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चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 23 अक्तूबर को पेइचिंग में मुलाकात की। इसके बाद दोनों प्रधानमंत्री सीमा प्रतिरक्षा सहयोग समझौता आदि नौ दस्तावेजों के हस्ताक्षर रस्म में उपस्थित हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने कहा कि देश के 2 अरब 50 करोड़ जनता की भलाई के लिए चीन और भारत को हाथ में हाथ डालकर समान विकास करना चाहिए। सुनिए विस्तार सेः
23 अक्तूबर को सुबह पेइचिंग स्थित जन वृहद भवन के बाहर चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाथ मिलाए। यह ऐसा पहली बार हो रहा है जब वर्ष 1954 के बाद चीन और भारत के प्रधानमंत्रियों के एक ही साल के भीतर एक दूसरे के देशों की यात्रा पूरी होगी। जो चीन और भारत के आवाजाही इतिहास में शामिल होगा। मुलाकात के बाद आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ली खछ्यांग ने कहाः
"चीन और भारत दोनों दुनिया में सबसे बड़े विकासशील देश ही नहीं शक्तिशाली नवोदित बाजार भी हैं। चीन-भारत संबंध 21वीं सदी में सबसे अहम द्विपक्षीय संबंधों में से एक है। चीन-भारत संबंधों के विकास की व्यापक संभावना है। चीन भारत के साथ 2 अरब 50 करोड़ चीनी और भारतीय लोगों की भलाई के लिए समान कोशिश करने को तैयार है।"
आपसी विश्वास बढ़ाना दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात का मुख्य विषय है। दोनों नेताओं ने व्यापक सहमतियां हासिल कीं।
"सहयोग दस्तावेज की हस्ताक्षर रस्म शुरू। आज नौ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।"
सीमा प्रतिरक्षा सहयोग समझौता दोनों पक्षों द्वारा संपन्न पहला दस्तावेज है। इससे जाहिर है कि चीन और भारत ने राजनीतिक विश्वास बढ़ाने और सुरक्षा बनाए रखने में नई प्रगति हासिल की है। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने कहा कि दस्तावेजों का संपन्न होना दोनों देशों के बीच सीमांत क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाभदायक होगा। चीन और भारत का समान विचार है कि दोनों पक्षों के बीच समान हित मतभेद से व्यापक हैं। दोनों पक्ष मतभेद का निपटारा करने में सक्षम हैं, ताकि द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर बुरा असर न पड़े। ली खछ्यांग ने कहाः
"सीमा मुद्दे पर चीन और भारत के विशेष प्रतिनिधियों के बीच मुलाकात कायम रहनी चाहिए, ताकि वार्ता के जरिए दोनों देशों के लिए स्वीकार्य समझौता संपन्न हो सके। दोनों देशों के बीच संपन्न संबंधित समझौतों को कार्यांवित करने के साथ साथ सीमांत क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।"
मनमोहन सिंह ने ली खछ्यांग का समर्थन किया। उन्होंने कहाः
"सीमांत क्षेत्रों में शांति और स्थिरता भारत-चीन संबंधों के विकास का आधार है। दोनों पक्ष सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच मुलाकात कायम रखेंगे, ताकि दोनों देशों के लिए स्वीकार्य समझौता संपन्न हो सके।"
मुलाकात में दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रतिरक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हासिल भी की। अगले महीने चीन और भारत चीन में थल सेना का तीसरा संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास आयोजित करेंगे और जल्द से जल्द समुद्र सहयोग वार्ता करेंगे। राजनीतिक सुरक्षा में सहयोग के अलावा, आर्थिक क्षेत्र में दोनों देशों ने नई सहमति जताई।