच प्रतिरक्षा समझौता संपन्न होता है, तो मनमोहन भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद सबसे अहम राजनयिक कामयाबी हासिल करेंगे। वास्तव में हाल के वर्षों में चीन और भारत के बीच आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दिन ब दिन घनिष्ठ हो रहा है। लेकिन आपसी राजनीतिक विश्वास कमजोर बना रहा। चीन और भारत के बीच संपन्न सीमा प्रतिरक्षा सहयोग समझौते की चर्चा में हो श्विफिंग ने कहाः
"चीन-भारत सीमा मुद्दा एक जटिल सवाल है, जिसका समाधान एकदम नहीं हो सकता। इसलिए सीमा प्रतिरक्षा सहयोग समझौते के संपन्न होने का बड़ा महत्व है। क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग को एक मैत्रीपूर्ण वातावरण की जरूरत है। सीमा समझौते के तहत सीमा पर स्थिरता बनाए रखने के लिए ढांचा तैयार हुआ, जो आर्थिक सहयोग के लिए लाभदायक है। इससे जाहिर है कि हम दोनों देश वार्ता के जरिए सीमा विवाद का समाधान करने में कोशिश कर रहे हैं।"
दुनिया में सबसे बड़े दो विकासशील देश और नवोदित बाजार होने के नाते चीन और भारत के सामने समान चुनौतियां मौजूद हैं। जबकि अहम पड़ोसी देश और साझेदार होने के नाते दोनों के सामने मौके भी हैं। हाल के वर्षों में चीन और भारत के बीच बराबर हो रहे आर्थिक सहयोग से दुनिया को सक्रिय संकेत गया है। मनमोहन की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आर्थिक क्षेत्र में भी नई प्रगति हासिल की। दोनों देशों के नेताओं ने शीघ्र ही क्षेत्रीय व्यापार वार्ता शुरू करने, औद्योगिक पार्क और रेल आदि बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में सहयोग करने पर भी व्यापक सहमति बनी। इस पर हो श्विफिंग ने कहाः
"मनमोहन की चीन यात्रा के दौरान हासिल उपलब्धियां अत्यंत महत्वूपर्ण हैं। इससे चीन और भारत के बीच आर्थिक सहयोग और आवाजाही बढ़ाने के लिए बेहतर आधार तैयार हुआ है।"
गौरतलब है कि 2014 चीन-भारत मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान वर्ष है। 2014 में भारत सरकार में परिवर्तन भी होगा। दोनों देशों के बीच सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य की चर्चा में हो श्विफिंग ने कहा कि मनमोहन की यात्रा से भारत की नई सरकार और चीन के बीच संबंधों के लिए बेहतर आधार तैयार हुआ है। दोनों देशों के बीच सहयोग की व्यापक संभावना है। उन्होंने कहा
"चीन और भारत के बीच सहयोग विकास का रूझान है, जो दोनों देशों के समान हितों से मेल खाता है।"
चीन-भारत संबंधों के विकास में अंतर्विरोध अनिवार्य है। दोनों देशों को पर्याप्त विश्वास कायम रहते हुए संपर्क मजबूत करना चाहिए। मनमोहन ने कहा कि भारत चीन के विकास का स्वागत करता है। इसके साथ-साथ चीन भारत के विकास का स्वागत भी करता है। भारत और चीन प्रतिस्पर्द्धी नहीं हैं। दोनों को सहयोग का निर्णय लेना चाहिए।
चीन और भारत दोनों परंपरागत देश हैं, जिनका लम्बे इतिहास है। उम्मीद है कि भविष्य में दोनों देश आपसी विश्वास बढ़ाकर सहयोग मजबूत करेंगे, ताकि दुनिया की स्थिरता और समृद्धि के लिए योगदान किया जा सके।